माँ ने चोदना सिखाया भाग -1

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Maa ne chodna sikhaya: हेलो दोस्तों मेरा नाम समीर है मै कहा रहता हूँ यह जानने की आप को जरुरत नहीं है पर हाँ मैं अभी 22 साल का हूँ. और जो भी बात मैं अभी आपको बताने जा रहा हूँ वह आज से चार साल पुरानी है. जब मेरा दाखिला कॉलेज में हुवा वो भी मैकेनिकल इंजीनियरिंग में. मैं सिर्फ 18 साल का था तब। अभी तक मैं घर पर बैठ कर पढ़ा था. और 18 साल की उम्र में पहली बार घर के बहार कदम रखा था कहीं दूर पढ़ने के लिए और वो भी हॉस्टल में. बरहवीं तक तो वैसे भी घर पे मम्मी पापा का होल्ड रहता है. पर अब मैं अपने से 3 साल पुराने मेरे सीनियर्स से भी मिलने वाला था. मुझे मेरे मम्मी पापा हॉस्टल में चोदने को आये थे उसी दिन काफी सारे लोगो को भी उनके मम्मी पापा छोड़ने आये थे. उस दिन मैं अपने सीनियर्स को देखा था उस दिन जब पहली बार मैं अपने सीनियर्स को देखा तो वो बहुत अच्छे लगे थे. अच्छे तो वह आज भी है पर उस दिन की बात कुछ अलग थी. वो सब साफ सुथरे थे जिससे कि मम्मी पापा को ये लगा के ये कॉलेज और ये हॉस्टल बेस्ट है. पर मम्मी पापा जैसे गए हॉस्टल पूरा चेंज. सीनियर्स सारे के सारे चेंज.

Maa ne chodna sikhaya

ओह माय गॉड!! ये लोग तभी फेक थे या अभी फेक है? अरे कैसे बताऊ के मुझे भी अच्छा लग रहा था या ख़राब लग रहा था. जवान तो मै हो चुका था. और जिस रूम में देखो वहाँ BF लगाई हुई है. बातें कम और गालिया ज्यादा बोली जा रही है. मुझे मज़ा भी आ रहा था पर मै इतना बिंदास नहीं था ऑब्वियस्ली. पर दूध का धुला मै भी कब तक रहता? एक महीने में तो मुझे ऐसा लगने लगा के आज तक मै हॉस्टल में रह रहा था. और आज मै अपने घर आया हु. मैंने एक बात का ख्याल बहोत अच्छे से किया था के कुछ भी हो जाये कॉलेज में अपना नाम ख़राब नहीं करूँगा. मै मज़े मेरे सीनियर्स के साथ सब करता था. दारू पीना स्टार्ट कर दिया था. सिगरेट पीना भी… गलत तो था पर मज़ा आ रहा था. नशा ही कुछ और होता है… आज़ादी का. ये नशा आज़ादी का था. मै एडिक्ट नहीं हो गया था पर मुझे बस मज़ा आ रहा था. कोई स्वाग होता है न बन्दे का वैसे मुझे फील हो रहा था. माता पिता की छात्र छाया से निकल कर दोस्तों के बीच में. पूरा बॉयज हॉस्टल. जिस जिसने हॉस्टल देखा है वो ये महसूस कर सकता है. ऊपर से मेरे क्लास में सिर्फ एक लड़की और वो भी 3 महीने में छोड़ कर चली गई.

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18 साल के लडको को अगर हाथ में कोई भी छेद मिल जाये न तो उससे भी काम चला लेते है. ये वासना भरे माहौल में वो मोटी लड़की थी वो भी कोई कम नहीं लग रही थी हमें. पर वो अब चली गई है. मै खुला सांड बन चुका था. मेरे दोस्तों में मेरे हॉस्टल के सारे सीनियर्स थे. वो आलरेडी बिगड़े हुए थे. उनके क्लास में थी 5 लडकिया. उनकी बातें हर रोज़ मेरे एक सीनियर से सुनता था. एक लड़की का नाम था रोशनी. रोशनी को देख कर ही लग रहा था के रोशनी की तरह चमक रही थी. बहोत ही सख्त थी ऐसा मेरा मानना था. पर सीनियर्स से जब भी सुनता तब मुझे यही सुनने को मिलता के वो किसी का भी बिस्तर गरम कर देती है. कम से कम 20 जन के साथ वो सोइ हुई है ऐसा मेरे सीनियर्स ने उसके इज्जत में सब को बोल के रखा था. इसीलिए उस पर कोई नए लडके लोग या उनके भी सीनियर्स लाइन ना मारे… मेरा एक अच्छा दोस्त बन चुके थे मेरे सुपर सीनियर्स जो फोर्थ ईयर में थे. जिसका नाम था उमेश. उमेश मेरा अच्छा ख्याल करता था. हम दोनों स्मोकिंग एंड ड्रिंकिंग साथ में करते थे. एक रीज़न ये भी था के पार्ट ऑफ़ रैगिंग जब उसने मुझे उनके जर्नल में ड्राइंग का काम दिया था मैंने बहोत अच्छे से किया था. मैंने इसीलिए तो मैकेनिकल इंजीनियरिंग को पसंद किया था. वो बहोत खुश हुआ था और तब से वो मुझे अपने साथ रखने लगा था. ये अगर हो जाता है न तो समझ लो के राज गद्दी आपके नाम हो जाती है…

एक दिन हम दोनों पी रहे थे साथ में…

उमेश: क्या बे घर गया के नहीं?

मै: ना उमेश भाई नहीं गया घर 4 महीने हो चुके है..

उमेश: तो क्या मन नहीं करता?

मै: मन तो करता है पर इतनी आज़ादी वहाँ नहीं मिलेगी. मेरे मम्मी पापा मुझे अभी भी बच्चा समझते है और मै तो दारू स्मोकिंग सब कर रहा हु…

उमेश: हाहाहाहाहा तू क्या समझता है के दारू और स्मोकिंग करने से तू अब बड़ा हो गया है?

