मुझे आपका लंड चाहिए बाबूजी भाग-1| Sasur ne bahu ko pela sex story

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Sasur ne bahu ko pela sex story:- दोस्तों मै आपकी दोस्त नैना आपके लिए एक और कहानी लेकर आई हूँ। यह कहानी है कोमल और उसके ससुर नन्दलाल की. इस कहानी मे आप ससुर और बहू की चुदाई का मज़ा लेंगे। दोस्तों ये कहानी काफी लंबी है और कम से कम 2 से 3 भाग मे पूरी होगी। इस कहानी को पढ़कर आपको मज़ा ना आए तो आप मुझे जो चाहे मुझे बोलना। तो इस ससुर बहू की सेक्स स्टोरी को पढ़के आपको कैसा लगा नीचे कमेंट मे ज़रूर बताना। तो चलिये अब स्टोरी स्टार्ट करते है।

Sasur ne bahu ko pela sex story

मै सबसे पहले कोमल के बारे में आपको बता दूँ – कोमल कानपुर की रहने वाली थी. बरहवीं तक पढ़ी थी वह, पर उसके पिताजी ने आगे पढ़ाई नहीं कराई. बिज़नेस था उनका और काफी पैसा भी उनके पास था. कोमल वैसे भी पढ़ाई की तरफ आकर्षित नहीं थी. नौकरी का तो घरवालों ने सोचा भी नहीं थी और ना ही कोमल कोई ज़िद्द करने वाली थी. 23 उम्र में कोमल का बदन भरा हुआ था. 36 की 26 की कमर और 38 की गांड हो गयी थी. काफी नखरों में पली थी कोमल. उसका व्यवहार भी कोमल ही था. उसके पिता किशोरीलाल ने अपने बचपन के दोस्त नन्दलाल के बेटे से बात चलाई. नन्दलाल कानपूर के आउटलेट पे रहते थे उनका बेटा उमेश मुंबई में पिता का कारोबार संभालता था. नन्दलाल की पत्नी और उमेश की माँ मर चुकी थी. नन्दलाल ने ही उमेश को पाला बड़ा किया था. नन्दलाल बिज़नेस मैन हैं कानपूर के पर अब सब उमेश ही संभालता है। नंदलाल फ्री विचारों के वेल बिल्ट मेल है 48 की उम्र में भी वह जवान है. शादी जल्दी हो गयी थी और पत्नी की मौत समय से पहले तो नन्दलाल के काफी सपने अधूरे रह गए थे जो शायद अब पूरे होने वाले थे.

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रामवती (35 साल) नंदलाल की काम वाली, पकाने वाली, मालिश करने वाली और हाउसकीपर भी. दो साल पहले ही नन्दलाल के घर का हिस्सा बनी और नन्दलाल के बैडरूम का भी.

मनु 36 साल नंदलाल का ड्राइवर यह पांच साल से नन्दलाल के साथ है. यह सब जानता है और जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ेगी आप जान जाएंगे यह कैसा मनचला फ्री माइंडेड और रंगीला इंसान है.

जमुना 40 साल नंदलाल की बहन यह भी कानपूर में अपने पति के साथ रहती है. नन्दलाल और इसकी कहानी भी बड़ी दिलचस्प है.

अब आगे बढ़ते है –कोमल को उमेश के घर आये हुए एक साल हुआ था. उमेश कारोबार संभालता और कानपुर और मुंबई में शफल करता। कोमल रामवती के साथ घर का काम संभालती और नन्दलाल थोड़ा बहुत हिसाब किताब देख लेता, कभी क्लब चला जाता, कभी घर में ही रहता. एक्सरसाइज का बड़ा शौक था और एक जिम घर में भी बना लिया था. कोमल भी वहाँ कभी कभी लाइट एक्सरसाइज कर लेती. कोमल घर में कभी शलवार कमीज तो कभी साडी पहनती और रात को मैक्सी. पल्लू शादी कुछ महीने बाद ही छूट गया था, जब नन्दलाल ने उसे मना किया था. वह नए ज़माने की औरत थी और नन्दलाल यह समझता था. उमेश इन दिनों घर पे ही था. अभी मुंबई का प्रोग्राम बना नहीं था. दोनों बाप बेटे काफी करीब थे दोस्त जैसे. नन्दलाल ने अभी अभी नाश्ता किया था जो रामवती ने परोसा था। एक दम से नन्दलाल को कुछ सुनाई दिया कोमल और उमेश के कमरे से. आवाज़ें बाहर तक आ रही थी, जो नन्दलाल और रामवती सुन रहे थे. Sasur ne bahu ko pela sex story

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कोमल – इसीलिए तो मुंबई में ज़्यादा समय बिताते हो. ऐसा ही था तो शादी क्यों की. ?

उमेश – दोस्त हैं हम दोनों, इससे आगे सोचने की ज़रुरत नहीं.

कोमल – यह ऐसी तसवीरें निकालते है दोस्त.

उमेश – हाँ एक दोस्त की पार्टी में खींची गयी थी.

कोमल – ठीक है मनाओ पार्टी मुंबई में. अब की बार आने की जल्दी नहीं करना. हम रह लेंगे.

नन्दलाल ने रामवती का चेहरा देखा इतने में उमेश भी नाश्ता करने आ गया और नन्दलाल के सामने बैठा. नन्दलाल ने रामवती को नाश्ता परोसने को बोल दिया उमेश को और उसे इशारे से वहाँ से जाने को कहा.

नन्दलाल – सब ठीक?

उमेश – हाँ बाबूजी! बस वह राधिका के बारे में! आप जानते हैं न उसे! सिंह साब की बेटी! फ्री है थोड़ी सी! कोमल यूँ ही।

नन्दलाल – बहु को मना उमेश. राधिका का छोड़! वह भी तो शादी शुदा है! तू अपनी शादी संभाल. अगर तुझे ठीक लगे तो कोमल को वहीँ ले जा मुंबई.

उमेश – बाबूजी आपको पता है मैं कभी मुंबई कभी पौंआ, कभी गुजरात, ट्रेवल करता हूँ. एक जगह नहीं रहता. कोमल को कैसे.

नन्दलाल – भाई तू जान और तेरी पत्नी. मैंने भी बहुत ट्रेवल किया है. पर तेरी माँ को शिकायत का मौका कभी नहीं दिया.

उमेश – कैसे बाबूजी. आप ने यह सब कैसे मैनेज किया. ?

नन्दलाल – खुली किताब बन के, किसी दिन तुझे समझाऊंगा. अगर समझ के मेरी बात हैंडल कर पाया तो ज़िन्दगी में मज़ा आएगा.

उमेश – मैं समझा नहीं बाबूजी.

नन्दलाल – तू नाश्ता कर के दूकान पे जा. रात को एक एक पैक लगाके बात करेंगे.

उमेश – पिलायेंगे और क्लास भी लेंगे मेरी.

नन्दलाल – ऐसे ही समझ, पर मेरा फार्मूला कामयाब हुआ था. देखते है तेरा क्या होता है.

उमेश – ठीक है. रात को फिर क्लास में मिलते हैं.

नन्दलाल और उमेश मुस्कुराये. उमेश चला गया नन्दलाल बंगले के बरामदे में पेपर पढ़ने आ गए. कुछ देर बाद कोमल वहाँ आयी चुप सी थी. नन्दलाल ने उसकी तरफ देखा.

कोमल – बाबूजी कुछ दिन के लिए मैं मायके जाना चाहती हूँ.

नन्दलाल ने पेपर नीचे रखा और उसे देख के मुस्कुराये.

नन्दलाल – उससे कुछ ठीक नहीं होगा.

कोमल – मैं समझी नहीं बाबूजी.

नन्दलाल – बैठ! मैं समझाता हूँ.

कोमल उनकी बगल वाली कुर्सी पे बैठ गयी.

नन्दलाल – देख मैंने सब सुन लिया.

कोमल थोड़ी सी ऐम्बर्रेस्सेड थी वह नीचे देखने लगी.

नन्दलाल – देख पति पत्नी में ऐसा होना चाहिए, पर ज़्यादा नहीं. जब मैं उमेश की उम्र का था मैं भी काफी बाहर रहता था. लोगों से मिलता था और लड़कियों से भी.

कोमल अचानक से उनके चेहरे को देखती है.

नन्दलाल – खुला छोड़ दे अपने पति को.

कोमल उनकी बात समझ नहीं पायी.

नन्दलाल – उसे बाँध के रखेगी तो वह गलती करेगा अगर बांधना है तो अपने प्यार से बाँध फिर वह बंधा रहेगा.

कोमल – बाबूजी आप ने वह तसवीरें देखी नहीं है. इसीलिए आप.

नन्दलाल – बहु! देखने की ज़रुरत नहीं है. पर तुझे मेरी बात समझना होगी.

कोमल – कहिये बाबूजी.

नन्दलाल – बेटी एक बात तू ध्यान से सुन ले, तेरी शादी इस घर में हुई है तेरा अच्छा बुरा मैं देखूंगा, तेरे पिताजी नहीं. तू फिर से मायके जाने की बात नहीं करेगी.

