सगी बड़ी बहन की सील तोड़ी

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badi bahan ki chut fadi: हेलो दोस्तों कैसे हो आप सब? आज मै आपको एक मज़ेदार बहन भाई की चुदाई की कहानी सुनने जा रहा हूँ। ये कहानी पढ़कर आपको अपनी बहन को चोदने का मन ना करे तो नाम बादल देना। तो आइये शुरू करते है ये कहानी बिना किसी देरी के।

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उस दिन मेरी मालती दीदी का बर्थड़े था। मैं मेरी मालती दीदी का बर्थडे गिफ्ट लाना भूल गया था और जब शाम को मैं ऑफिस से लौटा तब मालती दीदी लाल रंग की चमकदार साड़ी में किसी अप्सरा जैसी लग रही थी. वो दौड़ कर मुझसे लिपट गयी और उसके सुन्दर नुकीले बूब्स मेरे सीने पर दबने लगे. मेरा लंड खड़ा हो गया पर मम्मी-पापा सब वही थे. मैंने खुद को कण्ट्रोल कर लिया और मालती को बताया की मैं गिफ्ट लाना भूल गया था. साथ ही ये वचन भी दिया की इसके बदले वो अभी मुझसे जो चाहे मांग सकती थी और मैं उसको किसी भी गिफ्ट के लिए मन नहीं करूँगा.

अगले दिन मौसा जी के निधन का समाचार मिला और मम्मी-पापा वाराणसी के लिए रवाना हो गए. घर में मैं और मालती दीदी ही रह गए थे. मालती दीदी हमेशा मम्मी के साथ उनके बेड़ पर सोती थी. मगर आज वो अकेली कमरे में सोने वाली थी. रात का डिनर लेने के बाद मैं अपने बिस्तर पर जा कर लेट गया. कुछ ही देर में मालती दीदी मेरे कमरे में आयी और बोली-

मालती: भैया मुझे मम्मी के बगैर डर लगता है, अगर तुम बुरा न मानो तो मैं आज तुम्हारे पास सो सकती हु?

badi bahan ki chut chudai

कुछ सोच कर मैंने हां कह दिया. मालती दीदी रेड कलर के कुर्ती सलवार में सो रही थी और कुछ ही देर में वो सो गयी. इसके बाद कुछ देर के बाद मुझे भी नींद आ गयी. करीब रात के दो बजे मेरी आँख खुल गयी और मुझे अजीब सा एहसास हुआ. मेरी मालती दीदी मेरे बिलकुल करीब लेटी हुई थी और मेरी पेंट की क्लिप और चैन दोनों खुले हुए थे. मैं ख़ामोशी से आँखें बंद किये सोता रहा. मैं मालती दीदी को पता नहीं चलने देना चाहता था की मैं जाग गया था. मैंने देखा की मालती दीदी का मुलायम खूबसूरत एक हाथ मेरे लंड को सहला रहा था. और दुसरे हाथ से वो अपने बूब्स को और अपनी चूत को दबाती जा रही थी. अब उसके मुँह से सिसकियों की धीमी आवाज़ भी सुनाई दे रही थी. मेरे शरीर के रोंगटे खड़े हो चुके थे. अब दीदी ज़रा नीचे उत्तरी और मेरे लंड को प्यार से चूमा. ओह! उसके नरम होंठो के लगते ही मेरे लंड को झटका लगा और दीदी ने अब मेरे लंड को अपने मुँह में समां लिया.

अब मेरे शरीर में एक रोमांच की लहर सी दौड़ गयी. मेरे लंड को दीदी ने चूसना शुरू कर दिया. मैं अपने लंड पर मेरी बहन के मुँह का उसकी जुबां का और पूरे मुँह का स्पर्श महसूस करते हुए लेटा रहा. कुछ देर में दीदी ने मेरे लंड को ज़ोर लगा कर चूसना शुरू कर दिया जैसे मेरा लंड कोई आइस कैंडी हो. और ऐसा लगता था की मेरी बहन मेरे लंड से कोई रस खींच रही हो. कुछ ही देर में मेरे लंड से गरम वीर्य निकल कर मेरी दीदी के मुँह में भर गया. लेकिन मेरी दीदी तो उसको शरबत की तरह पीने लगी. वो मेरे लंड से निकल रहे वीर्य को खींच-खींच कर पीती जा रही थी और अपने दुसरे हाथ से अपनी चूत सहला रही थी. उसी वक़्त मैं दीदी के सर पर हाथ फेरते हुए बोला-

मैं: दीदी क्या अकेले ही सारे मज़े लोगी? मुझे भी तो अपनी चूत का रस पीने दो.

ये सुनते ही मालती दीदी दीवानो की तरह मुझसे लिपट गयी और मेरे होंठ, मेरे गाल, मेरा सीना, मेरा लंड चूमने और चूसने लगी. मानो दीदी को स्वर्ग मिल गया हो. अब मैंने मेरी दीदी की कुर्ती उतार दी और उसके सुन्दर बूब्स को देखते ही मेरा दिल थिरक उठा. मैंने उसकी ब्रा भी निकाल दी और दीदी के बूब्स को बारी-बारी चूसने लगा. उसके सुन्दर होंठो को चूसने चूमने के साथ अब मैंने अपनी बड़ी बहन की सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार खुलते ही एक अजीब सी मीठी महक मुझे मदहोश कर गयी. मैंने मेरी बड़ी बहन की सलवार उतार दी और उसकी पैंटी पर नज़र पड़ते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गए. मेरी दीदी की चूत बहुत ही सुन्दर नज़र आ रही थी. फिर मैंने दीदी की पैंटी भी निकाल दी.

