माँ बेटे की वासना और चुदाई की कहानी भाग-2 maa beta ki chudai kahani

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Maa beta ki chudai kahani:- हम दोनों अब रात को फ़ोन पर बाते करते. सुबह कभी मैसेज कभी कॉल. मैं भी रात का इंतज़ार करता. पापा जल्दी सो जाते थे. मम्मी मेरे से उनके सोने के बाद बात करती थी दुसरे कमरे में जाके. वो उठ भी जाये तो कुछ बहाना बना देती की वो डिस्टर्ब न हो जाये और मेरा फ़ोन आया हुआ था तो बात करने इस रूम में आ गयी. रात को उनकी कॉल का इंतज़ार करता. उनकी कॉल के आने से पहले मैं खाना खा लेता. मेरी ज़िन्दगी में भी अब अलग ही एक्साइटमेंट थी. मेरे पास भी मेरी गर्लफ्रेंड थी चाहे मेरी खुद की माँ क्यों न हो. जैसे ही उनका कॉल आता दिल खुश हो जाता. एक दिन की कॉल के बारे में बताता हु.

अगर इस कहानी का पहला भाग नहीं पढ़ा है तो पहले फ़र्स्ट पार्ट पढ़ लें नहीं तो स्टोरी मे मज़ा नहीं आएगा ==> माँ और बेटे की वासना से लेकर चुदाई तक का सफर Part 1

Maa beta ki chudai kahani hindi

मम्मी: कैसा है?

मैं: तेरे बिना कैसे होऊंगा? जब तेरा कॉल आता है तब जान आती है.

मम्मी: ओहो अब तो बड़ी बातें करने लग गया है.

मैं: सच्ची बोल रहा हूँ. मेरी जान तेरे अंदर है. तेरी कॉल का इंतज़ार करता हूँ कि पापा कब सोये और मैं जल्दी से मेरी जान से बात करू.

मम्मी: अब तो आपको पापा पर गुस्सा आता होगा क्यूंकी वो एक तरीके से आपके कॉम्पिटिटर है.

मैं: गुस्सा तो आता ही है और कॉम्पिटिटर किसने कहा? मैं चाहु तो अपनी जान को उनके नीचे से कभी भी ले जाऊ.

मम्मी: मैं तो उनके नीचे कभी जाती ही नहीं. मैं तो तेरे नीचे ही आना चाहती हूँ पर आप बुलाते ही नहीं.

मैं: अच्छा और जाना भी नहीं, मेरी है तू. और तुझे तो नीचे ऐसे लूँगा की तू खुद कहेगी मुझे छोड़ दो.

मम्मी: कभी भी न कहु. मेरी जान के नीचे से जाने का मन क्यों करेगा?

मैं: कोई न देखते है.

मम्मी: देख लेना और लेकर तो देखो अपने नीचे.

मैं: लूंगा इस बार 26 जनवरी को आ रहा हूँ.

मम्मी: क्या बताया भी नहीं. सच्ची आ रहे हो. पहली बार मिलेंगे. सच्ची पहली बार ही मिलेंगे जब से मैं आपकी हुई हूँ. अपने बॉयफ्रेंड से पहली बार मिलूंगी.

मैं: मैं भी आते ही हग करूँगा.

मम्मी: फिर क्या करोगे?

मैं: फिर साड़ी खोलूंगा फिर पेटीकोट फिर ब्लाउज.

मम्मी: अच्छा इससे आगे कुछ नहीं खोलोगे?

मैं: फिर खोलना क्या उतारूँगा. तेरी पैंटी तेरी ब्रा.

मम्मी: मैं तो शर्मा ही जाउंगी.

मैं: अच्छा क्यों शरमाओगी?

मम्मी: मन कर रहा होगा, पागल हो क्या, आपके सामने पहली बार नंगी होउंगी तो क्या दौडूंगी.

मैं: दौड़ने तो नहीं दूंगा. एक-दम से हग कर दूंगा मेरी जान को. फिर आपकी गांड को टच करूँगा. फिर किश करूँगा.

मम्मी: अच्छा जी! खुद नहीं होंगे नंगे? मैं भी आपके लंड को देखना चाहती हु. उसको हाथ में लेना चाहती हु.