मै: मतलब…

उमेश: मर्द बनने के लिए लड़की चोदनी पड़ती है… सेक्स करना पड़ता है…

अब ये बातें आम हो चुकी थी हर एक सीनियर और दोस्त के साथ पर उमेश भाई मानो वहाँ के सब में लीडर जैसे थे. तो सिर्फ मै अकेला था जो उनसे ये सब बातें कर पा रहा था. पर डर तो मुझे भी लगता था…

मै: क्या उमेश भाई आप भी. मस्ती कर रहे है।

उमेश: हाँ सच बोल रहा हु मै, अपने कॉलेज में साली कोई है ही नहीं.

मै: वो उमेश भाई वो.. है न?

उमेश: अरे वैसे तो मैकेनिकल डिपार्टमेंट को छोड़ कर हर एक डिपार्टमेंट में एक से एक रंडिया है पर साली अपने डिपार्टमेंट में कोई नहीं है…

मै: अरे उमेश भाई अपने ही डिपार्टमेंट की बात कर रहा हु…

उमेश: कौन साले तू बहोत नाच रहा है रोशनी?

मै: हम्म!

उमेश: साले गांड देखि उसकी?

मै: क्या?

उमेश: यही होता है फर्क बच्चे और मर्द में. गांड देखना उसकी अगली बार.

मै: पर मुझे पता कैसे चलेगा?

उमेश: हाहाहाहा देख जो चुदी हुई है उनकी गांड बड़ी ही होती है उठी हुई भी होती है.. पैरो के बीच में जगह होती है.. और बाकि की नार्मल होती है।

मै: पर उमेश भाई मैंने काफी कुछ सुना है उनके बारे मे।

उमेश: भाई सब के सब झूठे है, वो कपडे ऐसे पहनती है, टैटू करवाया है, मॉडर्न है, बस इतना ही..

मै: भाई तो आपने सिर्फ गांड देख कर बता दिया के वो नहीं चुदी?

उमेश: अरे मै जनता हूँ ना अपने लडके लोग को. कुछ नहीं किया बस बकवास करते रहते है. हाँ है बहोत चिकनी और माल पर मेरे काम की नहीं…

मै: मै कुछ समझा नहीं..

उमेश: अरे मेरे को तो चाहिए जो आलरेडी चुदी हुई हो. सील तोड़ने में मज़ा तो आता है पर मज़ा उनसे भी ज्यादा लड़की को इधर उधर जैसे तैसे घिसने में आता है.. साला मसलो ऐसे के वो साथ दे. ना लड़की ज्यादा बकवास करती है. अभी अभी सील तोड़ी और बोलो घूम जा तो पीछे से चोदने नहीं देती साली.. पर रंडी की चूत से लंड निकालो तो तुरंत उनको पता होता है के अब मुझे उल्टा करके चोदेगा… वो मज़ा ही अलग है रे… तुझे चाहिए? पर तुझे चुदी हुई कोई मिले तो अच्छा है.. एक बार उनसे सीख ले बाद में तू किसी को भी चोद सकता है…

मै: अरे ना भाई ना.. 4 महीनो में इतना बिगड़ा उतना काफी है. उससे ज्यादा अब और नहीं. कुछ तो बाकि रखूँ बाकि के सालो के लिए….

उमेश: तू काफी सीधा है रे. थोड़ा टेढ़ा होता ना तो अभी तक तो चोदने में माहिर बना देता.. चल अब चुदाई चुदाई का नाम बोलकर मुझे चोदने की इच्छा हो गई. मै जाता हूँ रंडी खाना… बोल आना है?

मै: नही भाई जाओ आप… मिलते है सुबह को….

ये बातें बताना आवश्यक इसीलिए था के ऐसी कौन सी चीज़ थी जो मेरे दिमाग में कुछ ईजाद करके गई… समझ रहे हो न आप? मेरे मम्मी पापा के हर रोज़ फ़ोन आते थे के कैसा चल रहा है सब? कब घर आ रहा है वगैरह.. मेरे दोस्त भी बुला रहे थे… मैंने उमेश भाई को पूछ लिया अगर 2 दिन बंक मार दू तो संभाल लेना क्योंकि घर जो जा रहा हूँ…

मै: उमेश भाई सोच रहा हूँ के नेक्स्ट वीक घर चला जाऊ. पापा मम्मी भी कब से बुला रहे है…

उमेश: बोल कब जा रहा है?

मै: हाँ वो एक बार क्लास के रिप्रेजेन्टेटिव से बात करलु और फिर… बोल देता हूँ कोई लेने आ जाये मुझे.. क्योकि स्टेशन से घर 20 मिनट है…

उमेश: एक काम कर तू ऑटो कर लेना. पर सीधा सरप्राइज दे. पापा मम्मी बहुत खुश हो जायेंगे. वो लोग भी सोच लेंगे के देखो उनका बेटा कितना बड़ा हो गया है के अकेले आने लगा है.. फिर ये हर रोज़ उनके फ़ोन आने भी बंद हो जायेंगे. समझ रहा है बात को?

मै: ये सही है… एक ही चीज़ में दो बातें…

उमेश भाई बहोत अच्छा ख्याल रखते है मेरा. ये सरप्राइज देने वाली बात मुझे सच में बहोत अच्छी लगी. मेरे मम्मी पापा कितने खुश होंगे मुझे देख कर.. और कॉन्फिडेंस उन लोगो का बढ़ जायेगा वो अलग… नेक्स्ट वीक मुझे छोड़ने के लिए उमेश भाई आये साथ में वो उनके साथ स्वीट ले कर भी आये….