कोमल ने हाँ में सर हिला दिया.

नन्दलाल – चल अच्छा है यह बात तो समझ गयी. अब दूसरी बात! और देख अब हम दोस्त की तरह बात कर रहे हैं. ससुर और बहु नहीं! ठीक?

कोमल ने फिर हाँ में सर हिला दिया.

नन्दलाल – अब सोच तू उमेश है और मैं कोमल! ठीक?

कोमल ने सवालिया नज़रों से देखा उनको.

नन्दलाल – मैं समझाता हूँ इतना टेंशन मत ले. देख अगर बोल रहा हूँ और एक दोस्त की तरह समझा रहा हूँ. मेरी बात का बुरा नहीं मानना.

कोमल – नहीं मानूंगी बाबूजी. आज आप से बात करके दिल हल्का हो रहा है.

नन्दलाल – देख कुछ बातें दिमाग को खुला रख के सुनी और समझी जाती हैं. ठीक?

कोमल हाँ में सर हिला दी.

नन्दलाल – अगर मैं कोमल हूँ और तू उमेश और तुझसे कोई गलती हो जाती है राधिका वाले मामले में. सोच के कुछ ऐसी सिचुएशन बनती है मुंबई मे और तुझे राधिका के साथ सोना पड़ता है.

कोमल एक दम से सकपका गयी, शर्मा भी रही थी और दंग भी थी, के नन्दलाल उससे ऐसी बातें कर रहा है. ऐसा पहले तो नहीं हुआ था.

नन्दलाल – चौंक गयी?

कोमल ने हाँ में सर हिला दिया.

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नन्दलाल – और तू सो गयी राधिका के साथ और मुझे मैं कोमल हूँ यह बात मालूम पड़ती है मेरा तुझसे क्या सवाल रहना चाहिए? तू बता.

कोमल – मै. मैं. मैं बाबूजी क्या पूछूँगी? मर जाउंगी मैं तो.

नन्दलाल – नहीं जानती है तेरी सास ने क्या पूछा था मुझसे? जब मुझसे यह गलती हुई थी. ?

कोमल ने ना में सर हिला दिया.

नन्दलाल मुस्कुराये.

नन्दलाल – उसने पूछा कैसा लगा किसी और के साथ? और तेरी सास यह अच्छे से पूछ रही थी गुस्से में नहीं.

कोमल – उन्होंने ऐसे कहा?

नन्दलाल – हाँ! और मैं सकपका के रह गया. कुछ न कह सका. मैं सोचता रहा के उसने ऐसे क्यों पूछा. और फिर दो दिन बाद उसने असली बम गिराया.

कोमल – क्या बाबूजी! मैं समझी नहीं.

नन्दलाल – उसने कहा अगर उससे कोई गलती हो जाती है तो मुझे भी वही सवाल करना पड़ेगा जो उसने मुझसे किया था.

कोमल दंग रहके उनका चेहरा देखने लगी.

नन्दलाल – उसके बाद मेरी ऐसी मजाल कभी नहीं हुई. मैं उसे सब कुछ बताने लगा एक खुली किताब बन गया और हम एक दूसरे के और करीब आ गए. उसके बाद हमने सिर्फ एन्जॉय किया अपनी लाइफ में. यह समझ कर के हम हमेशा से एक दूसरे के ही रहेंगे चाहे कितने लोग हमारी ज़िन्दगी में क्यों न आएं हम साथ ही रहेंगे खुश. एक दूसरे के साथ.

कोमल – तो आपका मतलब है मैं भी उमेश को वह गलती करने दूँ. ?

नन्दलाल – नहीं बहु! पर तू उसे रोक भी तो नहीं पाएगी. ज़िन्दगी का क्या भरोसा. मेरी बात तू समझी नहीं. देख अगर तुझे पता चला तो तू उससे पूछेगी न अगर पता ही नहीं चला तो क्या करेगी. Sasur ne bahu ko pela sex story

कोमल – मैं कंफ्यूज हूँ बाबूजी.

नन्दलाल – मेरे यह कहने का मतलब है के जब आग नहीं लगी है तो पानी की बाल्टी क्यों भरना. वह जो करता है करे! तू क्यों टेंशन लेती है फ़ालतू में. तेरा इतना बड़ा घर है तेरे बाबूजी हैं तू जो चाहती है वैसे ही होता है इस घर में तो तू खुश रह न. क्यों टेंशन लेना फ़ालतू का? जब कुछ होगा और तुझे मालूम पड़ा तब देखेंगे क्या करना है. तब तक तो तू आराम से अपनी लाइफ एन्जॉय कर, खा पी, शॉपिंग कर दिल बहलाये रख.

कोमल – बाबूजी एक बात पूछूं अगर बुरा नहीं लगे तो. ?

नन्दलाल – मैंने पहले ही कहा था हम दोस्त जैसे बात कर रहे हैं! है ना?

कोमल – बाबूजी अगर माँ जी भटक जाती तो, क्या आप उन्हें माफ़ करते. ?

नन्दलाल ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा कोमल उसके यह रिस्पांस से चौंक गयी नन्दलाल ने हंसना बंद किया.

नन्दलाल – मैंने कहा ना के हम और करीब आ गए और लाइफ एन्जॉय करने लगे. तूने पूछा नहीं कैसे.

कोमल – मैं पूछने वाली थी पर डर गयी.

नन्दलाल – तू डर गयी और यहां मैं दोस्त की तरह तुझसे बात कर रहा हूँ! बात करू या नहीं?

कोमल – सॉरी बाबूजी.

नन्दलाल – दोस्ती में नो सॉरी नो थैंक यू. चल बताता हूँ. तेरी सासु माँ मुझसे पूरा खुल गयी और मैं उससे. हम एक दूसरे से कुछ भी बात करते मेरा मतलब है पति पत्नी के सम्बन्ध को लेके.

कोमल थोड़ा शर्मायी.

नन्दलाल – देख शर्मा मत. अब तू भी शादी शुदा है. यह सब समझ सकती है! है ना?

कोमल ने हाँ में सर हिला दिया.

नन्दलाल – देख जब नयी नयी शादी होती है ना तो पहले एक साल बहुत अट्रैक्शन रहता है, फिर धीरे धीरे बच्चे होते हैं और फिर इतनी ज़िम्मेदारियाँ बढ़ जाती है के पति पत्नी बस अपने अपने किरदार निभाते हैं. रिश्ते में बदलाव आता है जो पति पत्नी एक दूसरे के बदन के दीवाने थे कुछ साल बाद एक दूसरे को हाथ तक नहीं लगाते. तूने भी देखा होगा यह.

कोमल – हाँ.

नन्दलाल – कहाँ?

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कोमल – अपने ही घर में बाबूजी. पिताजी हमेशा माँ को डांटते ही रहतें हैं और माँ भी उनसे हमेशा नाराज़ रहती है.

नन्दलाल – देखा तू ने यह सब इतने करीब से देखा और तू ही नहीं समझ पा रही है.

कोमल – बाबूजी प्लीज खुल के बताईये ना आप और माँजी ने क्या किया.

नन्दलाल मुस्कुराये और कोमल की तरफ देखा.

नन्दलाल – सुन पाएगी?

कोमल – आप ने ही कहा हम दोस्त हैं.

नन्दलाल मुस्कुराये फिर से उसकी बात पे.

नन्दलाल – हम ने हमारी सेक्स लाइफ खोल दी.

कोमल – मतलब?

नन्दलाल – मतलब तेरी सास ने मुझे छूट दे दी और मैंने उसे.

कोमल – बाबूजी. यह! यह! आप क्या कह रहे हैं. ?

नन्दलाल – सच बता रहा हूँ बहु! जब एक पति पत्नी यह मान के चलते हैं के उन्हें कुछ बाँध रहा नहीं है तो वह एक दूसरे के और करीब आ जातें हैं. मैंने और तेरी सास ने ऐसा ही किया. Sasur ne bahu ko pela sex story

कोमल – मलतब आप दोनों किसी और के साथ.

नन्दलाल – किसी और के साथ नहीं बहुतों के साथ किया.

कोमल – बाबूजी? पर इससे आप दोनों करीब कैसे आये.

नन्दलाल – करीब भी आये और एन्जॉय भी करने लगे के हम दूसरों की तरह एक खुशहाल शादी का ढोंग नहीं करते. सही में खुश रहतें हैं. देख बेटा जब तक एक इंसान का बदन खुश है न उसका दिमाग खुश रहता है. जिस दिन शादी में सेक्स बंद हो गया समझ लेना शादी ख़तम. और एक इंसान के साथ तुम कितने साल सेक्स एन्जॉय कर सकते हो. एक! दो! पता नहीं कितने.

कोमल – बाबूजी मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है.

नन्दलाल – अब उसका कोई इलाज नहीं है बहु मेरे पास.

कोमल – पर मैं क्या करू बाबूजी. मेरा प्रॉब्लम हल कैसे होगा.

नन्दलाल – तेरे टेंशन ना लेने से. उमेश तुझे खुश रखता है न.

