माँ बेटे की वासना और चुदाई की कहानी भाग-3 Maa beta ki sex kahani

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Maa beta ki sex kahani:- इस कहानी को पढ़ने के लिए आप सब का धन्यवाद. अगर आपने इस कहानी के पिछले पार्ट्स नहीं पढ़े है पहले वो पढ़े. तभी आपको ये स्टोरी पूरी समझ आएगी. मेरा मकसद इस कहानी का लिखने का यही है की मैं अपना एक्सपीरियंस बताऊ कि क्या उतार चढ़ाव आते है ऐसे वाले रिलेशन में. क्या पता आप में से भी किसी ने ऐसे रिलेशन एक्सपीरियंस किये हो और उनका एक्सपीरियंस मेरे से अलग हो. मगर मेरी भी एक रियलिटी है जो मैंने एक्सपीरियंस की है. ज़्यादा बातें न करके आगे की कहानी स्टार्ट करता हूं.

इस कहानी का पिछला पार्ट यहाँ से पढ़ें=> माँ और बेटे की वासना से लेकर चुदाई तक का सफर 2

Maa beta ki sex kahani hindi

मैं इस बार एक्साइटेड था घर जाने के लिए, क्यूंकि इस बार कोई नहीं आने वाला था घर. मैं 14 मार्च को दिल्ली पहुंचा. उसके बाद वहाँ से मेरे टाउन पहुँचते-पहुँचते दोपहर का 1 बज गया था. मैं घर पहुंचा मम्मी ने दरवाज़ा खोला. मैंने उनको देखा. पता नहीं मुझे वह हर बार और सुन्दर लगती जा रही थी. शायद अब मैं उनको ज़्यादा नोट करने लग गया था. साड़ी पहनी हुई थी उन्होंने ब्लैक कलर की. मेकअप भी किया हुआ था हल्का-फुल्का. मैंने दरवाज़ा बंद किया. हम दोनों अंदर आ गए. मैंने उनका हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींचा और हग किया. उनकी गांड पर हाथ सहलाया. फिर अलग हुए. हमने एक-दुसरे को आई लव यू बोला. उन्होंने मुझे फ्रेश होने को बोला. मैं नहाने चला गया. नहा के तैयार हुआ. इतने में उन्होंने खाना बनाया. फिर हम दोनों ने मिल के खाना खाया. मेरा दिल बहुत ज़ोरो से धड़क रहा था. खाना खाने के बाद उठे. उनको मैंने फिर से हग किया. समझ ही नहीं आ रहा था कहा से स्टार्ट करू. बस हग ही कर लेता था.

मुझे याद है 3 बजे के आस-पास होगा टाइम. हम दोनों उनके बैडरूम में थे. वो बेड के एक कोने पर बैठी थी और मैं एक कोने पर. उन्होंने अपना हाथ बेड पर रखा. मैंने अपना हाथ उनके हाथ पर रखा. वो धीरे-धीरे लव यू लव यू बोल रही थी मुझे. मैंने थोड़ी सी हिम्मत जुटाई और उनके पास जाके उनके लेफ्ट गाल पर किश ली. वो स्माइल करने लगी. मैं एक-दम से दूर हट गया. ये मेरी पहली किश थी किसी लड़की को. मैं वो दिन नहीं भूल सकता. गांड पर हाथ तो हम लड़के किसी न किसी लड़की के लगा देते है बस में या किसी भीड़ में जाने-अनजाने में. मैंने किश कभी नहीं की थी. ये अलग ही ख़ुशी थी. फिर से एक बार और हिम्मत जुटाई दोबारा से और उनके लेफ्ट गाल पर किश की. मेरी हार्ट बीट बहुत तेज़ हो गयी थी.

मैंने उनको बोला: मैं बाहर जा रहा हूं.

मैं अब उन्हें मम्मी नहीं बोल रहा था. उनका नाम बोल रहा था सुषमा. उनको पता था थोड़ा मुश्किल हो रहा था मुझे इस चीज़ को एक्सेप्ट करने में. इसलिए वो ज़ोर भी नहीं दे रही थी कुछ ज़्यादा के लिए. मैं घर के बाहर चला गया. अंदर से ख़ुशी भी थी और काफी क्वेश्चन भी. ऐसे ही फ्रेंड से मिल के वापस 6 बजे घर आया.