उमेश: ये स्वीट ले कर जा. और बोलना सीनियर ने खास भिजवाया है मम्मी पापा के आशीर्वाद के लिए…ये सही है. भाई पे मन और बढ़ गया. कुछ भी कहो भाई भाई है…सीनियर है तो क्या… पर भाई मानता है मेरे को. ऐसी चीज़े मुझे कहा पता चलती है.. मन में उमेश भाई के विचार ले कर निकल पड़ा. बस से अपने घर. बस से घर का रास्ता 4 घंटे का था. कब सो गया कब उठा कुछ पता नहीं चला. बस सो गया. गुरुवार को कॉलेज खत्म किया. शुक्रवार को बंक. शनिवार को भी… बंक… घर पहुँचते पहुँचते रात को 11 बज गए थे. फिर बस स्टैंड से घर की दूरी। सामान मै काफी ले कर आ गया था वो मुझे आज ऐसा लगता है. तब तो धुलाई के कपडे भी ले कर निकला था. तो सामान था ज्यादा. वरना पैदल चला भी जाता पर अब क्या करे? मैने परेशान हो कर स्मोकिंग चालू कर दी… अब मुझे थोड़ी पता था के मेरे फूफा जी वहाँ से उसी टाइम को निकालेंगे? उसने देख लिया मुझे स्मोकिंग करते हुए. पर नहीं शायद नहीं देखा. वरना मुझे डांट देते. नहीं नहीं देखा क्या? नहीं नहीं अँधेरा है भाई कैसे इतना यकीन से देख सकते थे? सच बोलू? लौड़े के गोटे मुँह में आ गए थे. साला माँ चुदाने जाये.. स्मोकिंग का पैकेट पड़ा था यार. मैंने दिमाग में जब सोचा के लौड़े लग गए है तब ये बात भी सूझी के मै गाली आसानी से बक देता हु. वहाँ बस स्टैंड पर खड़े खड़े फूफा जी ने मेरी गांड में बम्बू लगा दी थी? मै कंफ्यूज हो चूका था कि मै यहाँ कर क्या रहा हु… भागता हु घर पहले तो.

तो मैंने पैकेट डाला मेरे बैग के अंदर के चोर पॉकेट में. सोचा के वो नहीं दिखेगा… और कपडे मै खुद दे दूंगा निकाल कर. जल्द ही मैं रिक्शा कर के घर के लिए निकल पड़ा. और मै पहुंचा अपने घर पर.. अब मै बता दू के मेरा घर टेन्मेंट है और एक सोसाइटी में है. जहा 42 घर का पूरा सोसाइटी है. सारे घर डुप्लेक्स है. घर में ऊपर के फ्लोर पर अंदर से जा सकते थे पर हम ने किराये पर देने के लिए बहार से सीधी लगाई थी. तब सोसाइटी की मंजूरी लेनी पड़ी थी. तो मै पहुंचा घर पर जहां सोसाइटी के बाहर ही रिक्शा वाला मुझे छोड़कर चला गया. सोसाइटी में मेरा घर दो स्ट्रीट को छोड़कर 15 नंबर का घर था. 2 बैग्स लेकर उतना तो मै चल ही सकता हूँ… घर नजदीक आ रहा था और मेरी सांसे एक्साइटमेंट में बढ़ रही थी… होता है भाई पहली बार 4 महीनो के बाद मै अपने घर जा रहा था. इतना दूर मै अपने माँ बाप से कभी नहीं रहा था. मुझे याद था तब तक माँ ने एक बार बोला था के पिछले 2 महीने से कोई भी किरायेदार नहीं है हमारे घर के लिए. मतलब ऊपर की लाइट तो बंद होनी चाहिए. नहीं नीचे की बंद है और ऊपर की चालू है. शायद ऊपर का फ्लोर फिर पड़ा पड़ा धूल धूल न हो जाये इसीलिए चेंज के लिए वो ऊपर रह रहे है. पर माँ ने मुझे ये नहीं बताया था. हाँ पर हर बात मुझे बतानी थोड़ी जरुरी है? चलो दोनों जन जग रहे है. मै ऊपर ही जाता हूँ. पर नहीं यार घर का नीचे पोर्च वाला लॉक नहीं लगाया था??? ठीक है… ओके.. नो प्रॉब्लम!

मैंने आवाज़ ना करते हुए एकदम धीमे से खोला और सामान नीचे रख कर धीरे से ऊपर गया… जैसे जैसे ऊपर जा रहा था वैसे वैसे आवाज़ कुछ जानी पहचानी सी सुनाई देने लगी. नहीं नहीं मम्मी पापा की नहीं.. वो आवाज़ जो मै BF में सुनता रहा था… आआहाहा… यस.. यस… फ़ास्ट फ़ास्ट… पर ये आवाज़ हिंदी में आ रही थी. ध्यान से सुनो तो सुनाई दे वैसी ये आवाज़ थी.

आउच.. प्लीज…

अरे घूम ना… पीछे से डालना है..

धीरे हाय? धीरे करोगे ना?

अभी तो बोली फ़ास्ट फ़ास्ट…

हाँ पर आप फ़ास्ट फ़ास्ट करते हो तो आप मुझे अच्छे से नहीं दबोच देते. मुझे दबोच भी लो और फ़ास्ट फ़ास्ट करो ऐसे नहीं कर सकते?

ये सेक्सी सेक्सी आवाज़े मेरी माँ की थी? साला मेरे तो दिल की धड़कने बुलेट ट्रैन जैसी हो गई… धक् धक् धक् धक्… मै अपने दिल की आवाज़े खुद सुन पा रहा था. पसीना पसीना हो गया वो अलग… मै अब तो देखना चाहता था. मै ऊपर तो चला गया पर सीधी की जगह भी एक मुश्किल से अलग करवाई थी. खिड़की उससे कोसो दूर थी. लटकना पड़े मुझे पर वो भी रिस्की. मै की होल से देखना चाहता था पर ऐसे कुछ नहीं दिख रहा था… अब करू तो करू क्या? ना ही कुछ देख पा रहा था और ना ही कुछ सोच पा रहा था. मेरी माँ अंदर चुद रही थी पर मै क्या करू समझ नहीं पा रहा था. अब आया हु वो भी कैसे बोलू? ये दरवाजा भी खोल देता. पर वह ऑब्वियस्ली ताला लगा है. सरप्राइज देने आया था. खुद सरप्राइज हो गया. मै पहले तो ये सुनकर थोड़ा हैरान भी हुआ था और थोड़ा शर्मिंदा भी हुआ था अपने आप से. पर क्या करू? लंड है जिसने मुझे अहसास करवाया के बच्चे क्या करे! गन्दा है पर धंधा है. मै क्या करू? चल माँ चुदाने जाये सब अपने को क्या… मै तो वापस नीचे आ गया और नीचे से पापा को कॉल किया…1 रिंग पूरी ख़तम होने पर दूसरी रिंग की और दूसरी रिंग ख़तम होने के टाइम से थोड़ी सेकंड पहले पापा ने कॉल उठाई.

पापा: हाँ बेटा कुछ हुआ क्या?

