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Bhai ke sath chudai ka khel-5:-पार्ट में आपने पढ़ा मेरी जेठानी बच्चो को लेकर ऑफिस गयी थी. तब मेरे और उनके भाई के बीच रोमांस हुआ और हम सेक्स कर रहे थे. फिर मैंने उनके भाई को सेक्स के दौरान बताया की मुझे और रीमा दीदी को उनका लंड रोज़ चाहिए था. अब आगे.
Pichla part yaha padhen -> भाई के साथ चुदाई का खेल – 4
Bhai ke sath chudai ka khel-5
रुपाली (विजय के कान के करीब जा कर एअर बाईट करके): जब तक आप यही हो तब तक मुझे और रीमा दीदी को चोदते रहना.
विजय (शॉकिंग फेस): रीमा दीदी को क्यों? तुम पागल हो क्या?
रुपाली (चुदवाते हुए): भोले मत बनो आप. कल रात दीदी की चीखें सुनी है. आपने बहुत अच्छे से चोदा है दीदी को. उनका तो पूरा चेहरा खिला दिया अपने. मॉर्निंग में दीदी से बात हुई मेरी. हम दोनों यहाँ अच्छे से एन्जॉय करे इसलिए वो बच्चो को लेकर चली गयी.
विजय: ओह्ह माय गॉड. तो ये आप दोनों की प्लानिंग थी? कब से आप मुझसे चुदवाना चाहती थी?
रुपाली: मेरा तो आप से कोई प्लानिंग नहीं था. पर दीदी को क्या हुआ आपसे चुदवा लिया. उनसे मुझे थोड़ी जलन हो रही थी. ऐसा तगड़ा मर्द मेरी चुदाई न करे ऐसा मैं होने नहीं देती. और आज रात दीदी ने आपके लिए एक सरप्राइज प्लान किया है.
विजय (एक्साइटेड हो कर मेरी ताबड़-तोड़ चुदाई करते हुए): वाओ तुम दोनों तो कमाल की हो. मुझे तो पता नहीं था इंडिया आ कर 2-2 सेक्सी वीमेन मिलेंगी. तुम दोनों की अब मैं अच्छे से लूँगा.
अब विजय ने मुझे घोड़ी बना दिया और पीछे से चूत में लंड डाल दिया. वो मेरे बाल पकड़ कर तगड़ी चुदाई करने लगे. मेरी तो आहह निकल गयी. पूरे रूम में मेरी चीखें गूँज रही थी. क्या चुदाई करते थे वो. विजय ने मुझे डोगी स्टाइल में भी चोदा. मैं 2-3 बार तो झड़ गयी. क्या स्टैमिना था वो बन्दे में. मैं सोच रही थी रीमा दीदी इसीलिए इतने मज़े से चुदवा रही थी. ऐसा मर्द मिले तो सगा भाई हो तो भी क्या फरक पड़ता है. अब विजय ने कुछ ऐसा किया की मैंने कभी किसी से एक्सपेक्ट ही नहीं किया था. उन्होंने मुझे बेड पर सीधा लिटाया और चूत में लंड डाला. फिर गोदी में उठा लिया. मेरे दोनों हाथ उनके गले में थे और पैर कमर पर सपोर्ट कर रहे थे. मुझे तो कुछ समझ में नहीं आया ये क्या हो रहा था. विजय का लंड अभी भी मेरी चूत में था.
अब वो मुझे गोदी में उठा कर खड़े-खड़े चुदाई करने लगे. पूरा लंड चूत में उतर रहा था. मेरी चूत में दर्द हो रहा था. पर ये शैतान थक नहीं रहा था. थोड़ी देर बाद मुझे नीचे उतारा मैं बहुत बुरी तरह थक गयी थी.
रुपाली: आप क्या हो यार? इतनी चुदाई कैसे कर लेते हो. मैं चार बार झड़ चुकी हु. मेरी चूत में सूजन आ गयी.
विजय: रुपाली तेरी जैसी औरत मिल जाये तो दिन-रात चोदता रहू. मैंने लाइफ में कभी तेरी जैसी को नहीं चोदा. बहुत सेक्सी चीज़ हो तुम. मज़ा आ गया तेरी चूत को लेकर. और अब तो तुम्हारी गांड भी फाड़ना बाकी है.
रुपाली (डरते हुए): नहीं प्लीज आपका बहुत बड़ा है दर्द होगा.
विजय: धीरे से करूँगा प्रॉमिस. अब मैं तुम्हारी बड़े प्यार से गांड मारूंगा.
विजय ने मुझे अच्छे से कन्विंस किया की मैं मना नहीं कर पायी. मैंने भी उनको टाइट हग कर लिया. अब हम दोनों किश करने लगे और विजय मेरे पीछे आ गए. फिर वो मेरे दोनों बूब्स को दबाने लगे. मैं मदहोश होने लगी. मैं चूत में होने वाला दर्द भूल गयी. अब विजय ने मुझे नीचे झुका दिया और मेरी गांड ऊपर करके मेरी चूत चाटने लगे. मुझे वो बहुत अच्छा फील दे रहे थे. अब धीरे-धीरे वो चूत से लेकर गांड के छेड़ को चाटने लगे. मैं अपनी गांड चुदवाने के लिए बहुत एक्साइटेड थी. अब उन्होंने गांड में 2 ऊँगली डाली और अंदर-बाहर करने लगे. मेरी तो आहह निकल रही थी. थोड़ी देर बाद मुझसे लंड चुसवाया और पूरा टाइट कर दिया. उसके बाद फिरसे मुझे घोड़ी बना दिया.