कोमल ने हाँ में सर हिला दिया.

नन्दलाल – तो अच्छा है और जब तक खुश रखता है तू रह, और नहीं रख पाया तो भी उदास मत हो, यह मत कह के मैं मायके जाना चाहती हूँ, उससे कुछ हल नहीं होता. तू बात कर उमेश से अगर बात वहाँ तक पहुंची तो. उसे पूछ के वह बाहर एन्जॉय करना चाहता है तो उसे छूट दे. और अगर तुझे प्रॉब्लम नहीं है तो तब ही कर. या फिर मेरे और तेरे सास जैसे दोनों एन्जॉय करो साथ में किसी और के साथ. पर हर हालत में टेंशन न लो और अपने बदन को संतुष्ट रखो! दिमाग ठीक रहेगा.

कोमल – बाबूजी! आप को लगता है उमेश इसके लिए.

नन्दलाल – अरे वह तो खुश हो जाएगा! पर देख बहु यह उन लोगों के लिए है जो इसे हैंडल कर सकतें हैं सब के लिए नहीं. इसमें डर भी रहता है.

कोमल – मैं जानती हूँ बाबूजी! दो धारी तलवार है.

नन्दलाल – अब की न समझदारी वाली बात. देख अभी तू उमेश से झगड़ मत. अगर वह मुंबई जा रहा है तो अच्छे से मुस्कुराके भेज उसे और उसके आने के बाद भी कुछ पूछ मत. सवाल शादी के लिए अच्छे नहीं होते. और सच छुपता नहीं है. तू औरत है तू आसानी से पकड़ लेगी अगर कुछ गड़बड़ है तो.

कोमल उसकी बातें ध्यान से सुन रही थी.

नन्दलाल – और उमेश मेरा बेटा है! कॉलेज में उसकी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं थी. वह जान बूझ के अपनी शादी को खराब नहीं करेगा और मैंने मुंबई को करीब से देखा है वहाँ ना चाहते हुए भी कुछ ऐसी बातें करना पड़ती है. वह किसी से प्यार नहीं करेगा प्यार तो तुझसे ही करेगा. मेरा यकीन कर. और तू अपने आप को कम मत समझ. मुंबई की किसी लड़की से तू कम नहीं है.

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कोमल हल्का सा मुस्कुरा देती है.

कोमल – आपने पहले मुझसे बात क्यों नहीं की बाबूजी. आज आपसे बात करके ज़िन्दगी आसान लगने लगी है.

नन्दलाल – ज़िन्दगी को भाव मत दे बहु. उसे अपनी जगह पे रख. तब मज़ा आएगा. समझी.

कोमल ने मुस्कुराके हाँ में सर हिला दिया.

नन्दलाल – अब चाय पीने का बड़ा मन कर रहा है.

कोमल – मुझे भी! मैं बनाती हूँ! अभी लायी.

कोमल उठी और पलटी पहली बार नन्दलाल ने उसकी कमर और उसका बदन इतने गौर से देखा था उसे अच्छा लगा. तीन दिन बीत गए उस दिन की बात को उमेश मुंबई चला गया कोमल के स्वभाव में बदलाव आने लगा वह नन्दलाल के साथ ज़्यादा बात करने लगी। उमेश से भी फ़ोन पे बात करती पर सवाल नहीं करती। मुस्कुराती और खुश रहती घर के काम में बिजी रहती. आज सैटरडे था और हर सैटरडे की तरह नन्दलाल क्लब जाने की तैयारी कर रहे थे। शाम के छह बज रहे थे और कोमल उनके कमरे में चाय देने आयी. Sasur ne bahu ko pela sex story

नन्दलाल – उमेश का कोई फ़ोन आया?

कोमल – कल आया था बाबूजी! वह अहमदाबाद के लिए निकल रहे थे, राधिका साथ थी.

नन्दलाल – बिज़नेस पार्टनर की बेटी है.

नन्दलाल कोमल के सामने आये और उसके कंधे पे हाथ रख दिया.

नन्दलाल – बुरा लग रहा है.

कोमल – नहीं बाबूजी. वह जो भी करें अगर बोल के करें तो अच्छा लगेगा.

नन्दलाल – और अगर वह आगे बढ़ गया तो राधिका के साथ.?

कोमल – बोलेंगे तो अच्छा रहेगा! मैं मना कर नहीं सकती हूँ और करुँगी भी नहीं! आप की बातें मान के, बस टेंशन नहीं लूंगी.

नन्दलाल – उसकी याद आती है?

कोमल – क्यों नहीं आएगी बाबूजी.

नन्दलाल – वैसे नहीं.

कोमल – मैं समझ गयी आपका कहना बाबूजी.

वैसे भी आती है! बूढी तो नहीं हूँ ना.

नन्दलाल – बिलकुल नहीं है! पता है जब दिल भारी हो तो क्या करना चाहिए?

कोमल – क्या बाबूजी?

नन्दलाल – अपने बाबूजी के साथ बैठ के बातें करना चाहिए. यह अभी कायदा बनाया है.

कोमल मुस्कुराती है.

कोमल – करना तो मैं भी चाहती हूँ बाबूजी. पर आप तो क्लब जा रहे हैं.

नन्दलाल – तो चल नहीं जाता. आज रामवती और मनु भी नहीं हैं हम दोनों खूब बातें करेंगे.

कोमल – सच! आप क्लब नहीं जाएंगे?

नन्दलाल – कह दिया बहु! पर आज सुबह लेट उठा था. एक्सरसाइज नहीं कर पाया. वहीँ जिम में चलते हैं उधर मैं एक्सरसाइज करूँगा और तू बातें.

कोमल – क्या बाबूजी! यह ठीक थोड़ी है, आप एक्सरसाइज करेंगे और मैं बातें?

नन्दलाल – तो तब ही एक्सरसाइज कर ले मेरे साथ, अच्छा ही है घर में बैठे रहने से मोटापा आ जाएगा.

कोमल – तो अब मैं आपको मोटी दिखती हूँ.

नन्दलाल – अरे नहीं बहु! पर हो तो सकती है. अभी आदत लगेगी एक्सरसाइज की तो मोटापा छुएगा तक नहीं.

कोमल – पर कपडे नहीं हैं मेरे पास जिम में पहनने के लिए.

नन्दलाल – मैं देता हूँ, तेरी सास के हैं, टी-शर्ट और ट्रैक पैंट! देख!

नन्दलाल कप्बोर्ड के पास गए और खोल दिया नीचे कैबिनेट से एक काला पतला टी-शर्ट निकाला और पतली पैन्ट्स उन्होनें कोमल को दिखाया.

कोमल – बाबूजी यह काफी पतले और छोटे लगते हैं. मैं आपके सामने इन में?

नन्दलाल फिर अपने हाथ कोमल के कंधे पे रखतें हैं.

नन्दलाल – मुझे अच्छा लगेगा! अगर तू अपनी सास के कपडे पहनेगी तो.

कोमल – फिर छोटे ही सही बाबूजी! मैं पहनूंगी।

नन्दलाल – जा पहन ले और जिम में आ जा मैं भी चेंज करके वहीँ आता हूँ।

कोमल – ठीक है बाबूजी!

कुछ देर बाद नन्दलाल अपनी लंगोट में जिम पहुँच गए उन्होनें डम्बल्स उठाना शुरू कर दिए। दो मिनट बाद कोमल पहुंची, पर अंदर आने से शर्मा रही थी, नन्दलाल उसके पास दरवाज़े तक गए। कोमल अपने हाथों से अपना सीना छुपा रही थी.

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नन्दलाल – बहु अगर ज़्यादा ही अनकम्फ़र्ट हो, तो कुछ और पहन लो, तुम्हारी मर्ज़ी का.

कोमल – नहीं बाबूजी ठीक है! मैं अपने हाथ हटाती हूँ.

जैसे ही कोमल ने अपने हाथ हटाए नन्दलाल का दिमाग खराब हो गया, उसकी आधी चूचियां बाहर थी, चूत के पास की जगह ट्रैक में कसी हुई थी कपडा बदन से चिपक गया था बदन और कपडे में ज़्यादा अंतर नहीं था.

नन्दलाल – बहु मैं फिर कहता हूँ अगर अनकंफर्ट हो तो चेंज कर लो.

कोमल – नहीं बाबूजी. आज से इसी में आपके साथ एक्सरसाइज करुँगी और इसमें परफेक्ट बैठ के बताउंगी.

नन्दलाल – यह हुई न बात. चल आजा. तुझे थोड़े फ्री हैंड कसरतें बताऊँ.

नन्दलाल कोमल को अंदर ले जाता है कोमल उसके लंगोट को गौर से देखती है ऊपर से नन्दलाल कुछ नहीं पहने थे. अंदर पहुँच के बहुत सारा इक्विपमेंट देख रही थी. कोमल ने नन्दलाल ने उसे इशारा किया.

नन्दलाल – यह सब मत देखो बहु! तुम्हारे काम का बस वॉकर है, पर उससे भी पहले तुम्हारी बॉडी फ्री करनी होगी फ्री हैंड एक्सरसाइज से. उसके बाद वॉकर! ठीक है?