मैं: क्यों नहीं वो तो तू करेगी न. ये लंड अब तेरा ही है. इसकी मालकिन तू ही है. कैसे भी यूस कर मुझे क्या. मेरा हक़ नहीं है इस पर. तेरी चूत और गांड का मालिक मैं. उसका कुछ करू.

मम्मी: आप तो मेरे ही मालिक. मैं लंड की मालकिन नहीं दासी हूँ. लंड मेरे कण्ट्रोल में कहा कब खड़ा हो जाये किसे पता. जब ये खड़ा हुआ मैं सो भी नहीं सकती. मालिक जो खड़े होंगे. मालिक को सेवा चाहिए होगी. कभी इसको मुँह में लेना पड़ेगा कभी चूत में.

Maa ki chut chudai ki kahani

मैं: क्या सुषमा तुम इसको मुँह में भी ले लोगी?

मम्मी: क्यों नहीं लेने दोगे? मैं तो मुँह में लेना चाहती हु. मेरे मालिक को फुल सेवा दूँगी.

मैं: अच्छा जी.

मम्मी: और क्या गांड में जाना चाहे तो वहाँ भी जा सकता है.

मैं: सुषमा अब मेरा माल निकाल चूका है.

मम्मी: मेरा भी.

मैं: सच्ची बताओ ये सब करोगी?

मम्मी: पता नहीं. मगर प्यार ज़रूर करुँगी आपको भी इसको भी.

मुझे पता था ये हम बातों के ही है. मुठ के बाद एक-दम से गिल्ट आ जाता है. जब मुठ मारते है तो हम सब इमेजिनेशन कर लेते है. हम दोनों बात करके सो गए. ये अब हर रोज़ का हो चूका था. हर रोज़ मुठ मार के सोने का. वो ऊँगली डालती थी चूत में. मगर ये बातें धीरे-धीरे प्यार बढ़ा रही थी हमारा. रात को जो बातें करते अगले दिन सुबह उठ के याद करते बातें. जब भी अगले दिन फ्री होते रात वाली बात करते. जैसे अगले दिन ऑफिस जाते हुए उनका कॉल आया-

मम्मी: ऑफिस जा रहे हो?

मैं: हां.

मम्मी: मेरा मालिक भी उठा की नहीं?

मैं: अभी उठा है. बोल रहा है मेरी दासी कहा है.

मम्मी: दासी खुद इंतज़ार कर रही है की मालिक की सेवा करू.

मैं: कोई नहीं मौका मिलेगा सेवा करने का. तेरे मुँह में जाने का फुल इंतज़ार कर रहा है.

मम्मी: मैं खुद कर रही हु.

मैं: सच्ची बताऊ कभी-कभी सोचता हु मुझे इतना अच्छा नहीं बनना चाहिए था. डलहौज़ी में तू मुझे चूत देने से मना नहीं करती. करती भी तो मैं ले लेता तो गुस्सा न होती. उस दिन ही तेरे को चोद देना चाहिए था.

मम्मी: अच्छा पता नहीं गुस्सा करती की नहीं. मगर ये तो पक्का था मुझे हग करके सोता तो मना नहीं करती. हो सकता था ब्रा पैंटी तक तो नंगी भी हो जाती.

मैं: सच्ची पागल था मैं. वही सुहागरात मना लेता तेरे साथ.

मम्मी: सुहागरात तो पति के साथ मनाते है. तू तो बॉयफ्रेंड है मेरा. ये बोल फुल चोद देता.

मैं: चोदता तो तुझे पक्का. रही सुहागरात की बात कोई नहीं पति से कम हूँ क्या तेरा? सिन्दूर भर देता हूँ तेरी मांग में.

मम्मी: ऐसे नहीं बनाउंगी पति अपना. उसके लिए मेहनत करनी पड़ेगी. कुछ वैल्यू है मेरी.

मैं: कोई नहीं जब चुदोगी ना खुद पति मानने लग जाओगी.