अब उन्होंने मेरी गांड पर लंड रखा. मैं थोड़ी डरी हुई थी क्यूंकि पहली बार इतना मोटा लंड गांड में लेने वाली थी. विजय ने 2-3 बार ट्राई किया और थोड़ा लंड गांड फाड़ता हुआ अंदर चला गया. मेरे दोनों पैर कांप गए. बहुत ही ज़्यादा दर्द हो रहा था. मेरी आँखों से आंसू निकल गए पर मैंने सोच लिया था की ऐसा लंड लाइफ में कभी मिले न मिले तो जो भी हो जाये मुझे विजय से सब कुछ करवाना था. विजय ने बड़े प्यार से लंड अंदर-बाहर करना स्टार्ट किया. 20-25 धक्को के बाद मुझे अच्छा लगने लगा. अब विजय ने पूरे जोश में पूरा लंड गांड में उतार दिया. मेरी तो इतनी ज़ोर की चीखें पूरे रूम में गूँज उठी. विजय थोड़ा टाइम होल्ड किया और मैं रिलैक्स हुई तो वो गांड की चुदाई करने लगे. फिर मुझे भी मज़ा आने लगा.
मैं भी पीछे के साइड धक्के मार रही थी. मेरे पर अब विजय के लंड का नशा हो रहा था.
रुपाली: और ज़ोर से चोदो मुझे. मेरी गांड फाड़ डालो. आप ही असली मर्द हो. मैं तो आप से आपकी रंडी बन कर चुदना चाहती हु. आई लव योर फकिंग स्किल. चोदो मुझे.
मेरी बातें सुन कर विजय ने मेरे बाल पकड़ लिए और मेरी गांड में लंड पेलना शुरू कर दिया. 15-20 मिनट के बाद लंड गांड में से निकाला और चूत में डाल दिया. मेरी चूत तो गांड की चुदाई से ही गीली हो गयी थी तो लंड एक झटके में चला गया. 10 मिनट मुझे मिशनरी पोजीशन में चोदने लगे. फिर विजय ने मुझे कहा उनका निकलने वाला था तो मैं नीचे घुटनो के बल बैठ गयी. मैंने उनका लंड चूसने लगी और अच्छे से हिलाने लगी. मैं उनकी आँखों में ऑय कांटेक्ट बना रही थी. मेरे अंदर एक रंडी जाग गयी थी जो अपनी जेठानी के भाई से चुदवा रही थी और लंड चूस रही थी. विजय का बहुत सारा स्पर्म निकला जो मैं पूरा चाट गयी. मेरे फेस पर स्माइल थी और मैं बहुत संतुष्ट थी.
विजय ने भी मुझे स्माइल करते हुए उठाया और मेरे होंठो को चूमने लगे. अब हम दोनों बेड पर सो गए और एक-दुसरे को किश कर रहे थे. थोड़ी देर बाद मैंने जब उठने की कोशिश की तो मुझसे चला नहीं जा रहा था. मेरी गांड में बहुत दर्द हो रहा था. विजय ने मेरी बाथरूम तक जाने में हेल्प की. हम दोनों ने साथ में बाथरूम में हॉट वाटर से शावर लिया. विजय मुझे बहुत अच्छे से ट्रीट कर रहे थे. उन्होंने बहुत प्यार से पूरी बॉडी को टॉवल से पोंछा और मुझे गोदी में उठा कर बैडरूम में ले आये. खुद टॉवल लपेट लिया और मुझे अपने हाथ से ब्रा पैंटी पहना दी. फिर मुझे टी-शर्ट और लेग्गिंग्स पहना दी. उसके बाद मेरे गाल पर किश किया और मुझे आराम करने को बोला.
विजय: रुपाली आप आराम करो. मैं खाना बना कर देता हु. हम साथ में लंच करेंगे.
थोड़ी देर बाद वो मुझे अपनी गोदी में उठा कर टेबल पर ले गए. हमने एक ही प्लेट में खाना खाया. वो मुझे अपने हाथो से खिला रहे थे. ऐसा ट्रीट तो मुझे जिग्नेश ने भी नहीं किया था. मैं थोड़ी इमोशनल हो गयी थी. जब कोई चुदाई के बाद भी इतनी केयर करे तो उसके लिए इज़्ज़त और बढ़ जाती है. लंच के बाद दोनों साथ में बैठ कर मूवी देख रहे थे. मैं तो उनसे चिपक कर बैठ गयी थी. मेरा सर उनके कंधे पर था. हमारे हाथ एक-दुसरे के हाथ में थे. बीच-बीच में हम किश भी कर रहे थे. मैंने कभी सोचा नहीं था की मुझे किसी गैर मर्द से इतना प्यार और इज़्ज़त मिलेगी. जब शाम को रीमा दीदी और बच्चे घर पर आये तब मैं डिनर बना रही थी. रीमा दीदी मेरे पास आयी और मुझे पीछे से पकड़ लिया. मैं डर गयी. मेरे मुँह से विजय निकल गया.
दीदी ने मेरी और नॉटी स्माइल की और मैं शर्मा गयी. रीमा: क्या बात है. तेरा चेहरा बता रहा है आज तूने भी विजय का मज़ा लिया है. कैसे किया? मेरी देवरानी ने अब मुझे और विजय के बीच क्या हुआ सब बता दिया. और मैं कम्फर्टेबल हो गयी. क्यूंकि मुझे डर था की रुपाली को मज़ा नहीं मिला तो वो मेरे लिए खतरा बन सकती थी.
अब नेक्स्ट पार्ट में बताउंगी मैंने और मेरी फॅमिली ने मेरे भाई के साथ कैसे मज़े लिए. आपको स्टोरी अच्छी लगे कमेंट करे.
अगला भाग पढ़े:- भाई के साथ चुदाई का खेल – 6
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