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Desi Sex Story : सभी लंड धारियों को मेरा लंडवत नमस्कार और चूत की मल्लिकाओं की चूत में उंगली करते हुए नमस्कार। नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम के माध्यम से आप सभी को अपनी स्टोरी सुना रहा हूँ। मुझे यकीन है की मेरी सेक्सी और कामुक स्टोरी पढकर सभी लड़को के लंड खड़े हो जाएगे और सभी चूतवालियों की गुलाबी चूत अपना रस जरुर छोड़ देगी।
मेरा नाम केशव तिवारी है। मैं रांची का रहने वाला हूँ। यहाँ पर अपने फेमिली के साथ रहता हूँ। मेरे घर में मैं, मेरी बहन, माँ और चाचा चाचा, उनके दो बच्चे रहते है। मेरे पिता जी 7 साल पहले ही गुजर गये है। हमारा परिवार उपर वाली मंजिल में रहता है जबकि चाचा का परिवार नीचे ग्राउंड फ्लोर पर रहता है। मेरे चाचा अक्सर ही मेरी माँ के कमरे में जाया करते थे। और फिर दरवाजा बंद हो जाता था। कभी कभी मुझे शक होता था की कही चाचा जी का मेरी माँ से अवैध सम्बन्ध तो नही।
मेरे पिता के मरने के बाद भी मेरी माँ बहुत सज धज के रहती थी। मेरी माँ की उम्र अभी 35 साल थी पर देखने में बिलकुल लड़की लगती थी। मेरी माँ काफी हसीन थी और अब तो हमेशा सलवार सूट में रहती थी। कभी कभी तो मेरी भी नियत डोल जाती थी अपनी माँ पर और सोचता था की कभी इसकी चूत चोदने को मिल जाए तो कितना अच्छा हो। मैं माँ को कई बार नंगी देख चूका था। वो जब बाथरूम में जाकर नहाती थी तो कभी कुण्डी नही लगाती थी। वो कहती थी की उसे घुटन होती है। इस तरह दोस्तों कई बार मैं बाथरूम में किसी काम से जाता था और अपनी सगी माँ के नंगे बदन को देख लेता था और फिर टॉयलेट में जाकर मुठ मारनी होती थी।
माँ किसी हीरोइन से कम नही लगती थी। उसका छरहरा बदन, 34” के सुडौल और शबनमी दूध उसके कमीज के उपर से जब दिखते थे तो अच्छे अच्छे मर्दों के लंड खड़े हो जाते थे। हमारी गली में कितने मर्दों मेरी माँ को चोदने की फिराक में थे। पर वो किसी को भाव नही देती थी। उसकी गुलाबी चूत का दीदार करने के लिए सब मर्द पलके बिछाये रहते थे। मुझे इस बारे में शक था की मेरी माँ मेरे पंकज चाचा से फसी हुई है। एक दिन शाम को मैं अपने लिए चाय लेने किचन में गया तो पंकज चाचा माँ से लिपटे हुए थे और उनके सेक्सी होठो पर किस कर रहे थे। उनकी कमीज के उपर से उनके 34” के रसीले दूध हाथ लगा लगाकर दबाये जा रहे थे। मैं जैसे ही किचन में गया तो मुझे देख दोनों हट गये और काफी घबरा गये।
“अरे केशव तुम यहाँ क्यों आये?? मैं तो चाय लेकर तेरे पास ही आ रही थी” मेरी चुदासी माँ बोली
“मुझे बिस्किट भी चाहिए था” मैंने कहा
चाचा मेरी ओर घबराई नजर से देख रहे थे।
“चलो केशव!! तुम अपने कमरे में चलो। मैं चाय बिस्किट लेकर आ रही हूँ” मेरी चुदक्कड माँ बोली
मैं दोनों को शक की नजर से देख रहा था। फिर मैं अपने कमरे में आ गया।
“भाभी!! कही केशव ने हमे देखा तो नही” पंकज चाचा घबराकर बोले
“शायद देख लिया तभी इस तरह हम दोनों को घूर घूर कर देख रहा था। तुमसे कितनी बार बोला है की कमरे में मुझसे चिपका करो। कही भी शुरू हो जाते हो” माँ नाराज होकर बोली