इस तरह हम बात करने लग गए थे. हम कुछ कोड वर्ड में भी बात करने लग गए थे. जैसे अब लंड को मालिक कहने लगी वो. मैं उनकी चूत को मेरी क्वीन कहने लगा. हमने उनके नाम रख लिए थे. कभी छेड़ना भी होता मम्मी को, जब मैं ऑफिस होता उनसे बात करते हुए. तेरे मालिक को प्यार चाहिए मेरी क्वीन से ऐसा बोलता. 20 दिन में हम इतनी बातें करने लग जायेंगे. हमने सोचा भी नहीं था. मैं 26 जनवरी का इंतज़ार कर रहा था कि घर जाऊंगा और क्या-क्या करूँगा. नींद ही नहीं आती थी अब सोचते हुए. अब हमारा प्यार स्टार्ट हो चूका था. सच्ची आई लव माय माँ सुषमा. क्या आज भी हम सेक्स करते है या ऐसी ही बातें करते है जानने के लिए स्टोरी पढ़ते रहना. जो भी ये कहानी का पार्ट पढ़ रहा है पहले इस सीरीज के पिछले पार्ट पढियेगा. नहीं तो कहानी समझ में नहीं आएगी. मेरा अब मेरी मम्मी से मिलने का मन बहुत हो रहा था. हर रात हम सेक्स की बातें करते. मैंने इससे पहले कभी किसी लड़की को टच तक नहीं किया था. तो पूरा थ्रिल था. वो भी मम्मी को टच करूँगा उनका बॉयफ्रेंड बनके. ये सनसनी सी मचा देता था सोचने पर.

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मैं मिलने का प्लान बना चूका था 26 जनवरी को थर्सडे था। फ्राइडे की छुट्टी लेने पर लॉन्ग वीकेंड. मैंने टिकट बुक करवाई. 26 जनवरी को सुबह ही दिल्ली पहुंचा. फिर अपने टाउन. फुल एक्साइटेड था मैं. शायद मम्मी भी एक्साइटेड थी. इस कहानी में मम्मी का व्यू बहुत कम ही मिलेगा. मैंने ज़्यादा उन दिनों उनका व्यू जानने की कोशिश की ही नहीं थी. मैं जैसे ही घर पहुंचा मम्मी को देखा. मेरा दिल ज़ोरो से धड़कने लगा. घबराहट सी स्टार्ट हो गयी. तभी पता चला भाई और भाभी भी आये हुए थे. लॉन्ग वीकेंड की वजह से वो भी आ गए थे. मेरा मूड खराब हो चूका था. मन में घबराहट और बढ़ गयी थी. ये सोच के डर जाता, कही मैं ऐसी हरकत न कर दू जिससे भाई-भाभी को कुछ शक हो जाये. मैं दूर-दूर सा रहने लगा मम्मी से. मम्मी भी जानती थी मैं किस लिए दूर था. मैं थोड़ी देर के लिए घर से बाहर चला गया. कुछ 30 मिनट बाद कॉल आता है मम्मी का.

मम्मी: कहा हो?

मैं: मैं बाहर आ गया हु. मुझे घबराहट हो रही थी.

मम्मी: मैं समझती हु.

मैं: भाई-भाभी पास में नहीं है क्या!

मम्मी: वो नीचे कमरे में है. मैं ऊपर आ गयी आपको कॉल करने.

मैं: सच्ची बात करने का बहुत मैं था तेरे से आमने सामने.

मम्मी: मेरा भी और कुछ करने का मन नहीं था.

मैं: था तो बहुत, एक-दम से ख़तम हो गया डर से.

मम्मी: डर तो मुझे भी लग रहा है.

मैं: समझता हूँ, फ़ोन पर बातें करना कुछ और है. हम चेहरा नहीं देखते.

मम्मी: हां सच्ची फ़ोन पर आप किसी से भी कैसी बात कर सकते हो. क्यूंकि आप चेहरा नहीं देखते हो. आमने सामने कुछ और बात होती है क्यूंकि हमें फेस करना होता है. फ़ोन पर बातें करते वक़्त हमने ये गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड वाला रिलेशन एक्सेप्ट कर लिया था. फेस टू फेस हो पायेगा की नहीं मुझे भी कुछ नहीं पता था उस वक़्त.

