माँ बेटे की वासना और चुदाई की कहानी maa bete ki vasna chudai kahani

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Maa bete ki vasna: ये कहानी मुख्य रूप से मेरी और मेरी माँ की है. मेरे घर में 4 लोग थे जून 2008 में. मेरी अब शादी हो चुकी है. मैं ये कहानी शुरू कर रहा हूँ. मेरा नाम रवि है. मेरे घर में मेरी माँ सुषमा, मेरा भाई और मेरे पापा है. उनका नाम इस कहानी में ज़रूरी नहीं है. मैं ज़्यादा आइडेंटिटी नहीं बता सकता न ही सिटी का नाम बताऊंगा.

मैं जून 2008 में अपने दुसरे सेमेस्टर के एग्जाम के बाद घर आया था. मेरी उम्र उस वक़्त 19 साल थी. मेरा भाई एमएनसी में जॉब करता था गुडगाँव में. मेरे पापा दुकान चलाते थे. मेरी माँ सुषमा हाउस वाइफ थी. उस वक़्त उनकी उम्र 45-46 के आस-पास होगी. क्यूंकि हमें उनके जन्मदिन का नहीं पता था. मैं घर आया हुआ था और बोर हो रहा था. मेरे दोस्तों के अभी भी एग्जाम चल रहे थे. उनके एग्जाम जुलाई फर्स्ट वीक में खत्म होने थे तो हम ज़्यादा मिल नहीं पाते थे. छुट्टिया बितानी मुश्किल हो रही थी. उस साल नया मल्टीप्लेक्स खुला था हमारी सिटी में. मम्मी शायद शादी के बाद कभी मूवी देखने भी नहीं गयी थी. मैंने उनसे मूवी चलने के लिए बोला क्यूंकि अकेला क्या ही जाता मूवी देखने. मैंने पापा से पूछा और हम दोपहर की मूवी देखने गए. मम्मी को अच्छा लगा. 2 दिन तक हम मूवी की बातें करते रहे. मैं फिर से बोर होने लगा.

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मेरी सिटी से सबसे पास हिल स्टेशन शिमला पड़ता था. मैंने सोचा वहाँ घूम आता हूँ. अकेला क्या ही जाता. मैंने पापा से पूछा मम्मी को भी साथ ले जाऊ. उन्होंने हां कर दी. मम्मी ने भी मना नहीं किया. मैंने मम्मी के बारे में नहीं बताया की वो कैसे दिखती है. मम्मी स्लिम सी है. हमेशा साड़ी पहनती है. कोई पहली बार देखे तो 30 या 35 से ज़्यादा की न बोले. मेरी बॉडी थोड़ी बड़ी सी है. कोई बॉडी बिल्डर तो नहीं हूँ पर कोई देखे तो उस वक़्त 24-25 से कम का ना बोले. हम बस से कालका गए और वहाँ से ट्रैन लेके शिमला पहुंचे. हम वहाँ 4 नाईट रुके. एक ही रूम लिया. कुफरी गए मॉल रोड, जाखू मंदिर गए. फिर थोड़ा रेस्ट किया और काफी मज़े किये. मम्मी ने साड़ी ही पहनी थी. मगर बहुत सुन्दर लग रही थी. तब नीयत कोई खराब नहीं थी. आज सोचता हूँ उस दिन बहुत माल लग रही थी. हम सुबह घुमते और इवनिंग में वापस आ जाते रूम पर. मम्मी को भी अच्छा लगा घूमना. हम फिर वापस घर आ जाते है. हम बाकी छुट्टिया ट्रिप की बातें करते रहे. मम्मी बहुत खुश थी और हम दोनों और अच्छे फ्रेंड्स बन गए थे. सारा दिन अब बातें करते रहते थे हम दोनों. ये कहानी थोड़ी स्लो रहेगी.

लव एक दिन में नहीं होता. कॉलेज में भी 1 से 2 साल लग जाते है. ये तो माँ और बेटे की कहानी है. मैं फिर वापस कॉलेज आ जाता हूँ. अब हम डेली बात करते थे. पहले इतने क्लोज कभी नहीं थे. मेरा कॉलेज काफी दूर था मैं एनआईटी में पढ़ता था. तो सेमेस्टर ख़तम होने के बाद ही घर आता था. मैं तीसरे सेमेस्टर के बाद फिर से घर आया. तब हम फिर से मूवी देखने गए. तब रब ने बना दी जोड़ी मूवी आयी हुई थी. वो देख के आये. अब मैं काफी ओपन हो गया था. उनको फ्रेंड ही समझने लगा था. हम मूवी की मिमिक्री करते थे. वो अनुष्का मैं शाहरुख़. उसमे अलग ही मज़ा आता था. चौथे सेमेस्टर के बाद घर आया. हमने पापा से पूछा क्या इस बार भी हम घूमने जा सकते है. उन्होंने हां कर दी. हम इस बार मनाली गए. दूर था और नाईट जर्नी में हम वहाँ पहुँच गए. हमने होटल लिया, रेस्ट किया इवनिंग में मार्किट में गए. एक शोरूम में गए. मैंने एक जीन्स देखी मम्मी के लिए. उन्होंने मना किया लेकिन मेरे ज़्यादा ज़िद करने पे उन्होंने हां की. जीन्स का साइज 30 था. फिर एक टॉप लिया उनके लिए. उसके बाद रूम पर वापस आ गए. अगले दिन हमको रोहतांग जाना था. हमने कैब बुक करवाई. मम्मी ने जीन्स टॉप डाला था.