मै: पापा सरप्राइज… मै नीचे खड़ा हूँ?

पापा: क… क… क्या?

मै: नीचे खड़ा हूँ… लॉक लगा होगा खोलो. मै घर आया हूँ 4 महीने के बाद…

पापा: हाँ तू वही पर रहना मै अभी आया.. दरवाजा लॉक है बेटा. अभी आ ही रहा हूँ…

पापा की आवाज़ में प्यार कम चिंता ज्यादा थी… पर पापा इसी टेंशन में फ़ोन काटना भूल गए…

माँ: समीर आया है?

पापा: हाँ नीचे ही खड़ा है…

माँ: अरे यार दो मिनट के बाद आता…

पापा: तू मादरचोद बात कम कर और कपडे पहन.

माँ: मेरा बोल देना के मै सो गई हूँ. आप दरवाजा खोल कर उसे नीचे सुला कर जल्दी से ऊपर आ जाओ…

पापा: ठीक बोली.. तो कपडे मत पहनना मै अभी आया…

पापा करीब 5 मिनट के बाद नीचे आये… और फिर घर का ताला खोला पर बहार का पोर्च का गेट का ताला खोलने का नाटक किया. और फिर मुझे गले लगाया और…

पापा: मम्मी सो रही है उसे कल ही सरप्राइज देंगे. वैसे बता देता तो मै लेने आ जाता स्टेशन… बड़ा हो गया है मेरा बेटा…

मै: हाँ पापा मै भी थका हूँ.. मुझे भी सोने ही जाना है..

मै नीचे सोने चला गया रूम में. पर मेरा ध्यान ऊपर बैडरूम में था… मै हलके से वापस उठा और ऊपर जाने लगा… वहाँ पर भी तो मै देख नहीं सकता था.. आहहहहहहह क्या करू? 18 साल के बच्चे ने BF देख रखी है और लाइव कमेंटरी पहली बार सुनने को मिल रही थी… क्यों पता है? चुदाई के एकसाईटमेंट में पापा मोबाइल को ऑफ करना भूल गए थे. उसका ध्यान माँ की चूत में था. जिसका फायदा मुझे हुआ…

माँ: अभी क्यों आया वो? 2 दिन कॉलेज चालू नहीं है क्या?

पापा: भोसडी की. तू कल पूछ लेना. तू घूम साली ..

पापा बिंदास गाली बोल रहे थे… माँ भी बिंदास सुन रही थी. साला अभी तक मुझे सिखाया गया था के गाली बोलना पाप है. पर ये तो बिंदास बोले जा रहे थे… यहाँ कोई रोक टोक नहीं.. पापा और मम्मी की चुदाई तो कुछ10 मिनट्स तक चली… और फिर ये आवाज़ भी शांत हुई…

पापा: मज़ा आया?

माँ: बहोत!

पापा: पर मुझे नहीं!

मा: क्यों?

पापा: एक बार तो गांड मारने दे शांति!

माँ: मेरे राजीव साहब गांड मै नहीं मरवाउंगी कभी भी…

मेरी माँ का नाम शांति है और पापा का नाम राजीव है…

पापा: वो वर्मा बोल रहा था के उसने अपनी बीवी की गांड मारी है. मुझे भी दो न गांड तेरी..

माँ: हाँ तो वर्मा का लंड छोटा होगा. आपका देखा है 8 इंच का है. ढाई इंच मोटा…

साला मै आया, उसकी तो बात भी नहीं हो रही है…

पापा: ओके तो एक बार वीर्य तो ले तेरे मुँह में… पी ना एक बार…

माँ: हाँ वो सोच सकती हूँ. आपकी डिमांड कभी खत्म ही नहीं होती… और ये क्या किया.. देखो दातो के निशान… दुखता है फिर सुबह.

पापा: हाँ तू ना ही गांड देती है. ना ही तू मेरा लंड चूसती है और न ही मेरा माल पीती है तो इतना तो हक़ है मुझे. डोगी स्टाइल में भी कितना मनाया तब जा कर मानी. अब कैसे घूम घूम कर दे रही ले रही है…

बस अब मुझे लगा के लाइट बंद हो उससे पहले मुझे फ़ोन काट देना चाहिए. क्योंकि वरना फ़ोन काटने में रोशनी होगी.. हाय वो मस्त चुलबुली रोशनी याद आ गई. तो वो रोशनी मोबाइल में जलेगी और पापा को पता चल जायेगा… और फ़ोन काट दिया… थोड़ी देर बाद लाइट बंद हुई और मै भी नीचे आ गया… मुझे अब मुठ तो मारनी ही पड़ेगी… साला क्या दिन गुज़रा. मम्मी पापा मेरे जाने के बाद जैसे बिंदास हो चुके थे. मै रास्ते का रोड़ा बना फिर रहा था? कैसे बिंदास बन चुके थे.. या तो मै कुछ ऐसा सीख कर आया हूँ के मुझे ये सब बातें गौर करना आ गया है. क्या पता क्या हो रहा था मेरे साथ…. और मेरा फ़ोन बजा.. मेरा तो साइलेंट में था. मै उतना तो सीख चुका हु… मैंने काटा मेरे उमेश भाई का फ़ोन था.. मैंने व्हाट्सप्प पर मैसेज किया…

मै: हाय अभी अभी पहुंचा हूँ…

उमेश: हाँ ठीक ठीक मैने सोचा तूने कुछ फ़ोन नहीं किया…

मै: नहीं नहीं सब सो रहे थे और… बस ऐसे ही…मै और कही अटक गया… क्या और कैसे बताऊ?

उमेश: और कुछ गड़बड़ नहीं है न?

मै: नहीं भैया… ऐसा कुछ नहीं है..

उमेश भाई मेरे दिल के बहुत करीब आ गए थे. मै उनपे ट्रस्ट कर सकता था ये सवाल है के स्टेटमेंट है मै समझ नहीं पा रहा था. पर उनके सिवा मेरे दिमाग में जो चल रहा था उसे मै कैसे हल करू? उमेश भाई ने छोटी छोटी सीक्रेट मुझे ऐसे बताये थे के जिनके कारण मुझे कॉलेज और हॉस्टल में 4 ही महीनो में बहोत ही फायदे हुए थे. वो भी अपने घर की हर एक बात करते थे. पर ये बात करनी चाहिए? आई मीन.. ये तो बहोत ही पर्सनल बात है…

उमेश: कोई प्रॉब्लम नहीं है ना समीर?