इस तरह से अब मुझे स्पष्ट रूप से पता चल गया था की मेरी माँ मेरे चाचा से फंस चुकी है और चुदवा लेती है। कुछ दिन बाद फिर से दोनों का मौसम बन गया था. उस दिन सोमवार था, इसलिए मैं सुबह ही कॉलेज के लिए निकल गया। इधर मेरी चाची को कुछ सामान खरीदना था। वो भी रिक्शा पकड़कर मार्केट चली गयी। मेरी बहन और चाचा के बच्चे स्कुल जा चुके थे। ऐसे में पंकज चाचा और मेरी माँ अकेले हो गये और दोनों के बीच चुदाई वाली चिंगारी भड़क गयी। मेरे चाचा ने मेरी सुडौल और सेक्सी बदन वाली माँ को गोद में उठा लिया और अपने बेडरूम में ले गये। इस बेडरूम में मेरी चाची की चुदाई होती थी पर आज मेरी जवान माँ इसमें चुदने वाली थी।
“आई लव यू भाभी!!” चाचा जी बोले और मेरी माँ को बेड पर लिटा दिया।
फिर अपना भी लेट गये। दोनों एक दूसरे को आशिको की तरह देखे जा रहे थे।
“मैं तुमको अच्छी लगती हूँ” माँ ने उसने पूछा
“बहुत!! मेरा बस चले तो अपनी बीबी को छोड़ दूँ और आपसे शादी कर लूँ” पंकज चाचा बोले
दोस्तों मेरी चाची देखने में बिलकुल भी अच्छी नही थी। बिलकुल कद्दू जैसी शक्ल थी उनकी। इसलिए चाचा हमेशा मेरी चुदासी माँ की तरह आकर्षित रहते थे। आज दोनों जब अकेले हुए तो जल्दी जल्दी से किस करने लगे। आज तो चाचा जी मेरी माँ को खा जाने वाली नजर से देख रहे थे। पंकज चाचा माँ से चिपक गये, फिर बड़ी जल्दी जल्दी उनको ओंठो पर किस कर रहे थे जैसे कोई ट्रेन छूटी जा रही है। मेरी माँ भी उतनी ही चुदासी औरत बन गयी थी। बड़े दिनों बाद आज दोनों को चुदाई करने का सुनहरा मौका मिला था। इसलिए आज दोनों का मूड बन गया था। दोनों चाची वाली कमरे में लेटे हुए थे और ओंठ से ओंठ चिपकाकर गरमा गर्म चुम्बन लिए जा रहे थे। चाचा के हाथ बड़े जोशीले भाव से मेरी माँ की सेक्सी चूचियों पर नाच रहे थे। वो उपर से 34” की रसीली चूचियों को मसल मसल कर मजा लूट रहे थे। मेरी माँ “..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ….आहा …हा हा सी सी सी” की सेक्सी आवाजे निकाल रही थी।
चाचा माँ के उपर लेटे थे और बाहों में भरके रोमांस किये जा रहे थे। ऐसा लग रहा था वो मेरी माँ के नये पति हो। उधर माँ भी उनको दिलोजान से प्यार कर रही थी। मुहब्बत कर रही थी और चाचा के गले, चेहरे, आँखों, ओंठो सब तरह गर्म और जोशीले चुम्बन की बारिश कर रही थी। दोस्तों, 15 मिनट तक किस वाला काम हुआ। उसके बाद दोनों का चुदाई वाला मौसम बन गया और दोनों जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतारने लगे। पंकज चाचा ने जल्दी से अपने शर्ट की बटन खोली। शर्ट उतार दी। फिर पेंट उतारने लगे। उधर मेरी माँ ने जल्दी से अपना सलवार कमीज उतारा। फिर ब्रा भी खोल दी। अब वो सिर्फ नीली चड्डी में थी। छोटी सी तिकोनी चड्डी मेरी माँ की चूत पर कितनी फब रही थी।
पंकज चाचा तो पूरी तरह नंगे हो गये। उनका लौड़ा सच मुच विशाल था और 9” से लम्बा ही होगा। उन्होंने बिस्तर पर माँ को बड़े जोश से पकड़ा और फिर चूमना चाटना शुरू कर दिया। अब माँ के नंगे दूध चाचा के सामने थे। मेरी माँ बहुत ही सेक्सी माल थी जिसका कोई जवाब नही था। कुछ देर दोनों ओंठो पर किस करते रहे। फिर पंकज चाचा माँ की चूचियां दबाने लगे। हाथ से कस कस के दबाये जा रहे थे। माँ “……अई…अई….अई…..इसस्स्स्स्स्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….”