कोमल – जैसे आप कहें.

नन्दलाल – तो अब मुझे फॉलो करो ऐसे दोनों हाथ ऊपर फिर नीचे फिर ऊपर फिर नीचे.

कोमल – ऐसे?

नन्दलाल – बिलकुल सांस अंदर और बाहर एक ले से लो.

ऐसे.नन्दलाल कोमल को गाइड करते हुए खुद भी कर रहा था। कुछ देर बाद कोमल का पसीना छूटने लगा, नन्दलाल ने उसे रोका.

नन्दलाल – चलो अभी चेंज करते हैं.

नन्दलाल अब झुकते हैं और अपने घुटने अपने हथेली से छूते हैं.

नन्दलाल – अब कुछ देर यह करो. कोमल जैसे झुकी नन्दलाल के सामने उसकी अब आधे से भी ज़्यादा बाहर आती चूचियां दिखने लगी. कोमल ने उनकी नज़रों को देखा पर रुकी नहीं, नन्दलाल भी करते रहे, अब कोमल रुक गयी.

कोमल – बाबूजी नहीं हो रहा है बदन दर्द कर रहा है.

नन्दलाल – तो बस कर दो बहु. पहला दिन है. आज के लिए इतना ही काफी है. कल देखेंगे.

कोमल – थैंक्स बाबूजी. मैं थोड़ा स्नान कर लेती हूँ. पसीना आ गया है.

नन्दलाल – हाँ बहु! मैं भी आता हूँ थोड़ी देर में. फिर बैठते हैं साथ.

कोमल नीचे चली जाती है नन्दलाल उसके नितम्ब को घूरते रहतें हैं फिर कसरत करने लगते हैं. आधे घंटे बाद नन्दलाल नहा के और चेंज करके कुर्ते पयजामे में नीचे आतें हैं, कोमल चाय लेके आती है आँगन में, शलवार कमीज में. Sasur ne bahu ko pela sex story

कोमल – पहली चाय तो पी नहीं आपने इसीलिए और बना लायी.

नन्दलाल – तुझे कुछ कहना नहीं पड़ता है बहु. समझ जाती है तू.

कोमल मुस्कुराके उनके हाथ एक चाय का प्याला दी और उनके सामने कुर्सी पे बैठके खुद एक कप ले ली. दो चुस्कियों के बाद उसने नन्दलाल का चेहरा देखा.

कोमल – बाबूजी. आप से एक बात पूछूं?

नन्दलाल – अरे पूछ ना, हर बात के लिए परमिशन चाहिए क्या. ?

कोमल हंस दी. कोमल – बाबूजी! आप और माँ किस किस के साथ.

नन्दलाल मुस्कुराये और उसका चेहरा देखे.

नन्दलाल – वह सब तू सुन के क्या करेगी बहु? और वह सब डिटेल्स देने में मैं भी कतराऊंगा.

कोमल – अच्छा! तो अब हम दोस्त नहीं है न?

नन्दलाल – बहु! ऐसी बात नहीं है!

कोमल – तो खुल के बताईये न बाबूजी! आज तो यहां कोई सुनने वाला भी नहीं है.

नन्दलाल – बहु तू बहुत ज़िद्दी है. शर्मा जायेगी तू.

कोमल – ट्रैक सूट में तो नहीं शर्मायी ना! तो अब क्यों शर्माउंगी?

नन्दलाल – ठीक है. जब कुछ ज़्यादा हो रहा होगा तेरे लिए तो रोक देना.

कोमल – ठीक है.

नन्दलाल – तो सुन. तू सच में सुन्ना चाहती है.

कोमल – बाबूजी. कहिये न! अब आप शर्मा रहे हैं.

नन्दलाल – अच्छा बाबा. अब नहीं शर्माता बस. सुन. तेरी सास और मैं एक दूसरे से काफी कुछ डिसकस करते थे. खुलके बात करते थे.

कोमल – बाबूजी मेन मुद्दे पे आईये न. यह सब तो आप कह चुके हैं पहले भी.

नन्दलाल – तू है न बड़ी खराब है. अपने बाबूजी को सता रही है.

कोमल – सताऊँगी नहीं तो आप नहीं बताएँगे. दोस्त! याद है न.

नन्दलाल – हाँ हाँ याद है. ठीक है. तेरी सास अदला बदली के लिए राज़ी थी.

कोमल – क्या? अदला बदली?

नन्दलाल – देख अब तू रोक रही है.

कोमल – अच्छा अच्छा सॉरी. कहिये.

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नन्दलाल – तो हम मिले मेरे अच्छे दोस्त और उसकी बीवी से. फिर क्या था. अदला बदली हो गयी.

कोमल – बाबूजी. यह गलत हैं हाँ. आप कुछ नहीं बता रहे.

नन्दलाल – तो तू क्या कमरे के डिटेल्स भी लेगी. समझ जा न के कमरे में क्या हुआ होगा.

कोमल – ठीक है बाबूजी. आप को नहीं बताना है तो छोड़िये. मैं भी कहाँ आपको दोस्त बना बैठी थी.

नन्दलाल – अरे तू तो नाराज़ हो रही है. चल तुझे जो डिटेल्स चाहिए न वह तस्वीरों में बताता हूँ.

कोमल – मतलब. – आप ने तसवीरें खींची.

नन्दलाल – हाँ! हम एक दूसरे के साथ फ्री थे.

कोमल – तो कहाँ है तसवीरें. ?

नन्दलाल – कुछ मोबाइल में है कुछ सीडी में कुछ असली फोटो हैं.

कोमल – बाप रे. आप और माँ तो.

नन्दलाल – काफी एन्जॉय किये. अब तुझे दिखाऊं की न दिखाऊं यह सोच में पड़ा हूँ.

कोमल – अगर आपने नहीं दिखाया तो मैं आपसे बात नहीं करुँगी.

नन्दलाल – नंगी तसवीरें हैं बहु. कैसे दिखाऊं. ?

कोमल – जैसे एक दोस्त दूसरे दोस्त को दिखाता है.

नन्दलाल – तुझे प्रॉब्लम नहीं होगा. ?

कोमल – नहीं होगा बाबूजी. आप के कहने पे मैंने ट्रैक सूट पहन लिया. तो अब इससे आगे शर्माने की बात क्या. ?

इतना सुनके नन्दलाल खड़े हो गए कोमल जैसे ही खड़ी होने वाली थी, उसकी कमर में हल्का सा दर्द आया, नन्दलाल ने झटके में उसकी कमर संभाल ली और उसे सहारा दिया.

कोमल – वह एक्सरसाइज भारी पड़ गयी.

नन्दलाल का हाथ कोमल की कमर को जकड़े हुए था, कोमल उनके सहारे खड़ी हुई और अपना हाथ उनके कंधे पे रख लिया.

कोमल – अब ठीक है!

नन्दलाल – क्या ठीक है. मैं तुझे गरम पानी की थैली देता हूँ तू आराम कर.

कोमल – यह कहिये के आपको बचना है! है न! मैं तो ठीक हूँ.

नन्दलाल – तू बड़ी चंट है. क्या करू मैं तेरा. ?

कोमल – तसवीरें दिखा दीजिये.

नन्दलाल – नंगी तसवीरें देखने का बड़ा शौक हो रहा है. ?

कोमल – हम्म्म्म! हो रहा है.

नन्दलाल – और कमर का दर्द. ?

कोमल – ठीक हो जाएगा.

नन्दलाल उसकी ज़िद्द के सामने हार गए! कोमल उनके सहारे से उनके साथ उनके कमरे के तरफ चलती गयी। उसे अपने बेड पे बिठाके नन्दलाल अपने कप्बोर्ड के लॉकर से दो मोटी एल्बम निकाले और अपना मोबाइल भी लेके आये.

नन्दलाल – अपनी कमर को सहारा दो बहु कोहनी पे आधा लेट जाओ.

कोमल ने उनकी बात मानी और बेड पे चढ़के अपने बांयी कोहनी तकिये पे रखके आधा लेट गयी। नन्दलाल अपनी सीधी कोहनी पे सहारा लेते हुए उसके सामने लेटे और सब बीच में रख दिया. उन्होनें कोमल का चेहरा फिर से देखा.

नन्दलाल – क्यों करा रही हो मुझसे यह सब?

कोमल – बाबूजी मेरी खुशकिस्मती है के मेरा दोस्त मेरे ससुर ही हैं. अब तो आप दोस्त ज़्यादा लगते हैं और ससुर कम.

नन्दलाल – ऐसी बातें करना कहाँ से सीखी बहु?

कोमल – कुछ सोहबत का भी असर होता है बाबूजी. अब दिखाईये न.

नन्दलाल – मोबाइल से खींची देखेगी या सीडी या फोटो.

कोमल – सब.

नन्दलाल – मैं क्लब जाता तो ठीक होता.

कोमल – अब फँस गए हैं तो पूरा फंसिए. दिखाईये.