मै: भैया नींद में हूँ कुछ भी बोल दिया. सो जाओ.. सुबह बात करता हूँ…

उमेश: लोल ओके बाय.

और मै सोचने लगा के अब नेक्स्ट क्या?अब आगे…मुझे तो ना जाने कब नींद आ गई वो पता नहीं चला. थका भी था.. मुठ मारना चाहता भी था पर नहीं मार सका. रात को सपने भी अजीब अजीब आये. के जैसे मुझे मम्मी पापा की चुदाई देखने को मिली. मै देख रहा था वो चुदाई कही कोने में बैठ कर.. पता नहीं क्या क्या अजीब सपने आये. पर उसमे मेरा स्वप्नदोष हो गया… सुबह सुबह ही ये हुआ तो मै जल्दी उठा अपना निक्कर साफ करने. आज मै हॉस्टल में नहीं हूँ मै घर पर हूँ.. मुझे हर कदम ध्यान रख कर चलना पड़ेगा. मै जल्दी जल्दी बाथरूम गया और वापस आया तब तक तो माँ रूम में अंदर आ गई थी. मै थोड़ा हैरान तो हो गया. पर मैंने खुद को संभाला.

मै: अरे गुड मॉर्निंग माँ कैसे हो?

माँ: बस बच्चा आ गया. 4 महीने हो गए तो अकेला भी आ गया. अच्छा लगा देख के तुझे के अपने आप सब कर लेता है..

उमेश भाई ने सच कहा था. वैसे ही हुआ…

मै: हाँ माँ अब मै बड़ा हो गया हूँ मेरी चिंता करने की जरुरत नहीं है आपको.

माँ: कॉलेज में बंक??

मै: हाँ माँ 4 महीने से एक भी छुट्टी नहीं ली. तो सोचा 2 दिन का बहाना मार दूंगा के मै बीमार था या कुछ भी. इतना तो चलता है…

माँ: हाँ चलता है.. ठीक है चल तू मुझे तेरे कपडे दे दे मै धोबी को दे देती हूँ वो सब ले जायेगा. लाया है न?

मै: हाँ माँ मै लाया हु. मै अभी दे देता हु…

अब वो मेरे सामान को खोलने जा रही थी…

मै: माँ रुको. आप कोई टेंशन मत लो. मै अभी दे जाता हु. आप जाओ और पापा का टिफ़िन बनाओ…

मै सारा सामान वापस लिया और अंदर से कपडे बहार निकाले मुझे माँ देख रही थी… और माँ ने मुझे गले लगा लिया…माँ: कितना बड़ा हो गया है…पर मै ना कल कुछ सुन चूका था. थोड़ा दिमाग मै कॉलेज में ख़राब कर के आया था… मैंने तो सिर्फ यही सुना. के कितना बड़ा हो गया है. हाहाहाहाहा और मैंने माँ को गले लगाया. साला कुछ समझ नहीं आ रहा था. गिल्ट भी नहीं हो रही थी और मज़ा आ रहा था. मै माँ को गलत नज़रिये से देखने की शुरुआत कर ने लगा था?? मै थोड़ा सच बताऊ? माँ को मैंने माँ ही सोचा था. आज मुझे माँ मे एक औरत दिखी. मै अपने आपको संभालने में थोड़ा सा फेल हो रहा था. मैंने तुरंत आँखे नीचे कर के माँ को जल्दी कपडे निकालकर दिए… ये अहसास मेरे दिल में बहोत हुआ…मै नहाने गया तो भी मेरे दिमाग में न गन्दी गन्दी बातें आ रही थी. गन्दी गन्दी?नहीं. मुझे मज़ा आ रहा था ये सब सोच कर. तो गन्दी गन्दी कैसे हुई? पर.. ये गलत तो है. ना सोचने में कहा कुछ गलत है? ऐसे ऐसे सोच में मै धीमे धीमे अपने सोच पर हावी हो गया. मै मेरी सोच को सही मानने लगा. मतलब के मै मन ही मन माँ के साथ अपना अलग दुनिया बनाने लगा था. मेरे मन में माँ को चुदाई करते हुए देखने की इच्छा होने लगी. उसे नंगी देखने की इच्छा होने लगी. वो कहते है न के जब तक पकड़े न जाओ तुम चोर नहीं. बस ऐसा ही कुछ…

पर नहा कर बाथरूम से बहार निकला मेरी सारी उम्मीद पर पानी फिर गया…बहोत ही खतरनाक झटका लगा मुझे, जब माँ मेरे रूम में मेरे सामान से सिगरेट का पैकेट हाथ में लिए खड़ी थी. अब तो बोलू तो भी बोलू क्या? मेरे पैरो तले ज़मीन सिर्फ खिसक नहीं गई थी. मुझे जैसे दिल का दौरा पड़ेगा ऐसी फीलिंग आ रही थी. और माँ एक दम गुस्से में… पर क्या करता मुझे अपने को बचाना तो था…

माँ: ये कहा से आया? सोच कर बोलना जो भी बोलना!

मै: मेरा नहीं है…

माँ: अभी भी सोच कर बोलना…और मेरा विकेट डाउन…

मै: माँ ये सीनियर की है मै नहीं पीता. उसने छुपा दी होगी. ऐसी मजाक वो करते है कई बार…

माँ: लास्ट टाइम बोल रही हूँ के सोच समझ कर बोलना…

मै: कभी कभी पीता हूँ….

उस दिन मै रोने जैसा हो गया था… और मै रो भी पड़ता पर बहोत मुश्किल से संभाला था अपने आपको…

माँ: कब से पी रहा है?

मै: माँ कभी कभी. मतलब एक वीक में मुश्किल से एक. हार्डली और वो भी अगर सीनियर बैठे हो तो ही.

ज्यादा झूठ तो दिमाग में भी नहीं आ रहा था…

माँ: दारू?

मै: माँ कभी हाथ भी नहीं लगाया माँ. ये तो बस.. माँ सच बोल रहा हूँ…

माँ: लड़की?