मैं: सुषमा आई लव यू.

मम्मी: आई लव यू टू.

मैं: तुम मुझे समझती होगी? मैं थोड़ा सा समझ नहीं पा रहा की क्या हम सही कर रहे है?

मम्मी: इसका जवाब तो मैं भी नहीं दे सकती. मगर जैसा आपको लगे वैसे ही करना. कुछ ऐसा न हो जिससे आप परेशांन हो. मगर मुझे कुछ दिक्कत नहीं है.

उनकी बात सुन कर मैं थोड़ा शांत हुआ. एक बात मेरे मन में ये भी चल रही थी की वो केवल सेक्स के लिए ही न कर रही हो और मैं वो दे नहीं रहा उनको तो वो चली न जाये. मुझे तब समझ आ रहा था ये लव ही था लस्ट नहीं मम्मी की. इस रिलेशन में उम्र में वो मुझसे बड़ी थी. वो ज़्यादा समझती थी प्यार और सेक्स के बारे में. उस दिन कुछ नहीं हुआ और ज़्यादा. अगले दिन मुझे कुछ ज़रूरी काम था. वो काम करते-करते 1 बज गया. फिर मैं घर वापस आया. आते वक़्त बहुत सारे ख़याल थे. आज कुछ तो आगे बढ़ूँ, लंड खड़ा हुआ था. घर पहुंचा तो खाना खाने के बाद उनके बैडरूम में बैठे थे. मैं उनको देख रहा था. मैं थोड़ा आगे बढ़ा उनके गाल पर किस के लिए. उन्होंने गाल आगे किया. पता नहीं उन्होंने जान के किया या अनजाने में गाल को टिल्ट कर दिया. मेरे होंठ आधे उनके होंठो पर गिरे और आधे गाल पर. उसके बाद हमारे होंठ पूरे मिले. लिप किश का सुना था सच्ची गज़ब होती है. मेरी पहली लिप किश मेरी माँ के साथ थी. वो किश 2 से 3 मिनट की थी. मैंने उनका सलीवा भी टेस्ट किया. फिर हम अलग हुए. हमने एक-दुसरे हो देखा.

मैं उनके पास गया उनको पकड़ा उनको बेड पर लिटाया फिर उनको किश की. किश करते-करते उनके ऊपर लेट गया. किश करते-करते लंड साड़ी के ऊपर टच हो रहा था तो मैं आगे-पीछे होने लगा. मैं किश करता रहा उनको 5 मिनट और मेरा माल निकल गया था. शायद उनका भी. फिर हम अलग हुए. मैं खुद पर यकीन नहीं कर पा रहा था की मैंने ये सब किया. फिर मैं बाथरूम गया और साफ़ करके बाहर आया. मैं पता नहीं क्यों नज़र सी नहीं मिला पा रहा था उनसे. फिर मैं बाहर चला गया. जैसे ही स्पर्म निकलता है हमारी वासना सी ख़तम हो जाती है. फिर गिल्ट सा जाता है. शायद मैंने वासना से वो सब कर दिया था. फिर जैसे ही स्पर्म निकला मैं गिल्ट में आ गया. इसलिए नज़र नहीं मिला पा रहा था. मगर 1 घंटे बाद फिरसे वही सोचने लग गया था. फिरसे लंड खड़ा हो गया था. मैं वापस 5 बजे आया. जैसे अंदर आया मम्मी के पास गया. सीधा जाके उनको लिप पर किश करना स्टार्ट कर दिया.

मैं उनको बैडरूम में लेके गया. उनको फिरसे बेड पर लिटाया और उनके ऊपर मैं लेट गया. वापस फिरसे लंड को साड़ी के ऊपर से चूत पर टच कराया. फिर आगे-पीछे होने लगा. उनको किश साथ में करता रहा. थोड़ी देर बाद हाथ को उनकी गांड पर ले गया. माल निकालने के बाद मैं उनसे अलग हो गया. इस बार कोई गिल्ट भी नहीं था. इस बार ज़्यादा मज़ा आया था. मम्मी भी हैरान थी इस हरकत से.

मम्मी: इस बार तो मज़ा ही आ गया. कहा से आयी इतनी हिम्मत?