ससुर बहू चुदाई कहानी हिन्दी

नन्दलाल एक एल्बम खोलते हैं. कोमल की आँखें फटी की फटी रह जाती हैं उसमें नन्दलाल और उसकी सास उनके दोस्त और पत्नी के साथ बिलकुल नंगे हैं नन्दलाल का लंड उनकी दोस्त की पत्नी चूस रही है और उनकी पत्नी को उनके दोस्त चाट रहे हैं। Sasur ne bahu ko pela sex story

कोमल नन्दलाल की तरफ देखती है.

नन्दलाल – क्या हुआ? तुझे ही देखना था कहा था न. चल रख देता हूँ.

कोमल – अरे नहीं बाबूजी मैं सब देखूंगी.

नन्दलाल – अरे एक देख लिया तो सब देख लिया थोड़ी कुछ नया है दूसरी तस्वीरों में.

कोमल – होगा बाबूजी नहीं तो आप नहीं खींचते मैं बाद में आपके साथ सीडी भी देखूंगी.

नन्दलाल – अरे बाप रे. चल देख जल्दी जल्दी.

कोमल – आराम से देखूंगी. अब तो देख लिया आपको. अब कैसी शर्म.

नन्दलाल – अच्छा बाबा आराम से देख. मैं नीचे आँगन में टहलके आता हूँ.

कोमल उनका हाथ पकड़ के रोक देती है.

कोमल – मेरे साथ बैठिये न बाबूजी. आप भी पुरानी यादें ताज़ा कीजिये.

नन्दलाल – पुरानी यादें ताज़ा करने में एक प्रॉब्लम है बहु.

कोमल – क्या बाबूजी?

नन्दलाल – यादें तो ताज़ा हो जाएंगी पर कुछ और ताज़ा हुआ तो क्या करेंगे.

कोमल उनका इशारा समझ लेती है और मुस्कुराके तसवीरें देखने लगती है। दूसरी तस्वीर में नन्दलाल उनकी दोस्त की पत्नी को पीछे से चोद रहे हैं. कोमल नन्दलाल का हाथ पकड़ती है.

कोमल – बाबूजी सीडी लगाते हैं न.

नन्दलाल – क्यों अब तस्वीरों से दिल भर गया?

कोमल – नहीं. यह बाद में देख लूंगी. सीडी देखते है न.

नन्दलाल – देख एक काम कर यह सब तू रख ले. बाद में देख लेना.

कोमल – ठीक है बाबूजी अगर आपका दिल नहीं कर रहा है तो ठीक है.

नन्दलाल – अच्छा बाबा मेरे साथ ही देख. चल वहाँ से मेरा लैपटॉप ला.

कोमल आहिस्ता से उठ जाती है और मेज़ पे पड़े लैपटॉप को उठाके लाती है.

नन्दलाल – तुझे दर्द हो रहा है और तुझे मस्ती सूझी है.

कोमल – हाँ उसे बाद में देख लेंगे.

नन्दलाल – देख वहाँ मेज़ पे देख तेल की बोतल है मैं तुझे थोड़ा लगा लेता हूँ आराम हो जाएगा.

कोमल – बाबूजी बाद में मालिश कर लीजिये अभी देखते हैं.

नन्दलाल – ठीक है ला दे लैपटॉप.

कोमल लैपटॉप बेड पे रखती है, नन्दलाल सीडी डाल देता है और स्टार्ट करता है, कोमल उनकी जांघ पे सहारा लेके बैठ जाती है। नन्दलाल अपना हाथ उसकी पीठ पे रख देतें हैं सीडी प्ले होने लगती है. सीडी में दिखे लोगों को देख के ही हैरान हो जाती है और नन्दलाल के चेहरे को देखती है। फिल्म में मनु और रामवती हैं और उसकी सास और नन्दलाल. वह नन्दलाल का चेहरा देखती है.

नन्दलाल – क्या करें. हर समय बाहर तो नहीं जा सकते ना. बस अफ़सोस है के तेरी सास जल्द ही निकल गयी.

कोमल अपना ध्यान अब सीडी पे लगाती है। उसे थोड़ा अनकंफर्टबल लग रहा है कमर के वजह से। वह नन्दलाल की तरफ देखती है.

कोमल – बाबूजी मैं ऐसे बैठती हूँ.

वह उठ गयी, सीडी चल रही थी, नन्दलाल को समझ नहीं आ रहा था वह क्या करने की कोशिश कर रही है.

कोमल – बाबूजी आप थोड़ा मांडी डाल के बैठ जाईये मैं आपकी गोद में बैठती हूँ. कमर दुःख रही है.

नन्दलाल – अरे बहु तू समझती क्यों नहीं. अरे रे रे. इतनी ज़िद्दी है न तू.

कोमल उनके गोद में बैठ जाती है. नन्दलाल की तकलीफ शुरू हो जाती है. कोमल सीडी में रामवती की चूचियां दबा रहे हैं और उसके निप्पल्स चूस रहे हैं। मनु उसकी सास को ज़ोरों से चोद रहा है कोमल नन्दलाल को घूरे जा रही है सीडी में.

कोमल – बाबूजी आप तो.

नन्दलाल – क्या बहु.

कोमल – आप तो जैसे पोर्नस्टार हैं.

नन्दलाल – मतलब.

कोमल – आपकी बॉडी. आपका स्टाइल आपका.

नन्दलाल – मेरा क्या?

कोमल चुप हो जाती है फिर सीडी देखने लगती है। नन्दलाल को समझ नहीं आ रहा है की वह अपने हाथ कहाँ रखे नीचे होने वाली हलचल को कैसे संभालें और कोमल का क्या करें. वह चुप हैं.

कोमल – बाबूजी. आपके मोबाइल में क्या है. ?

नन्दलाल – अब यही सब है बहु. कुछ नया नहीं है.

कोमल – बताईये न.

नन्दलाल – ले! देख ले खुद ही! कुछ फोटो हैं और एक ही वीडियो दो मिनट का. देख ले.

कोमल – अच्छा बाबा ठीक है.

सीडी ख़तम हो गयी, नन्दलाल ने राहत की सांस ली। कोमल उठने लगी उसकी गांड नन्दलाल के लंड से टकराई, नन्दलाल थोड़े सकपका गए, कोमल उतर गयी बेड पे से.

कोमल – बाबूजी मैंने आपको बहुत सताया पर आप वाकई में मेरे अच्छे दोस्त साबित हुए। आज क्लब नहीं गए मेरे साथ रहे जो बातें मैं हैंडल नहीं कर पाती उन के लिए तैयार किया. कल तक अकेला पन महसूस होता था अब नहीं और यह सब आप की वजह से हुआ है! बाबूजी. Sasur ne bahu ko pela sex story

नन्दलाल – हाँ बहु.

कोमल – क्या मैं एक एल्बम अपने पास रख सकती हूँ. ?

नन्दलाल – अरे अगर उमेश ने देख लिया तो.

कोमल – कल लौटा दूंगी.

नन्दलाल उसका चेहरा देखते रहे फिर हाँ में सर हिलाया और लैपटॉप बंद करके उसके पास लाये.

नन्दलाल – यह भी रख और और एक चीज़ दिखाता हूँ.

कोमल – क्या बाबूजी?

नन्दलाल – रुक.

नन्दलाल कप्बोर्ड के पास गए और एक मोटी सी किताब निकाली लॉकर से और कोमल के पास आये, उसे खोला और कोमल को दिखाए.

नन्दलाल – देख रही है न. यह रख. इसमें हिंदी में कहानियां है मस्तराम की और बहुत सारी तसवीरें मज़ा आएगा.

कोमल – मुझे इसकी ज़रुरत नहीं है बाबूजी.

नन्दलाल – तो फिर यह एल्बम और सीडी और लैपटॉप.

कोमल – मुझे आपको देखना है. किसी और को नहीं.

नन्दलाल उसे देखके और सुनके दंग रह जातें हैं। कोमल करीब आके उनके गाल को चूम लेती है.

कोमल – आप बहुत अच्छे हैं बाबूजी. यह आपके और मेरे बीच ही रहेगा. और मैं आपकी पसंद की सब्ज़ी बना रही हूँ साथ खाएंगे.

ससुर ने बहू को चोदा

नन्दलाल ने कोमल की आँखों में एक अलग सी बात देखि कहीं उनकी सोच गलत तो नहीं थी। उनकी बहु इतना खुल रही थी उन्होंने कोमल को अपने कमरे से जाते देखा। सिर्फ एक एल्बम उठाये और फिर बेड पे बैठ गए सोचते हुए के क्या जो भी हुआ वह ठीक था. करीब नौ बजे नन्दलाल किचन में आये, कोमल एक पतली सी मैक्सी में थी, स्लीवलेस मैक्सी उसके घुटनों तक ही था। जैसे ही नन्दलाल किचन में एंटर किये कोमल पलटी उसकी चूचियां हिली, नन्दलाल को अंदाजा हो गया अंदर बहु ने कुछ पहना नहीं था.

कोमल – पनीर पालक बाबूजी. पसंद है न आपको.