मै: माँ कैसी बात कर रही हो माँ?फिर एक स्टूडेंट जो करता है वही मैंने किया…

मै: माँ रिजल्ट देख लेना माँ. फिर ही ये शिकायत दूर होंगी. तब तक आपको ऐसा ही लगेगा के मै बिगड़ चुका हूँ. रिजल्ट देख लेना बस?

माँ: हम्म्म्!

मै: पापा को मत बताना माँ प्लीज… मत बताना…

माँ: रिजल्ट अच्छा नहीं आया तो जो तू नहीं कर रहा है वो भी जोड़ कर तेरे पापा को बोल दूंगी…

मै: हाँ माँ पक्का बोल देना.. जो भी शिकायत करनी है कर देना प्लीज ये बार छोड दो…

माँ ने वो पैकेट तो ले लिया.. साला चलो जो हुआ अच्छा हुआ… उसे पता तो चला एक चीज़ का.. मै ना सच बताऊ डरता तो बहोत हूँ पर उतना नहीं जितना पहले डरता था. मै रिकवर जल्द ही हो जाता हूँ… मुझे उमेश भाई की बातें दिमाग में घुस गई थी और वही मेरे दिमाग पर हावी थी. माँ चुदाए दुनिया टेंशन मत लो… बस वही है दिमाग में.. पापा तो चले गए थे ऑफिस और मै और माँ अब घर पर अकेले थे. सुबह का जो हादसा हुआ उसे ध्यान में रखते हुए माँ को पटाना जरुरी था. क्योंकि पापा तक बात पहुँच न जाये… मै माँ की तारीफे कर कर के उसे गले लगाया करता था. उमेश भाई की बातें पढाई की बातें. एग्जाम की डेट्स और वो सब बातें मै किये जा रहा था. पर एक लम्हे ने ना थोड़ा सा मुझे मदहोश बना दिया जब माँ नीचे पड़ा हुआ कपड़ा उठाने झुकी और पल्लू नीचे सरक गया… तब तो मैंने जल्द ही दूसरा टॉपिक छेड़ दिया पर पता है कितने ख्याल मेरे दिमाग में आये? माँ साड़ी ही पहनती है. पल्लू गिरा तो पता चला के ब्लाउज कितना डीप नैक है. मम्मे तो भारी बड़े है माँ के. माँ को दबा कर चुदाई पसंद है। माँ चुदी हुई है तो जो भी दूसरा कोई चोदेगा उसे मज़ा आएगा. उमेश भाई को मिल जाये मेरी माँ तो उमेश भाई तो पूरा निचोड़ लेंगे माँ को, पर मेरी माँ ऐसी नहीं है. पहले मुझे कुछ करना पड़ेगा? क्या मै माँ को चोद दू?

उमेश भाई बोले थे ना के मुझे पहले चुदी हुई औरत से चुदाई सीखनी चाहिए.. पर माँ को मेरे साथ चोदने को कैसे मनाऊँ? माँ ने कभी गांड नहीं मरवाई है…वगैरह वगैरह कितने सारे ख्याल… उफ्फ्फ… देखा ये होता है एक पल्लू का नीचे गिर जाने का नतीजा. औरतो को नहीं पता के उनके पल्लू में कितनी ताकत होती है.. माँ ने तो जो किया था वो तो ठीक था पर मेरे मन में ये व्यू था के माँ जैसे मुझे टीज़ कर रही है.. पर ये सब करू कैसे? उमेश भाई को पूछ सकता था पर वो क्या सोचेंगे मेरे बारे में? उससे अच्छा हो के मै खुद उमेश भाई को बुलाना चाहूंगा के ये लो मेरी माँ को जैसी आपको चाहिए वैसी औरत ऐश करो… पर खयालो से बहार आना पड़े इनके लिए. और सच में कुछ काम करना पड़े… मैंने रोशनी को याद किया और उसकी बात माँ के साथ छेड़ी…

मै: माँ एक लड़की है रोशनी दीदी. वो हमारी तो सीनियर है पर वो मैकेनिकल में है. पता नहीं क्या कर रही है. मॉडल जैसी है बस अपने आपको सवारने में लगी रहती है…

माँ की आँखों में वह चमक आई…

मै: माँ मै दीदी ही बोलता हूँ… बस वो खूबसूरत है तो…

माँ: अच्छा… मॉडल? कितनी खूबसूरत?

मै: माँ खूबसूरत मतलब खूबसूरत मॉडल होती है वैसी…

माँ: छोटे छोटे कपडे पहन कर आती है?

मै: हाँ कभी कभी…

माँ: पता नहीं मुझे लग रहा है के तुझे गलत कॉलेज में डाल दिया है..

मै: माँ एक मिनट अब तुम ओवर रेएक्ट कर रही हो…मेरा न अब वो स्वीट वाला गुस्सा निकल आया था बहार…

मै: माँ आप भी कॉलेज गई हो. भले ही वो आर्ट्स था. पर मै इंजीनियरिंग कॉलेज गया तो पता चला. आर्ट्स में भी वही होता है जो मै देख कर आया हूँ. पापा ने भी मैकेनिकल इंजीनियरिंग की है. तो मुझे पता है के क्या क्या होता है. मै छोटा बच्चा नहीं रहा माँ. मुझे भी सब समझ आता है. कभी न कभी कही न कही से मुझे सब इनफार्मेशन मिलेगी ही न?आज मै जो सोच रहा था वो नहीं.

पर इतने सालो की भड़ास निकल रहा था… मैंने ऊपर देखा आपने कैसे बुलेट्स बनाये थे सोच के? सब भंगार में डाल दिया.. और ये सब बोलने लगा…

मै: मुझे भी पता है पापा सिगरेट पीते है. वो भी दारू पीते है. और गाली भी बोलते है… कल रात को भी बोले थे…उप्स कण्ट्रोल समीर कण्ट्रोल. ये क्या बकवास कर दिया? अरे यार… कल का क्यों बोल दिया? मै भावनाओ में बह गया ..

माँ: क्या बोला तूने?

मै: कुछ नहीं…पर माँ की आवाज़ से इतना कन्फर्म हुआ के डरना मुझे नहीं उनको है!

माँ: तू कब आया था?