चिल्लाये जा रही थी। उसकी दोनों चूचियां तनी हुई और काफी कसी थी जो बेहद आकर्षित कर रही थी। कुछ देर चाचा जी मेरी माँ के दूध से खेलते रहे फिर क्लीवेज में अपना चेहरा घुसा दिया।
“ओह्ह मेरी जान!! मेरे सेक्सी देवर!! आज तुम मुझे अपने बड़े भैया के जैसे प्यार करो!! मैं भी तुमसे चुदने को उतनी ही बेचैन हूँ” माँ बोली
“भाभी!! आज तेरे सेक्सी बदन को मैं काट काटकर खा जाउंगा। आज तुमको इतना चोदूंगा की तुम रोज ही मुझसे चुदने को बोलोगी। हर रात मेरे पास आओगी। तुमको अपनी पर्सनल रंडी बना दूंगा” पंकज चाचा बोले
उसके बाद माँ के दूध मसलने लगे बड़ी जोर जोर से। माँ “अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…” करने लगी। अब चाचा ने उनके निपल्स को हाथ से दबाना और मसलना शुरू कर दिया। दोस्तों मेरी माँ की चूचियां सफ़ेद आटे जैसी थी पर निपल्स काले रंग थे और चारो तरफ गोल गोल काले गोले थे जो कितने सेक्सी दिख रहे थे। चाचा जी मुंह में निपल्स लगाकर ऐसे चूसने लगे जैसे कोई छोटा बच्चा हो। इधर मेरी चुदक्कड माँ की हालत खराब होने लगी।
“मेरे चूत के राजा!! मेरे दिलबर सी सी सी सी….और चूसो मेरे स्तन को!!” ऐसा माँ कहने लगी
फिर तो चाचा जी ने इतनी दूध चुसाई कर दी मैं आप लोगो को क्या बताऊं। मेरी माँ कामुकता में आकर उनको बाहों में जोर से भरकर उनके सिर को अपने दूध और सीने में दबाने लगी। इससे पंकज चाचा को बड़ी मौज मिली। वो एक चूची मुंह में लेते और चूसते। फिर दूसरी मुंह में ले लेते और उसे भी चूस डालते। इस तरह से गर्म करने से मेरी माँ चूत में ही झड़ गयी और उसकी नीली पेटी चूत के शहद जैसे मीठे रस से भीग गयी। फिर चाचा जी माँ के होठो पर चुम्बन करने लगे। मेरी चुदक्कड और कामवासना की प्यासी माँ ने अपनी चड्डी उतार दी। पंकज चाचा आरामदायक बेड पर लेट गये और अपने 9” लंड को फेटने लगे। मेरी माँ बड़े ध्यान से उनको देख रही थी। वो बैठी हुई थी।
“चलो भाभी!! लेटो” चाचा बोले
फिर माँ के 34” के दूध के बीच में अपना लंड रख दिया और दोनों चूचो को लंड की तरफ दोनों हाथो से कसके दबा दिया। फिर पंकज चाचा जल्दी जल्दी मेरी माँ की भरी पूरी चूचियों को चोदने लगे। मेरी माँ “आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा..” करने लगी।
“आह भाभी!! तेरी चूचियां तो चूत से भी जादा नशीली है… आऊ…..आऊ…. अहह्ह्ह्हह…सी” चाचा कहने लगे
फिर माँ के पेट पर बैठकर 10” मिनट उसके स्तनों को खूब चोदा। भरपूर मजा ले लिया। फिर जरा सा और आगे बढ़ गये और माँ के मुंह में लंड पेल दिया।
“चूस लो भाभी जान!! मजा आएगा” पंकज चाचा बोले