नन्दलाल – आज कुछ और मांगता तो मिल जाता.

कोमल – मांगिये न बाबूजी. मिल जाएगा.

उसकी बात में कुछ था पर नन्दलाल ने अपनी बात रोक ली.

कोमल – बाबूजी. यह लीजिये.

कोमल ने उन्हें परोसा उन्होंने उसकी तरफ देखा.

नन्दलाल – तू नहीं खायेगी बहु.

कोमल – खा रही हूँ बाबूजी. आप शुरू कीजिये.

नन्दलाल – नहीं तू अपने लिए भी परोस फिर खाऊंगा.

कोमल – अच्छा लेती हूँ.

कोमल ने खुद को परोसा और उनके सामने कुर्सी पे बैठ गयी. दोनों चुप चाप खा रहे थे फिर नन्दलाल ने उसे पूछा.

नन्दलाल – तेरी कमर कैसी है. दर्द है अभी?

कोमल – है बाबूजी पर थोड़ा. ठीक हो जाएगा.

नन्दलाल – मालिश कर दूँ तेरी.

कोमल ने उनका चेहरा देखा.

कोमल – मैं आपसे कैसे. ?

नन्दलाल – ठीक है गरम पानी की थैली ले ले.

कोमल – नहीं बाबूजी मालिश ठीक रहेगा. अगर आपको ठीक लगे तो.

नन्दलाल – एल्बम देख ली. ?

कोमल – नहीं. बाद में देख लूंगी. खाना पकाना था.

रात का खाना हो चुका था नन्दलाल हॉल में बैठके टीवी देख रहे थे। कोमल ने उन्हें आवाज़ दी.

कोमल: बाबूजी आपको कुछ चाहिए मैं ज़रा शावर ले लू?

नन्दलाल: नहीं बहु सब तो दे दिया जा नहा ले…

कोमल: (अपने होंठ दबाते हुए और धीमे से) कहाँ कुछ दिया है…

नन्दलाल: क्या?

कोमल: नहीं कुछ नहीं बाबूजी… आप वह मालिश का भूले तो नहीं न शावर पंद्रह मिनट में हो जाएगा…

कोमल शरारती मुस्कान चेहरे पे लिए हुए अंदर चली गयी। नन्दलाल ने उसकी बात सुनी थी और समझी भी थी. उन्होनें अपने पैर सोफे पे चढ़ा दिए थे और पलटी बाँध दी थी अपने ट्रैक्स के ऊपर से अपने लंड को सहलाने लगे और एक लम्बी सांस भरी.

नन्दलाल: माया कहाँ है तू…

उनका लंड तनने लगा था, अपना सुपाड़ा दो उँगलियों के बीच दबाने लगे और टीवी की न्यूज़ रीडर को देखके पंद्रह मिनट के लिए ख्यालों में चले गए. समय जल्दी बीत गया और शायद पच्चीस मिनट बीत गए थे वह उठे और वाशरूम चले गए. वाशरूम से निकले और कोमल के कमरे से गुनगुनाने की आवाज़ आने लगी। वह उसके दरवाज़े पे गए और खुले दरवाज़े पे खटखटाये बिना ही अंदर जाने लगे। Sasur ne bahu ko pela sex story

कोमल: खटखटाने की क्या ज़रुरत है बाबूजी आ जाईये..

नन्दलाल अंदर आये और देखा की कोमल एक स्लीवलेस घुटनों तक की नाइटी में ड्रेसिंग टेबल के पास बाल बना रही थी। नन्दलाल उस कमरे में रखी कुर्सी पे बैठ गए. कोमल ने कंगी रखी और उनके पास आ गयी.

कोमल: तेल नहीं लाये बाबूजी शीशी आपके कमरे में ही थी…

नन्दलाल: तूने अभी स्नान किया बहु तेल से बदन चिपचिपा हो जाएगा। कपड़ों के ऊपर से मालिश कर दूंगा…

कोमल: बिना तेल के असर कैसे होगा बाबूजी और कपड़ों के ऊपर से बदन को हाथों का सेक कैसे मिलेगा?

आप बैठिये मैं लाती हूँ आपके कमरे से तेल की शीशी..

नन्दलाल: ठीक है ले आ…

कोमल कमरे से निकल गयी मटकते हुए, नन्दलाल उसके हिलते हुए बदन को घूर रहे थे, लंड टाइट हो रहा था. कोमल जल्द ही लौटी और नन्दलाल को तेल की शीशी दे दी.

कोमल: बिस्तर पे लेट जाऊं बाबूजी?

नन्दलाल: हाँ लेट जा और दर्द की सही जगह बता दे… पर सुन यह मैक्सी में नहीं हो पायेगा, दिन में जो ट्रैक पहनी थी वह पहन ले…

कोमल: ठीक है बाबूजी नयी पहन लेती हूँ वह तो डाल दी धोने में…

कोमल ने कप्बोर्ड में से ट्रैक पैंट निकाली और एक टी-शर्ट और वाशरूम चली गयी। नन्दलाल भी ट्रैक और टी-शर्ट में ही थे. दो मिनट बाद कोमल बाहर आयी और नन्दलाल ने देखा के उसने टी-शर्ट के अंदर कुछ पहना नहीं था। कोमल सीधे बिस्तर पे बैठ गयी और नन्दलाल तेल की शीशी हाथ में लिए हुए उसके पास आके बिस्तर पे बैठ गए उसकी बगल में.

नन्दलाल: अब सही जगह बता..

कोमल ने सीधे हाथ से अपनी कमर दबायी और सही दर्द की जगह ढूंढी, फिर बांये हाथ से नन्दलाल का हाथ उस जगह पे रख दिया, अपना दांया हाथ हटा के.

नन्दलाल: चल लेट जा पेट पे मैं साइड से मालिश कर देता हूँ..

दर्द की जगह उसकी ट्रैक्स के किनारे के पास ही थी, बांयी कमर पे। नन्दलाल खड़े हुए और कोमल पेट के बल लेट गयी अपनी कवियों पे सहारा लेके सर को उठाये हुए.

कोमल: बाबूजी आप को जो जगह बतायी उसके नीचे भी दर्द है..

नन्दलाल: फैल रहा होगा सही जगह पे मालिश करूंगा तो फैलेगा नहीं…

नन्दलाल ने अपनी हथेली में थोड़ा तेल ले लिया और कोमल की दांयी तरफ कमर के लगा दिया और अपनी दांयी हथेली से मालिश करने लगे। वह कोमल की गांड देख रहे थे जो हिल रही थी उनके हाथ के ज़ोर से. कोमल ने अपना दांया हाथ बिस्तर के पड़े तकिये के नीचे ले गयी और नन्दलाल के दिए एल्बम और मस्तराम की नोवेल्स खींच निकाली.

नन्दलाल: अब क्या तू मालिश करवाते करवाते यह सब देखेगी… दिल नहीं भरा तेरा..

कोमल: नहीं बाबूजी दिल नहीं भरा..

नन्दलाल ने उसका टी-शर्ट कमर से थोड़ा उठा लिया था मालिश करने के लिए. उसकी गोरी कमर देखके वह हुए उत्तेजित हो रहे थे कोमल एल्बम में नंगी तसवीरें देख रही थी। नन्दलाल बिस्तर पे बैठके मालिश भी कर रहे थे और कोमल को एल्बम देखते हुए देख भी रहे थे.

कोमल: बाबूजी…

नन्दलाल: बोल बहु..

कोमल: नहीं कुछ नहीं..

नन्दलाल: अरे बोल तो क्या बात है..

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कोमल: मैं सोच रही थी बाबूजी जब माँ के साथ मनु और आप रामवती के साथ मेरा मतलब है आपको कैसा लगता था?

कोमल ने नन्दलाल को एक चित्र बताके पूछा और आधी करवट पे उनकी तरफ देखा। नन्दलाल का दांया हाथ कोमल की कमर पे रुक गया पूरी हथेली.

नन्दलाल: मज़ा आता था बहु, के जिससे मैं प्यार करता था वह मेरी मौजूदगी में खुलके एक गैर मर्द के साथ बिना मेरी फ़िक्र किये हुए यह सब कर सकती थी और मुझे करने देती थी.. जब मैं देर से घर आता किसी काम में उलझ के तो उसने कभी मुझसे यह सवाल नहीं किया के मैं कहाँ था.. हम एक दूसरे पे ज़्यादा भरोसा करने लगे थे…

कोमल: बाबूजी क्या उमेश आपकी तरह ही समझदार है..

नन्दलाल: हाँ बहु बहुत समझदार है…

कोमल ने उनका चेहरा देखा दोनों की आँखें मिली. कोमल ने फिर पलटके एल्बम में देखा. नन्दलाल मालिश करने लगे. कुछ देर बाद उन्होंने अपना हाथ रोका.

नन्दलाल: अब ठीक लग रहा है या अब भी..

कोमल: हम्म्म..पर दिल नहीं भरा…

नन्दलाल: ठीक है लेटी रह थोड़ी देर और कर लेता हूँ और अब तू बस भी कर वह एल्बम की तसवीरें कितना देखेगी..