ओह! क्या खूबसूरत चूत थी. मैं मन ही मन बोल उठा. और इस वक़्त मेरी बहन बिलकुल नंगी मेरे सामने लेटी हुई थी. मैं उसके दोनों पैरों के बीच उसकी सुन्दर चूत को देख रहा था. ऐसा लगता था जैसे गुलाब की दो पंखुड़ियां दिख रही हो. मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैंने अपने होंठो को दीदी की चूत पर रख दिया और अपनी दीदी की चूत को चूसने और चाटने लगा. मुझे ये भी पता चल गया था की मेरी दीदी अभी तक बिलकुल कुवारी थी. अब मेरा लंड फूल कर और भी मोटा और लोहे जैसा टाइट हो गया था.

साथ ही दीदी की “आह भैया बस करो ओह्ह” जैसी आवाज़े और सिसकियाँ बढ़ती जा रही थी. दीदी कुछ ही देर में मुझे अपनी चूत से दूर करने की कोशिश करते हुए बोली- दीदी: भैया अपना मुँह हटा लो जल्दी. लेकिन मैंने दीदी की चूत से मुँह नहीं हटाया. बल्कि चूत को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा. और तभी मेरी बहन की चूत से एक नमकीन मीठा रस मेरे मुँह में आया और मेरा मुँह मेरी बहन की चूत के रस से भर गया. अब मेरा लंड बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था. मैंने अपने लंड पर दीदी की चूत का रस लगाया और दीदी की चूत के बीच अपने लंड का सुपाड़ा रख कर लंड को चूत के अंदर धकेला. लेकिन दीदी की टाइट चूत से मेरा लंड फिसल गया. मैंने दूसरी बार मेरे लंड को दीदी की चूत की दोनों पंखुड़ियों के बीच रख कर ज़ोर से दबा दिया और दीदी की चीख नक़ल गयी- badi bahan ki chut fadi

दीदी: आह भैया! बस करो. मुझे कुछ नहीं करना प्लीज!

मैंने अपनी जवान बड़ी बहन की चूत की सील तोड़ दी थी. अब कुछ पल रुक कर मैंने फिर से अपना लंड दीदी की चूत में धकेला. लेकिन अब दीदी रो पड़ी. उसकी आँखों में आंसू आ रहे थे. मेरी बहन जिसको मैंने कभी रोने नहीं दिया था.

दीदी: भैया प्लीज इसे बाहर निकाल लो प्लीज. दीदी रोते हुए बोली.

लेकिन अब मेरा लंड दीदी की चूत के अंदर आधा घुस चूका था. मैं ज़रा देर रुक गया और दीदी से कहा-

मैं: दीदी बस ज़रा सा बर्दाश्त कर लो. फिर तुम्हे भी मज़ा आने लगेगा.

मैंने देखा की मेरे लंड पर दीदी की चूत से निकला हुआ खून लगा था और कुछ कतरे बिस्तर पर भी गिरे थे. मैंने एक और धक्के के साथ मेरा पूरा लंड मेरी बहन की चूत में समां दिया. दीदी की मुट्ठिया भींच गयी थी. आँखों से आंसू आ रहे थे और वो कराहने लगी थी. badi bahan ki chut fadi

दीदी: ओह्ह्ह माँ बस कर दो भैया.

लेकिन कुछ ही देर में मैंने धक्के मारना शुरू कर दिया और अब दीदी भी शांत हो गयी थी. ये पल मैं कुछ देर महसूस करता रहा जब मेरी बहन बिलकुल नंगी मेरे नीचे लेती हुई थी और मेरा पूरा लंड मेरी सगी बड़ी बहन की चूत के अंदर समाया हुआ था. एक अलग ही रोमांच था. कुछ देर के बाद मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ गयी और दीदी मुझे और अपने से लिपटने लगी. मेरा हाथ कभी दीदी के बूब्स को मसलता तो कभी उसके सुन्दर कूल्हों को सहलाता और मुँह से मैं अपनी बहिन के बूब्स को चूसता जा रहा था. दीदी को भी बहुत मज़ा आने लगा था. आखिर मुझे मेरे लंड पर दीदी की चूत से निकला गरम पानी का फवारा महसूस हुआ. दीदी अब झड़ चुकी थी और कुछ ही पल के बाद मुझे मेरी बहन पर इतना प्यार आने लगा की जैसे मेरी दीदी ही मेरे लिए सब कुछ हो.

कभी मैं उसके होंठो को चूसता तो कभी उसको अपनी तरफ ज़ोर से दबा लेता. और तभी मेरे लंड से मेरे वीर्य की एक तेज़ धार मेरी बहन की चूत में छूटी. और मेरी सगी बड़ी बहन की चूत मेरे वीर्य से भर गयी. मैंने मेरी दीदी को ज़ोर से अपनी बाहों में लिपटा लिया और मेरा लंड पूरा दीदी की चूत के अंदर जा कर वीर्य की धार पर धार छोड़ता रहा. आखिर हम दोनों ही थक गए और कुछ देर मैं दीदी की चूत में अपना लंड रख कर सुन्दर एहसास करता रहा. फिर जब मैंने मेरा लंड मेरी बहन की चूत से बाहर निकला तब देखा की मेरी सगी बड़ी बहन की चूत से मेरा वीर्य रिस कर बाहर आने लगा था.

दूसरा हिस्सा बहन का अनोखा प्यार अगले पार्ट मे पढ़िये। 

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