मेरी माँ अब हाथ से उनके 9” लंड को फेट रही थी और जल्दी जल्दी चूस रही थी। माँ वासना से भरकर अपना सर हिला हिलाकर लंड चुसाई कर रही थी। फिर चाचा जी बेड पर सीधा लेट गये। मेरी माँ बैठ गयी और जल्दी जल्दी झुक कर चाचा जी का मोटा लौड़ा चूसने लगी। चाचा का लंड बिलकुल मर्दाना था जो किसी मोटे खूटे की तरह दिख रहा था। माँ हाथ से उस मोटे खूटे को हिला रही थी, जल्दी जल्दी मुठ दे रही थी और मुंह में लेकर बड़े जोशीले तरीके से चूस रही थी। मेरी माँ चुदासी औरत बनकर लंड के छेद को जीभ लगाकर चाट रही थी। चाचा का लंड अपना माल छोड़ रहा था जिसे माँ चाट रही थी। उनका सुपारा तो कितना गुलाबी और तना हुआ दिख रहा था। मेरी माँ लंड को फेट फेटकर अपने मुंह में गले तक घुसाकर पंकज चाचा का लौड़ा चूस रही थी। फिर उनकी दोनों गोलियों को हाथ से सहला सहलाकर दबाने लगी। फिर दोनों अलग हुए।
“लेट जाओ भाभी!! अपनी चूत दिखाओ” पंकज चाचा बोले
मेरी माँ लेट गयी। अपनी दोनों टांग खोल ली। चाचा जी उनकी बुर का दीदार करने लगे। माँ की चूत गुलाबी गुलाबी मलाईदार दिख रही थी। उस पर एक भी झांट नही थी। पूरी तरह से साफ़ और चिकनी चूत थी माँ की। चाचा जी चुदासी नजरो से कुछ देर माँ की बुर का दीदार करते रहे। फिर जीभ लगा लगाकर चाटने लगे। जल्दी जल्दी चाटते जा रहे थे। माँ की चूत उनके मीठे शहद से भीगी हुई थी जिसे चाचा जी जल्दी जल्दी चूस और चाट रहे थे। ऐसा करने से माँ को बड़ा आनन्द मिल रहा था।
““….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ…मेरे चूत के देवता!! मोटे लंड के स्वामी!! अच्छे से चाटो मेरी रसीली चूत को!! हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” माँ मचल मचलकर कह रही थी।
माँ का भोसड़ा फटा हुआ था क्यूंकि मेरे बाप ने उनको बहुत चोदा था जिसके बाद मैं पैदा हुआ था। माँ के भोसड़े के ओंठ अच्छे से खुल गये थे। दोनों लबो को आज चाचा जी मजे लेकर चूस रहे थे। दोस्तों आज वो मेरी माँ की चूत को खा जाने के मूड में दिख रहे थे। चूत को ऊँगली से खोलकर अपनी जीभ उसमे डाल रहे थे। ये सब रंगीन कार्य करने की वजह से मेरी माँ को आज परम सुख प्राप्त हो रहा था। जो भी रस की बुँदे माँ की चूत से निकलती थी उसे चाचा जी टोमेटो साँस समझकर चाट जाते थे। माँ तो बस “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ…ऊँ…ऊँ….” की तेज तेज आवाजे ही निकाल रही थी।
“भाभी!! अब तेरा गेम बजाऊंगा!!” चाचा जी बड़े जोश में बोले और मुलायम आरामदायक बेड से नीचे उतर गये। मेरी माँ को साइड में खिंच लिया बेड के किनारे।
“चोदो देवर जी!! चोदो मुझे!!” माँ सिसककर बोली