मै: बस माँ ज्यादा मत पूछो. मैंने फ़ोन किया था उससे 10 मिनट्स पहले और फ़ोन पापा काटना भूल गए थे. मैंने कुछ देखा नहीं है…मै इतना बोल कर वहाँ से निकल पड़ा. और अपने रूम में जा कर बैठ गया…

मै जो कभी खुल कर बोलता नहीं था आज माँ की बोलती बंद कर रहा हूँ. क्या बात है? मुझे कोई अफ़सोस क्यों नहीं हो रहा. मै तो अपने आप को विजयी मान रहा हूँ… पता नहीं मै सही हूँ या गलत. पर मुझे अपने पर फक्र हो रहा था… माँ का रिएक्शन क्या आएगा उससे मुझे कोई भी परवाह नहीं थी… हाँ थोड़ा डर था पर ठीक है.. जो है सो है… माँ चुदाए दुनिया….भले मुझे कुछ पड़ी नहीं थी पर मै क्यूरियस तो था के माँ क्या सोच रही है. माँ के मन में क्या चल रहा है. माँ गुस्सा होगी या माँ चुपचाप रहेगी.. पता नहीं क्या… पर माँ आई रूम में और बिस्तर पर मेरे सामने बैठी. एक सीक्रेट मेरा उनके पास था और ये सीक्रेट उनका मेरे पास था. कुछ डील तो उसे करनी ही पड़ेगी…

माँ: बेटे क्या हम एक दोस्त की तरह बात करे?

मै: आई ऍम सॉरी माँ!

माँ: नहीं बेटा. मै ये भूल गई थी के तेरी अब खुद की भी एक दुनिया है और अगर मै दबाने की कोशिश करुँगी तो फिर हम एक दूसरे को समझ ही नहीं पाएंगे…

मै: माँ बस नाराज़ मत हो!

माँ: देख कल तूने…

मै: माँ मैंने कुछ नहीं सुना…

माँ: देख अब वो बात नहीं याद करते.. फ्रेंड्स? आज से मै तेरी दोस्त हूँ. तू और मै एक दूसरे से सब बातें शेयर करेंगे ठीक है?

मै: हम्म ओके… आप नाराज़ तो नहीं है न?

माँ: नहीं… हो गया खत्म करो इस बात को…

मैंने माँ को गले लगाया और फिर बात वही खत्म हो गई… पर धीमे धीमे हमारे बीच की दूरिया.. बातो की दूरिया कम होती गई…

माँ: सच सच बताना. दारू भी पिया है ना?

मै: हाँ माँ!

माँ: सिगरेट हर रोज़ पीता है ना?

मै: हम्म्म्म!

माँ: लड़की?

मै: ना माँ कभी नहीं. आई ऍम प्योर वर्जिन… ऊप्स…

माँ: हाँ तो कोई नहीं दोस्त हूँ ना तेरी…

मै: माँ वो वहाँ सब बोलते…

माँ: बस गाली मत बोल देना…

मै: एक बात पुछु?

माँ: हम्म?

मै: आपको गाली पसंद है ना?

माँ: देख हम दोनों दोस्त तो है पर माँ बेटे भी है तो…

मै: कल तो आपको बहोत पसंद आ रही थी…

माँ: देख बेटा तू अभी छोटा है, ये सब बातो के लिए ..

मै: नहीं माँ मुझे सब पता है..

माँ: तो तूने गन्दी फिल्म्स भी देख ली?

मै: हाँ माँ.. .

माँ: तू बहोत बिगड़ चुका है मै बोल रही हूँ…

मै: माँ रिजल्ट देख लियो बस? पर बात मत घुमाओ. बोलो…

माँ: उस टाइम पर सब अच्छा लगता है. पर बेटे हम वो बात नहीं करेंगे प्लीज?

मै: आखिरी सवाल…

माँ: ह्म्म्मम्म!

मै: मुझे ऐसा लगा के आप पापा से खुश नहीं हो…

माँ: सवाल खत्म? जवाब देना मै जरुरी नहीं समझती. ठीक है चल अब बहार जाना है तो बहार जा और टीवी देखना है तो टीवी देख… तेरे पापा आते ही होंगे।

मै: ठीक है…

मै आया भी उस टाइम पर हूँ के सोसाइटी में भी कोई है नहीं. मै टीवी देखता हूँ.मैंने टीवी चालू किया.. माँ मेरे पास आकर टीवी दखने बैठ गई. साथ साथ शाम की रसोई की सब्जी ले कर बैठी और कटाई शुरू की… मै चैनल ऐसे ही घुमाते जा रहा था. और देखा के मूवी आ रही है इंसाफ का तराज़ू.. मै तो बस ऐसे ही देख रहा था के…

माँ: ये पुरानी मूवी है तुजे मज़ा नहीं आएगा…

मै: आपको तो आएगा ना.. वैसे भी कही कुछ नहीं आ रहा है…

और तब ही राज बब्बर और ज़ीनत अमन का सीन आया… जहां राज बब्बर ज़ीनत अमन के साथ जबरदस्ती बलात्कार के लिए उसके पीछे पड़ जाता है. उनके कपडे फाड़ता है.. और फिर उसे एक जगह पैर और हाथ बंद कर उससे सेक्स करता है… हम्म माँ मुझे इसीलिए चेंज करने को बोल रही थी… पर मैंने मज़ाक किया. लंड खड़ा हो चुका था तो मै अपनी जगह चेंज कर रहा था बैठने की… हाहाहाहाहा…

मै: माँ इसीलिए मना कर रही थी आप?

माँ: हाँ फिर तू वापस पीछे पड़ जायेगा कल की बात को लेकर..

मै: माँ दोस्त बनाया है तो कुछ तो… मै कुछ नहीं जानता… मै सच में इनोसेंट हूँ..

माँ: मुझे ब्लैकमेल कर तो रहा है..

मै: माँ मै सिर्फ क्यूरियस हूँ. मै किससे जा कर ये सब पुछु? आई मीन उमेश भाई है पर सीनियर है. मै सारी बातें सब से शेयर थोड़ी करता फिरूंगा?

माँ: चलो इतनी तो अक्ल है तेरे में…

मै: माँ दोस्त बनने के बाद भी दोस्ती नहीं है हमारे बीच में…

माँ: बेटा तू समझ नहीं रहा है. ये सब बातें मै कैसे तेरे से करू?