फिर मैं वापस घर आ गया. इवनिंग में चाय पी. जैसे ही मम्मी की तरफ देखता मेरा चेहरा दूसरी तरफ देखने लग जाता. मगर मम्मी बहुत गॉर्जियस लग रही थी. उनको देखता मुझे लगता इनसे सुन्दर गर्लफ्रेंड कभी मिल भी नहीं सकती. उनका वेट 55 किलो के करीब होगा उससे ज़्यादा नहीं होगा. उनके हिप्स थोड़े से मोटे, चूचे बाहर निकले हुए थे. अब साइज तो कभी लिया नहीं ना उनकी गांड का ना चूचो का. पर परफेक्ट थे चूचे चूसने के लिए और गांड खाने के लिए. चेहरे पर थोड़ा सा भी फैट नहीं था. उनको पहली बार धीरे-धीरे नोट कर रहा था. इसलिए थोड़ा सा मन कर रहा था कुछ हिम्मत करू कुछ करने की. मैं अब उनको तू कहने लग गया था. घर में बात करते वक़्त ध्यान रख रहा था आप ही निकले मुँह से. जब उनको आप बोलता वो हलकी सी स्माइल करने लग जाती. उनको पता था मैं ध्यान से बातें कर रहा था. पहला दिन कुछ भी किये निकल गया. अगले दिन भाई भाभी ने चंडीगढ़ घूमने का प्लान बनाया. मैं मना करता रहा पर वो मुझे साथ ले गए. वो दिन भी मेरा खराब हो गया. मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था.

सैटरडे को भाई-भाभी बाहर गए मार्किट में. तब थोड़ा मौका मिला हमें अकेले घर रहने का. तब मैं उनके पास गया. वो किचन में थी. मैंने उनका हाथ पकड़ा और एक-दम से करंट दौड़ने लगा. पहले भी टच किया है हाथ पकड़ा है मम्मी का लेकिन ऐसा महसूस नहीं हुआ. मेरा बहुत मन था पहली बार अपनी गर्लफ्रेंड को प्रोपोज़ करू. मैं 2 दिन पहले गुलाब का फूल लाया था. उस दिन देने का चांस नहीं लगा. मैंने जैसे-तैसा भी था अब वो गुलाब का फूल घुटनो पर बैठ कर उनको आई लव यू बोलते हुए दिया. फिर मैंने उनको हग किया. ज़्यादा टाइट हग नहीं था. फिर हम हसने लगे. मैं उनकी हार्टबीट सुन सकता था और वो मेरी. बहुत डर सा लग रहा था.

मैं: डर सा लग रहा है.

मम्मी: मुझे भी.

मैं: कभी नहीं सोचा था ऐसे करूँगा फूल दूंगा ऐसे आपको. मैंने तो सोचा तक नहीं था कोई गर्लफ्रेंड भी होगी मेरी.

मम्मी: अच्छा जैसे मैंने सोचा था तेरे पैदा होते ही तेरी गर्लफ्रेंड बनूँगी. बस हो गया मुझे भी नहीं पता. पता नहीं सही कर भी रही हूँ.

मै: मेरा भी यही डाउट है की हम सही कर भी रहे है की नहीं. मम्मी मेरा हाथ ज़ोर से पकड़कर बोली:

ज़्यादा मत सोच जो होना होगा देखि जाएगी.

मैं: हम्म.

मैंने उनको फिरसे हग किया. थोड़ी हिम्मत जुटाई और उनकी गांड पर हाथ सहलाया. वो थोड़ा सा हिचकिचाने लगी. उनको भी समझ नहीं आ रहा था क्या करे वो. फिर मैं अलग हुआ और एक बार फिर उनकी गांड पर हाथ रखा. मुझे लगा कि उनको अजीब सा लग रहा था. पता नहीं उनके मन में उस वक़्त क्या चल रहा था. फिर उनको नार्मल करने के लिए मैं अलग सा हुआ. हम हॉल में आके बातें करने लगे. अब मैं नार्मल हो चूका था. कुछ देर बाद बेल बजी. मम्मी उठी और मैं भी. मन में आया शायद लास्ट मौका था उनसे अकेले मिलने का तो हिम्मत जुटाई. मैंने फिरसे उनकी गाड़ पर हाथ रखा और हल्का सा पिंच किया. वो मुड़ी और स्माइल करके दरवाज़ा खोलने चली गयी.