कोमल: आपको देख रही हूँ…

नन्दलाल: मुझे लगा मनु को देख रही है और मुझे क्या देखना मैं तो यहीं हूँ..

कोमल उठ के बैठ गयी और एल्बम उसके हाथ में थी वह नन्दलाल के सामने थी उसने एल्बम की एक तस्वीर उनको दिखाई और तस्वीर में उनके लंड पे ऊँगली रखी.

कोमल: यहीं हैं पर ऐसे नहीं हैं बाबूजी और मनु का इतना अच्छा नहीं है..

नन्दलाल और उसकी आँखें मिली फिर से उनका लंड भी टाइट हो चुका था।

कोमल ने नीचे देखा उनका उभार देखा और फिर उन्हें देखा.

कोमल: आपने दूसरी शादी क्यों नहीं की बाबूजी..

नन्दलाल: बहु तेरी सास जैसी कोई नहीं मिलती और बाकी का काम रामवती संभाल लेती है… अब तू सो जा…

कोमल: मेरा दर्द खत्म नहीं हुआ बाबूजी! पर अगर आपको नींद आ रही है तो..

नन्दलाल: अरे नहीं मैं तो तेरा सोच रहा था, लेट जा और कर देता हूँ..

कोमल: मज़ाक कर रही हूँ बाबूजी दर्द चला गया पर दिल नहीं भरा.. पर आप आराम कीजिये..

नन्दलाल: इतनी जल्दी नींद कहाँ आएगी बहु आ लेट जा..

कोमल लेट गयी और अपना टी-शर्ट थोड़ा ऊपर कर लिया। नन्दलाल ने हथेली भर के तेल ले लिया.

नन्दलाल: दर्द फैल गया है लगता है..

कोमल थोड़ा पलट के मुस्कुरायी.

कोमल: नीचे भी उतरा है बाबूजी..

नन्दलाल भी मुस्कुरा दिए और कोमल की पीठ पे अपनी हथेली रख दिए कोमल ने एल्बम हटा दी और अपना सर तकिये पे रख दी अब नन्दलाल ने दोनों हथेलियों से उसकी पीठ दबा दी.

कोमल: आह्ह्ह्हह्हह अच्छा है बाबूजी ऐसा ही कीजिये ज़रा ज़ोर से…

नन्दलाल ने अब थोड़ा और ज़ोर लगाया पर साइड में बैठने की वजह से ज़ोर ज़्यादा लगा नहीं पाए। कोमल फिर से आधी करवट पे पलटी.

कोमल: बाबूजी बदन टूट रहा है थोड़ा ऊपर काँधे तक कीजिये न..

नन्दलाल: पूरे बदन की मालिश करवाएगी क्या बहु..

कोमल: अगर आपको तकलीफ न हो तो बाबूजी…

नन्दलाल: तेरी टी-शर्ट चिप चिपी हो जायेगी तेल से..

कोमल ने अपनी टी-शर्ट थोड़ी और ऊपर कर दी अपने चूचियों तक, अब चूचियाँ आधी ढकी हुई और आधी खुली थी. नन्दलाल उसकी नंगी पीठ देख रहा था और साइड से आधी चूचि और तना हुआ निप्पल.

कोमल: बाबूजी अब ठीक है या और ऊपर कर दूँ…

नन्दलाल: तुझे जहां तक कराना है वहाँ तक सही…

कोमल ने टी-शर्ट और ऊपर कर दी उसकी चूचि अब आज़ाद थी। नन्दलाल की नज़र उसपे थी कोमल ने फिर अपनी हथेलियों की कवियों पे सहारा लिया और एल्बम खोल दी.

नन्दलाल: तू इस एल्बम को छोड़ेगी नहीं न…

कोमल ने सर न में हिला दिया। नन्दलाल अपने घुटनों के बल आ गया और दोनों हथेलियों को उसकी कमर पे रखके ज़ोर से ऊपर तक ले गया। कोमल ने एक लम्बी सिसकी भरी.

कोमल: आआह्ह्ह्ह बाबूजी ऐसे ही कांधो तक..

नन्दलाल फिर से अपनी हथेलियां नीचे ले गया कमर तक और फिर ज़ोर से ऊपर काँधे तक। पर साइड पे बैठने से मामला कुछ जम रहा नहीं था.

कोमल: बाबूजी आपके दांये हाथ से कुछ मज़ा नहीं आ रहा है बांया सही चल रहा है…

नन्दलाल: रुक मैं बिस्तर के उस तरफ आता हूँ…

कोमल आधी करवट पे पलटी उसकी बांयी नंगी चूचि और तना हुआ निप्पल नन्दलाल की आँखों के सामने था.

कोमल: बाबूजी अगर आपको दिक्कत न हो तो आप मेरी जाँघों पे बैठके मालिश कीजिये न उससे ज़ोर आ जाएगा..

नन्दलाल उसकी चूचि देखे जा रहा था। कोमल ने गले से अपना टी-शर्ट आज़ाद कर दिया और साइड पे बिस्तर पे रख दिया और उनकी तरफ देखा.

कोमल: बाबूजी अब कीजिये न ज़रा ज़ोर लगा के फिर मैं आपकी मालिश करुँगी..

नन्दलाल: क्या आज रात भर मालिश करवाने और करने का इरादा है क्या..

कोमल: नींद तो नहीं आ रही है बाबूजी मालिश कर और करवा के शायद अच्छी नींद आ जाए.. अब बैठ भी जाईये न बाबूजी…

नन्दलाल उसकी जाँघों पे बैठ गए उनका तना हुआ लंड कोमल की जाँघों पे लगा दोनों को इस बात का एहसास हुआ। नन्दलाल ने अपनी हथेलियां उसकी नंगी पीठ पे रखी और कसके ऊपर कांधो तक ले गए. कोमल ने सिसकी भरी नन्दलाल का तना हुआ लंड कोमल की गांड पर भी घिसा। नन्दलाल ने ऐसे तीन बार किया फिर हथेलियों पे और तेल भरा और फिर से मालिश करने लगे। कोमल मज़े ले रही थी और अब नन्दलाल को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। उनके लंड घिसने का कोमल की गांड पे पर कोमल मज़े ले रही थी. कोमल अब भी कवियों पे एल्बम की तसवीरें देख रही थी और उसकी दोनों चूचियों के निप्पल बिस्तर पे घिसे जा रहे थे. कोमल ने थोड़ा साइड से नन्दलाल को देखा. Sasur ne bahu ko pela sex story

कोमल: बाबूजी यह तस्वीर क्या मनु ने निकाली…

नन्दलाल ने देखने की कोशिश की उसके कंधे से आगे पर उन्हें दिखाई नहीं दिया उन्होनें ऊपर सरका और उसकी गांड पे बैठके आगे झुके अब उनका पेट उसकी पीठ पे था और उनका चेहरा उसके काँधे पे.

नन्दलाल: कौनसी बहु.. कोमल ने उनको वह तस्वीर दिखाई.

कोमल: यह वाली आपकी माँ की और रामवती की..

नन्दलाल: हाँ उसीने निकाली तेरी सास चाहती थी के हम तीनो की कुछ तसवीरें निकले तो आगे की सारी तसवीरें हमारी हैं..

कोमल: माँ बड़ी शौक़ीन थी है ना…

नन्दलाल: हाँ बहु बहुत मज़े दिए और लिए उसने…

Sasur bahu chudai kahani

नन्दलाल का लंड अब कोमल की गांड की दरार में घुसा हुआ था उनका सुपाड़ा उसकी चूत पे रगड़ रहा था और कोमल भी अपनी गांड उसपे दबा रही थी। नन्दलाल का चेहरा अब कोमल के गालों के करीब था कोमल उनके तरफ पलटी और दोनों के होंठ अब एक दूसरे से एक सेंटीमीटर की दूरी पे थे.

कोमल: माँ और आप रोज़..

नन्दलाल: हाँ बहु तेरी सास और मैं रोज़ इसी तरह रहते..

कोमल: अब आपको रामवती के साथ उतना ही मज़ा आता है बाबूजी?

नन्दलाल: नहीं बहु अब तो मनु और रामवती लगे रहतें हैं मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं होता…

कोमल और उनकी आँखें एक दूसरे को घूर रही थी.

कोमल: आप बहुत अच्छे हैं बाबूजी..

नन्दलाल: तू भी बहुत अच्छी है बहु उमेश को अच्छा जीवन साथी मिला है..

कोमल: बाबूजी क्या आप मुझे आपके फ़ोन के वीडियो दिखाएंगे..

नन्दलाल: तू देखना चाहती है..

कोमल: हाँ बाबूजी मैं आपको माँ के साथ देखना चाहती हूँ यह तस्वीरों से दिल नहीं भरता..

नन्दलाल ने बिस्तर पे पड़ा अपना फ़ोन उठा लिया और ऐसे ही लेटे रहे उसपे फ़ोन उसके सामने कर दिया और उनके हाथ कोमल के कांधो के ऊपर से थे फ़ोन को खोलते. उन्होनें एक वीडियो खोला.