चाचा नीचे जमींन पर खड़े हो गये और माँ के पैर खोले। अपना 9” हथियार माँ के भोसड़े में घुसाया और जल्दी जल्दी सेक्स करने लगा। जमीन पर खड़े होकर चाचा मेरी माँ को बिस्तर पर लिटाकर गपर गपर चोद रहे रहे थे। इस तरह दोनों चुम्बक की तरह आपस में चिपक गये थे। जब चाचा ने लम्बे लम्बे धक्के माँ की मखमली चूत में देने लगे। अब फिर से माँ “ हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ….ऊँ—ऊँ…ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा.. ओ हो हो….” की सेक्सी आहे निकालने लगी। पंकज चाचा 30 साल के मजबूत कद काठी के मर्द थे जो अब माँ के उपर हावी होकर झुक कर जल्दी जल्दी उनका गेम बजा रहे थे। जल्दी जल्दी उनकी चूत फाड़ रहे थे।
“….ऊँ—ऊँ…ऊँ फाड़ो फाड़ो!! और फाड़ो इस हरामजादी चूत को देवर जी!!” मेरी माँ किसी बदचलन औरत की तरह बोल रही थी।
जमीन पर खड़े होकर चाचा अच्छी तरह से माँ को पेल पा रहे थे। उन्होंने चूत में इतने धक्के दिए की माँ की हालत खराब कर दी। फिर किसी जानवर की तरह माँ के 34” की तनी चूचियों को हाथ से पकड़कर दबाने लगे। फिर मुंह में लेकर चूसने लगे।
कुछ देर बाद पंकज चाचा ने मेरी चुदासी माँ को अपनी गोद में उठा दिया। माँ ने अपनी चिकनी खूबसूरत टाँगे उनकी कमर में गोल गोल लपेट दी। चाचा ने फिर से उनकी चूत में लंड घुसा दिया और माँ को गोद में लेकर पेलने लगे। इस तरह से दोनों रोमांस करते रहे। चाचा उनको गोद में झुला झुलाकर पेल रहे थे। माँ तो बस “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” की सेक्सी आवाजे निकाल रही थी। माँ पंकज चाचा के सीने से किसी बिल्ली की तरफ चिपकी थी। वो घबरा रही थी की कही गिर न जाए।
“चिंता न करो भाभी!! मैं आपको गिरने नही दूंगा” चाचा जी बोले
माँ उनके गले में दोनों हाथ डालकर कसके पकड़े थी। मेरे सेक्सी चाचा ने मेरी चुदक्कड माँ को 20 25 मिनट गोद में उठाकर खाया। माँ के खुले काले बाल उनकी जवानी और यौवन में चार चाँद लगा रहे थे।
“चल भाभी!! कुतिया बन!!” पंकज चाचा बोले
अब माँ जमीन पर ही कुतिया बन गयी। पंकज चाचा जल्दी जल्दी माँ की गांड चाटने लगे। कुछ देर तक गर्म किया। फिर गांड में अपना 9” खूटा घुसा दिया। अब माँ की गांड चोदने लगे। मेरी माँ“आआआअह्हह्हह…..ईईईईईईई….ओह्ह्ह्….अई. .अई..अई…..अई..मम्मी….” की सेक्सी आवाजे फिर से निकालने लगी। उनको काफी दर्द हो रहा था। फिर चाचा 10 मिनट गांड चोदे और उसी में झड़ गये। आपको स्टोरी कैसी लगी मेरे को जरुर बताना और सभी फ्रेंड्स नई नई स्टोरीज के लिए नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पढ़ते रहना। आप स्टोरी को शेयर भी करना।