मैं: मुझे भी बहुत मज़ा आया इस बार. हिम्मत तो तेरे से ही आयी है. बार-बार सोच की ऐसे माल को कैसे चोद रहा हूं.

मम्मी: मुझे माल बोलते हो शर्म नहीं आती आपको?

मैं: माफ़ करना ऐसे ही निकल गया. तुम तो जान हो मेरी.

मम्मी: अब अच्छा लग रहा है. आ रहे हो लाइन पर धीरे-धीरे.

इसके बाद कुछ हरकत नहीं की हमने पूरा दिन. मगर आते-जाते कभी-कभी उनकी गांड को टच कर देता. अब मैं ओपन हो रहा उनके साथ. नेक्स्ट डे मैं सुबह उठा. पापा जा चुके थे. मम्मी नहाने गयी थी. मैंने बाहर से आवाज़ लगायी.

मैं: सुषमा आज साड़ी मत पहनना.

अंदर से आवाज़ आयी: अच्छा इतनी जल्दी. ठीक है नहीं पहनूंगी. फिर क्या पहनु आप ही बताओ?

मैं: मतलब सलवार कमीज डालना. साड़ी में सही टच नहीं कर पाता तुम्हारी गांड को.

मम्मी: फिर कुछ न पहनु अच्छे से टच करना.

मुझे पता था इतनी हिम्मत उसमे भी नहीं थी.

मैं: ठीक है आ जाओ नंगी बाहर .

मम्मी: नहीं रहने दो सलवार-कमीज ही पहन के आती हूं.

मैं: सुषमा आई लव यू.

मम्मी: आई लव यू टू.

वो सलवार-कमीज डाल के आयी. वो बहुत कम सूट डालती थी. सूट में ज़्यादा सही लग रही थी. सूट में वैसे सही से देख पा रहा था गांड. सही साइज गांड का उसमे पता चल रहा था.

मम्मी: क्या देख रहे हो?

मैं: तेरी गांड.

मम्मी आँखें खोलती हुई. जैसे वो ये वर्ड सोच नहीं रही थी की ये मैं बोलूंगा.

मम्मी: अब ओपन हो गए हो अपनी सुषमा से.

उनकी गांड सच्ची आज सही से देखि थी. ज़्यादा मोटी भी नहीं पतली भी नहीं. परफेक्ट थी. हमने खाना खाया. जैसे ही वो उठ के जा रही थी मैंने उनको फिरसे पकड़ा और किश करना स्टार्ट कर दिया. फिरसे बैडरूम ले गया. इस बार लंड सलवार के ऊपर से सही टच हो रहा था उसकी चूत पर. वो भी महसूस कर सकती थी इस बार. मैंने हाथ रखने की कोशिश की उनकी चूत पर लेकिन उन्होंने हटा दिया. फिर मैंने हाथ गांड पर रखा. वो अच्छे से महसूस हो रही थी. मैंने हाथ उसकी सलवार में डाला. पैंटी में डाला हाथ और उनकी नंगी गांड को पहली बार टच कर रहा था. मम्मी ने हाथ बाहर निकाला. मगर इस बार पहली बार मैंने उनके खिलाफ फिरसे हाथ अंदर डाल दिया और गांड का मज़ा ले रहा था. माल निकालने के बाद फिरसे हम अलग हो गए.

मम्मी: अब मज़ा आने लगा है आपको.

मैं: हां बस देखती जा आगे-आगे क्या होता है.

ऐसे ही अगले 2 दिन हमने किश और ऐसे ओरल सेक्स किया. मगर मम्मी ने चूत पर हाथ लगाने नहीं दिया. पर उनकी गांड के मैंने फुल मज़े लिए. जब भी टाइम मिलता हाथ लगा देता. किश भी नार्मल कर लेता नेक्स्ट 2 डेज में. किचन में काम कर रही होती तो लंड को गांड पर टच कर देता. अंदर हाथ डाल देता गांड में. अब डर सा खुल गया था. इस बार घर आने का फ़ायदा हुआ. मैं वापस जॉब पर चला गया संडे को. वहाँ पहुँच के फिरसे कॉल मैसेज पर बात.

अब आगे की कहानी नेक्स्ट पार्ट में.

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