नेक्स्ट दिन भी कुछ नहीं हुआ. मगर मैं खुश था. कुछ बात आगे बढ़ी. मैं अब उनको टच तो कर सकता था. इन्सेस्ट रिलेशन में टाइम लगता है. हम एक या दो दिन में नहीं स्टार्ट कर सकते. मुझे लगता माँ बेटे वाले में तो नहीं होता होगा. भाई बहन वाले में हो जाता हो. माँ बेटे वाले में टाइम लगता ही होगा. मैं तो इस रिलेशन को फ़ास्ट ही समझ रहा था. हम कॉल मैसेज पर सेक्स की बातें करने लग गए थे. कम से कम मैं उनकी गांड टच कर सकता था. संडे को वापस मैं जॉब पर आ गया. वही रूटीन स्टार्ट हुआ. थोड़ा सा अपने ऊपर गुस्सा था थोड़ा सा प्राउड कि कुछ तो किया. अब रात को बात करना नार्मल हो चूका था. उस वक़्त बीएसएनएल की सिम आती थी 500 में अनलिमिटेड बातें. वो तो सबसे सही था. कितनी भी बातें करो. कभी-कभी मम्मी मुझे 4 बजे से पहले सोने नहीं देती थी. बातें करते हुए हर 10 मिनट में आई लव यू बोलो बोलती थी मुझे. वो आज इतना सही लगता है. उस वक़्त मैं उनसे बोलता था कल मुझे सुबह जॉब पर जाना है. वो सुनती ही नहीं थी. फरवरी में मम्मी को फंक्शन में जाना था. उस दिन मम्मी का कॉल आता है.

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मम्मी: क्या कर रहे हो.

मैं: बस अभी ऑफिस से आया हु.

मम्मी: मुझे उंगली करना है.

मैं: आज तो तुम फंक्शन में आयी हो.

मम्मी: हां मुझे नहीं पता मेरा माल निकलवाओ.

मैं: ठीक है. कहा पर हो?

मम्मी: अभी फंक्शन वाले घर आयी हु.

मैं: फिर यहाँ कैसे करोगी?

मम्मी: टॉयलेट चली जाती हु वहाँ करवाओ.

कुछ देर बाद उन्होंने रूम लॉक किया. रूम के साथ अटैच्ड टॉयलेट गयी वहाँ ताकि बाहर आवाज़ न जाए।

में: अपने सारे कपडे उतारो.

मम्मी: वो तो कभी के ही उतार रखे है. मैं: बहुत तेज़ हो.

मम्मी: आप ने बना दिया.

मैं: मैंने तो कुछ किया ही नहीं. अभी तक तेरी गांड को टच किया है वो भी साड़ी के ऊपर से. जिस दिन करना स्टार्ट कर दिया फिर क्या हो जाओगी?

मम्मी: फिर तो बस सीधा आपके लंड के ऊपर ही बैठ जाया करुँगी.

मैं: तेरा मालिक तो तेरे अंदर जाने के लिए हमेशा तैयार रहता है.

मम्मी: अच्छा मैं भी तैयार हूँ इसके लिए.

मैं: अपनी दो ऊँगली को अपनी चूत में डालो और समझो ये मेरा लंड ही है.

मम्मी: हम्म डाल ली. मगर मुझे असली में चाहिए है ये.

मैं: कोई नहीं जायेगा इस चूत में असली में भी. मेरी जान को उस दिन सोने नहीं देगा. डलहौज़ी में उसी रूम में चोदूँगा. उस रिसेप्शनिस्ट को बोलना चोद चोद के थका दिया सोने ही नहीं दिया.

मम्मी ऊँगली कर रही थी चूत में और मैं बोले जा रहा था.

मैं: उस रिसेप्शन वाली को भी पता चले तेरा हस्बैंड कितना चोदता है.

मम्मी: हम्म्म उफ्फ्फ.