नन्दलाल: ले तू पकड़ ले फ़ोन को..

कोमल: बाबूजी आप पकड़िए ना नीचे से हाथ डालके ताकि दूसरा भी चला पाएं..

नन्दलाल: मालिश नहीं करवानी क्या..

कोमल: मालिश ही तो हो रही है..

नन्दलाल के लंड पे अपनी गांड दबायी कोमल ने और आंख मार दिया। उन्होनें अपने दोनों हाथ उसकी बगल के नीचे से उसके चेहरे के सामने ले आये उनके हाथों से उसकी चूचियां दबी. वीडियो शुरू हुआ.

नन्दलाल: खुश है अभी..

कोमल: हाँ बहुत..

नन्दलाल: अगर उमेश हम दोनों को ऐसे देखेगा तो क्या सोचेगा..

कोमल: आपने ही तो कहा वह बहुत समझदार है बाबूजी..

नन्दलाल: बातें पकड़ लेती है तू है न..

कोमल मुस्कुरायी कोमल ने जान बूझकर अपनी चूचियां और दबायी नन्दलाल के हाथों पे और नीचे अपनी जांघें थोड़ी फैला दी नन्दलाल ने भी अपना लंड और अंदर दबा दिया, दोनों के जिस्म चिपक गए थे. दोनों के गाल भी मिल चुके थे, फ़ोन पे उसकी सास नंगे नन्दलाल का लंड चूस रही थी.

कोमल: इसमें सिर्फ आप दोनों है न..

नन्दलाल: हाँ बहु तुझे रामवती और मनु के भी देखना है…शायद इस वीडियो में मनु बाद में आता है. रामवती वीडियो बना रही है..

कोमल: नहीं मुझे सिर्फ आपका देखना है..

नन्दलाल इस बात पे हिल गया कोमल को भी एहसास हुआ उसने क्या कहा वह मुसकुराई नन्दलाल का चेहरा देखके. नन्दलाल भी अपना सर हिला के मुस्कुरा दिया और अपना लंड उसकी चूत पे दबा दिया। कोमल ने अपनी जांघें और फैला दी और नन्दलाल ने अपना सुपाड़ा उसकी और चुबा दिया, कोमल ने सिसकी भरी. Sasur ne bahu ko pela sex story

कोमल: इसका वॉल्यूम बढाईये न बाबूजी मुझे सुनना है..

नन्दलाल: अरे बहु वॉल्यूम रहने दे..

कोमल: कीजिये न बाबूजी सुनाईये न आप दोनों क्या बातें करते थे..

नन्दलाल: तू मानेगी नहीं न..

नन्दलाल अब हाथों को उसकी चूचि पे दबा के फ़ोन का वॉल्यूम बढ़ा दिए। कोमल देख रही थी नन्दलाल बिस्तर पे चित और नंगे लेटे थे और कोमल की सास नंगी उनकी जांघ पे लेट के उनका लंड चूस रही थी. Sasur ne bahu ko pela sex story

नन्दलाल: चूस मेरी जान चूस फिर तेरी चूत को चाटता हूँ…

सास: हाँ मेरी जान इसे चोद दो पहले बाद में चूत चाट लेना.. कोमल ने नन्दलाल का चेहरा देखा, लाल था उन्होनें अपना चेहरा उसके काँधे और गाल के बीच छुपा दिया.

कोमल: आप दोनों तो उमेश और मेरे से ज़्यादा मज़ा लेते थे। बाबूजी उमेश तो चुप रहता था..

नन्दलाल: हाँ हम दोनों बातूनी थे बहु और चुप रहने से मज़ा थोड़ी न आता है, अब तू बंद कर दे मैं तेरी मालिश करता हूँ..

कोमल: बाबूजी अब इतना देखने के बाद आप शर्मा रहे हैं..

नन्दलाल: शर्मा नहीं रहा बहु पर तू अकेली भी तो देख सकती है रख ले मेरा फ़ोन..

कोमल: नहीं बाबूजी आप और मैं इसे साथ में देखेंगे प्लीज..

नन्दलाल: अच्छा देख ले बाबा..

रामवती: मालिक आप और मालकिन दोनों एक साथ चटाई और चुसाई कीजिये ना मज़ा आएगा..

सास: तुझे अगर चटवाने है तो बैठ जा इनके मुँह पे ज़्यादा टिप्स ना दे वहाँ से..

नन्दलाल: आजा रामवती फ़ोन छोड़ मैं चाटता हूँ तुझे..

मनु: लो आ गया मैं मालिक थोड़ा काम था..

रामवती: ले मनु वीडियो बना मैं मालिक के मुँह पे बैठती हूँ..

नन्दलाल: अरे वीडियो छोडो तुम दोनों भी आ जाओ बिस्तर पे मनु तू पीछे से मालकिन की ले और मैं रामवती की चूत चाटता हूँ..

कोमल ने फिर से नन्दलाल का चेहरा देखा, नन्दलाल का लंड बिलकुल तन चूका था उसकी गांड में। नन्दलाल ने उसकी चूचि अपनी बाज़ुओं से दबायी.

कोमल: आप लोग जितना मज़ा लेते थे बाबूजी मैं शायद ही ले पाऊं..

नन्दलाल: अरे बहु उमेश देगा बहुत मज़ा उससे बात कर..

कोमल: नहीं बाबूजी उमेश नहीं कर पायेगा इतना सब इतना शौक़ीन नहीं है वह आपकी तरह.. आप एक से चुसवा सकते हो और एक को चाट सकते हो उमेश तो झड़ जाता अगर दो औरतों को नंगी देखता तो..

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नन्दलाल ने उसकी बात सुनके उसके काँधे को चूमा। कोमल ने अपनी चूत रगड़ी नन्दलाल के लंड पे.

नन्दलाल: मायूस मत हो बहु सब ठीक हो जाएगा..

कोमल ने अपने चेहरे को नन्दलाल के चेहरे के पास घुमाया.

कोमल: बाबूजी जो नहीं हो सकता वह नहीं हो सकता पर आप यह मत समझिये के मैं अपने घर की बात बाहर जाने दूंगी। यह बस सिर्फ हम दोनों के बीच रहेगी…

नन्दलाल: के तू मेरे बेटे से संतुष्ट नहीं है..

कोमल: संतुष्ट हूँ बाबूजी बस यह है की मेरे खयालात कुछ आप जैसे हैं और उमेश के मेरे और आपसे अलग..

नन्दलाल उसपे से सरक के आधी करवट पे हो गया उसकी बगल में कोमल ने भी आधी करवट पे उसके सामने अपने आप को किया। दोनों आमने सामने थे. कोमल का ऊपरी बदन नंगा था पर अब नन्दलाल ने उस बात को अटपटा नहीं समझा. कोमल ने अपने खुले बाल पीछे किये बांधके। नन्दलाल उसकी खुली और नंगी चूचि को देख रहा था। कोमल का चेहरा मायूस था. Sasur ne bahu ko pela sex story

कोमल: आप और माँ कैसे एक दूसरे को सहारा देते हुए, एक दूसरे की चाहत को अपना लिए, ताकि आपका रिश्ता बेहतर हो, वैसे उमेश नहीं कर पायेगा, वह कितना ही समझदार क्यों न हो..

कोमल के गाल पे नन्दलाल ने अपना हाथ रख दिया, कोमल ने उनके हाथ पे अपना हाथ रख दिया, दोनों एक दूसरे को देखते रहे.

कोमल: पर मैं इस घर की मर्यादा पार नहीं करूंगी बाबूजी, न ही इस बात पे उमेश से बात करुँगी, अगर उन्होनें पहल की तो साथ दूंगी नहीं तो नहीं…

नन्दलाल ने आगे होके उसका माथा चूमा.

नन्दलाल: चल अब तू सो जा मैं भी यह टी-शर्ट बदलके सो जाता हूँ चिपचिपा हो गया तेरे बदन से लग के…

कोमल ने अपनी ऊँगली उनके ट्रैक्स में तने हुए लंड के सुपाड़ी पे फिराई और मुस्कुरायी.

कोमल: इसे तो नींद नहीं आ रही है..

नन्दलाल ने उसके गाल को चूमती दी.

नन्दलाल: यह तो तेरी सास के मरने के बाद चैन से सोया ही नहीं है… छोड़ दे नहीं तो यह रात भर सताएगा…

कोमल ने हाथ हटा दिया और उनकी कमर में रख दिया.

कोमल: रात भर थोड़ी न आप इसे ऐसे रखोगे कोई न कोई इलाज करोगे न इसका..

नन्दलाल: करना तो पड़ेगा बहु..

कोमल: क्या.. नन्दलाल ने फिर उसका गाल दो उँगलियों में कसा.

नन्दलाल: देख अब तू सो जा मुझे सुबह कसरत के लिए जल्दी उठना है..

कोमल ने मुँह बनाया फिर मुस्कुरा दी, नन्दलाल और उसकी नज़रें मिली और फिर वह वहाँ से कोमल को तरसा के निकल गए.

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