मै: माँ पापा तो मुझे ये सब बोलेंगे नहीं कभी भी…

माँ: तूने वीडियोस तो देखि है ना बस ऐसा ही होता है..

मै: वैसे ही?

माँ: नहीं एक्चुअली वैसा नहीं होता… बहोत अलग होता है.. देखने में। छोड़ मुझे ज्यादा बात मत कर प्लीज.. और तू ना…वो छिड़ने लगी थी… तो मैंने रोका…

मै: माँ अगर आपको ठीक लगे तो ही बताना. आप आज थोड़ा टेंशन में हो. आप टेंशन मत लो. पापा को मै भी कुछ बताने नहीं जाने वाला. और हाँ ये बात हमारे बीच में ही रहेगी. मै आपकी कसम खा कर बोलता हूँ… ज़िंदगी भर ये बात कही भी बहार नहीं जाएगी ये मेरा वादा है…

माँ: हम्म्म!

फिर चैनल चेंज की और फिर माँ खुद बोली…

माँ: देख बेटा. सब …

मै: हाँ माँ बोलो!

माँ: इट्स जस्ट वीयर्ड… मतलब…

मै: रिलैक्स. मै दोस्त हूँ आपका. मैंने कसम खाई है आपकी. रिलैक्स.

माँ: देख ऐसा कुछ…

मै: माँ आप आखे बंद कर के बोलो… कोई आपके जीवन में भी दोस्त होना चाहिए ना जो आपकी सुने… आपको समझे… हम एक दूसरे का ब्लैक बॉक्स बन जाते है. जो एक दूसरे से शेयर करे और वो किसी से शेयर ना करे.. माँ के मन में था तो काफी कुछ… तो माँ ने आखे बंद कर के बोलना स्टार्ट किया…

माँ: मै भी इंसान हूँ. आई मीन थक जाती हूँ. ये एक घिसी पिटी ज़िन्दगी बन चुकी है. जिसके लिए कर रही हूँ उसमे भी कुछ फायदा नहीं हो रहा…मैंने माँ को बोलने दिया बजाय उसे रोकने के…

माँ: क्या करू कैसे कहु?कैसे बोलू कुछ समझ नहीं आ रहा… तू भी कहा समझेगा? खाली दारू सिगरेट पीने से कोई मर्द औरत को नहीं समझ सकता. ये कब मर्द को पता चलेगा? फिर माँ अटक गई… आँखे खोली।

मै: रिलैक्स माँ.. मुझे कुछ समझ नहीं आया. पर आपकी आखो से लग रहा है के रिलैक्स हो गए आप!

माँ: हम्म्म थैंक्स.

मै: माँ कुछ बताओ… मर्द के लिए आप को इतना गुस्सा क्यों?

माँ: अरे गुस्सा नहीं हूँ मै.. बस कुछ नहीं…

मै: माँ बोलो न?

माँ: तेरी शादी नहीं हुई तू नहीं समझेगा..

मै: माँ अगर आप बोल रही हो के मै पापा के नक्शे कदम पर धीरे धीरे चल रहा हूँ. तो शायद मुझे लग रहा है के आप मुझे नहीं बोलोगे तो मेरी बीवी एक दिन अपने बच्चे से यही बात कर रही होगी… जो गलत नहीं है?

माँ: हाहाहाहाहा पर तू क्या जानता है? सिर्फ वीडियो देखि है..

मै: तो उसके लिए मुझे क्या करना पड़े?

माँ: शादी के आलावा कोई रास्ता ही नहीं है…

मै: उमेश भाई बोल रहे थे एक दिन के..

माँ: ख्याल भी मत करना… पता है एड्स हो सकता है…

मै: हम्म. तो…

माँ: तेरी शादी होगी ठीक है..

मै: पर वो तो इंजीनियरिंग खत्म होगी. जॉब शुरू होगी उसके बाद..

माँ: हाँ तो अभी कौन देगा तुझे लड़की? और क्या खिलायेगा पिलायेगा? तू पढ़ेगा फिर? मै बोल रही हूँ तू रिजल्ट नहीं लाने वाला.

मै: माँ क्या करू? इन सब चीज़ो में दिमाग पड़ गया है. राज़ राज़ ही रहेंगे तो दूसरा कैसे कुछ सोच सकता है?

माँ: हम्म तो वीडियो देखो और काम चलाओ.. हाहाहा.. क्या समय है आज का. आज से 5 महीने पहले मै तेरे साथ तुझे पढ़ाने बैठती थी. और आज ये सब बातें..

मै: माँ तो पढ़ाओ ना मुझे.. जैसे कॉलेज तक पहुँचाया वैसे ही ये नॉलेज भी आप ही दो…

माँ: ये… मै: माँ देखो… आप अनुभव से भरी हो. आपको पता है. जैसे मर्द गलती करते है. सब आप जानती हो. मुझे इंजीनियरिंग में दाखिला करवाने तक आपने मेहनत की है. तो अब एक अच्छा मर्द भी…

माँ: हम्म्म!

मै: मुझे नहीं लगता के आप तैयार है इन सब बातो के लिए..

माँ: हम्म्म्म!

मै: ठीक है जब आप तैयार हो…

माँ: पर समीर तुझे कुछ पता ही नहीं.. मतलब तू समझ ही नहीं रहा…मेरे पास अभी खुलने का मौका था. अगर अभी नहीं खुला तो कभी नहीं…

मै: माँ हाँ मुझे सेक्स के बारे में कुछ नहीं पता…

माँ कुछ नहीं बोली… वापस टीवी पर कंसन्ट्रेट…

माँ: तुझे पता भी है अब मै तुझे कैसे सिखाऊँ?

मै: मतलब?

माँ: उसके लिए एक लड़की चाहिए… वीडियोस तो तू आलरेडी देख ही रहा है… तो…

मै: माँ खुल के बोलो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा. या फिर बात यही रहने दो…

अब ये बोल कर मैंने पूरा बॉल उनके कोर्ट में डाल दिया. अब अगर वो कुछ करेगी तो भी उसने ही किया है और नहीं तो मुझे कुछ और सोचना पड़ेगा…

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