मैं: तेरे को जिस दिन मौका सही से मिला पटक-पटक कर चोदूँगा.

मम्मी: हम्म्म.

मैं: तेरी गांड को तो खाने का फुल मन कर रहा है. इसको चबा-चबा के खा जाऊ.

मम्मी: आहह ह ह ह ह ह हो गया. थैंक यू मेरी जान. आप बहुत अच्छे हो. मेरी हर डिमांड पूरी करते हो.

मैं: तेरे लिए कुछ नहीं मेरी जान.

मम्मी: अच्छा जी. देखते है क्या करोगे इस बार मिलोगे तो.

मैं: क्या करूँगा चोदूँगा तुझे.

मम्मी: बस रहने दो. मूड खराब मत करना. इस बारे में बाद में बात करेंगे. अभी आप ने अच्छा मूड बना दिया है मेरा.

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फिर वो तैयार हुई फंक्शन के लिए और चली गयी. मैं सोच रहा था कॉल में मैं कितना एक्साइटेड हो जाता हु. उसके सामने एक-दम से डर जाता हु. मैंने इस बार उनसे मिलने का प्लान इस तरीके से बनाया की भाई-भाभी पहले आ जाये उसके बाद ही जाऊ घर. होली के बाद का प्लान बनाया. भाई-भाभी घर पर न हो. दिन में सिर्फ हम दोनों हो. 14 मार्च का प्लान बनाया घर जाने का होली के बाद. थोड़ा ज़्यादा जल्दी था घर जाने का. मगर मम्मी से मिलने का मन बहुत कर रहा था. मैंने ये प्लान मम्मी को बताया. वो बहुत खुश हुई. शायद फेब एन्ड में बताया जब बॉस ने भी बोल दिया जा सकता हूँ. मैं पहले बता के मना नहीं करना चाहता था. उस रात हमने 3 से 4 बजे तक बात की. ख्वाबी पुलाओ बनाये ये करेंगे वो करेंगे थोड़ा सी बात बताता हु.

मम्मी: इस बार दिन में कोई नहीं होगा तो हिम्मत भी रहेगी. किसी के आने का डर नहीं होगा तो पक्का करेंगे।

मै: इस बार तो पक्का नंगा करूँगा आपको.

मम्मी: हट ऐसे बोलते है अपनी माँ को नंगा करूँगा. ऐसे बोलो प्यार से कपडे उतारूंगा सारे.

मैं: मेरी जान है तू कुछ भी बोलू. सुन माँ कुछ न रहेगी अब तू मेरी. मेरी बंदी है तू.

मम्मी: माँ भी हूँ, गर्लफ्रेंड भी, जान भी.

मैं: मेरी बीवी हो माँ नहीं.

मम्मी: बीवी कैसे? शादी कब की है मेरे से?

मैं: कर लूँगा.

मम्मी: देखते है क्या करते हो. उस दिन कपडे ही उतार लेना बहुत बड़ी बात है. कपडे क्या किस भी हो जाये बड़ी बात है.

मैं: इस बार कर लूँगा सोच के आऊंगा.

मम्मी: मुझे तो बस एक बार आपका लंड हाथ में लेना है. इतना ही हो गया मेरा तो काफी है. इससे ज़्यादा सोचती नहीं. मुझे पता है आसान नहीं है ये.

मैं: कोई नहीं सब हो जायेगा. तेरे को चोदूँगा भी एक दिन ये पक्का है.

मम्मी: अच्छा देखते है कब आएगा ये दिन. इस बार ही आ जाये. कंडोम ले आना फिर।

मै: क्यों डर लगता है प्रेग्नेंट न कर दू तुझे?

मम्मी: कर देना मैं तो बोल दूँगी ये बच्चा आपका है, घर वाले निकाल देंगे. फिर इस बुढ़िया को रखते रहना.

मैं: कोई नहीं रख लूँगा, बुड्ढी तो तू लगती ही नहीं. तेरे से बेटर मिलेगी भी नहीं.

ऐसे ख्वाबी पुलाओ बनाते रहते हम. बाकी कहानी जारी रहेगी, अगले पार्ट तक करिए इंतज़ार।

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