हम रोहतांग के लिए गए. मम्मी सच में बहुत गज़ब लग रही थी. पहली बार मेरी नज़र उनकी गांड पर गयी थी. फिर मैंने नज़र हटा ली. हम कैब में बैठे. उस वक़्त थोड़ा सा गिल्ट हुआ कि मैं कैसे उनकी गांड को देख सकता था. बीच में कार वाले ने हमसे बातें की. उसने हमसे पूछा भाग के शादी की थी क्या हमने. मम्मी से सिन्दूर लगाया हुआ था. जीन्स टॉप में मम्मी मेरी ही उम्र की लग रही थी शायद उसको. एक अनएक्सपेक्टेड सवाल आने पर हम घबरा से गए. मैंने संभाला मैं ये कहता माँ-बेटा है तो शायद गलत समझ लेता. मैंने बोला की हम फ्रेंड्स है और इनके पति की तबियत ठण्ड से खराब हो गयी तो हम आ गए. इनका पति और मैं अच्छे फ्रेंड है. मैंने बात को संभाला. मगर उन दिनों की सोचूँ तो वो ड्राइवर गलत नहीं था. हम लग ऐसे ही रहे थे जैसे हस्बैंड और वाइफ हो. इतना ओपन माइंड फ्रेंड की तरह घूमना हर कोई यही समझेगा. मम्मी भी एक-दम माल लग रही थी. उस वक़्त नीयत अच्छी थी नहीं तो उस दिन ही सुहागरात मना लेता उनके साथ. मम्मी उस दिन इवनिंग में फुल हंसी उस ड्राइवर की बात पर.

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मैं भी बोला- मैं: देख लो आप लगती ही नहीं हो 45 साल की.

मम्मी बोली: देख लिया वो तो मैंने. कही ये होटल वाले भी तो यही नहीं सोच रहे मैं तेरी बीवी हूँ. ले भी रखा हमने एक ही रूम है.

मैं बोला: दो रूम्स ले लेते है.

वो बोली: उनके सोचने से क्या है? उनको सोचते रहने दे. हमने कुछ थोड़े ही करना है.

थोड़ा सा मैं खुश भी था गिलटी भी. चलो 4 दिन घूमे फिरे हम. फिर हम वापस घर आ गए. उनकी जीन्स टॉप मैंने अपने कपड़ो में ही रखी ताकि पापा को पता न चले. वैसे कुछ न कहते वो फिर भी हमने नहीं बताया. हमारे सच छुपाने की कहानी स्टार्ट हो चुकी थी. मैं वापस कॉलेज आ गया. अब हम और अच्छे दोस्त बन चुके थे. कभी-कभी उस ड्राइवर की बात पर हँसते. ऐसे ही चलता रहा. कभी ऐसा नहीं लगा हम कुछ गलत कर रहे है बातें करते हुए. पांचवें सेमेस्टर में मै घर आया. उनके साथ ही टाइम बिताया. फिर छठे सेमेस्टर में वापस घर आया. इस बार उन्होंने पहले से ही डीसाइड किया हुआ था कि कहा जाना था. पापा से पहले ही पूछ लिया था. इस बार हम डलहौज़ी गए. मैं उनकी जीन्स और टॉप साथ में ले गया था. उन्होंने पहले दिन ही पहन ली. हम मार्किट घूमे. फिर हम एक शॉप में गए वहाँ 1 पीस सूट था ब्लैक कलर का. वो कनी से थोड़ा नीचे तक था उनके. उन्होंने वो लेने की ज़िद की. शायद वो अपनी पिछली सारी तमन्ना पूरी करना चाहती थी. हम फिर घूमे. बीच-बीच में हम हाथ पकड़ कर घूम रहे थे. फिर हम होटल वापस आ गए.

नेक्स्ट डे हमें खज्जियार निकलना था. वो पहले तैयार होके रिसेप्शन पर जा चुकी थी. मैं बस कपडे ही पहन रहा था.

रिसेप्शनिस्ट उनको बोली: कार आ चुकी है. आपके हस्बैंड कहा है?

मैं बस आ ही रहा था और मैंने सुन ली थी रिसेप्शनिस्ट की बात.

माँ बोली: मेरे हस्बैंड थोड़ा ज़्यादा टाइम लगाते है तैयार होने में.

मैं आया और कुछ नहीं बोला. हम खज्जियार और ब्लैक टॉप घूम के वापस आ गए. मैं रूम में गया और मम्मी रिसेप्शनिस्ट के पास गयी. मैं नहा के वापस आया. वो बातें कर रही थी जैसे अब वो फ्रेंड्स बन गयी हो. मम्मी ने 30 मिनट में ही उनको फ्रेंड बना लिया था. नेक्स्ट डे मम्मी पहले से ही तैयार हो गयी थी. उन्होंने ब्लैक ड्रेस पहनी थी जो खरीदी थी अभी. मैं जब रिसेप्शन पर आया.

रिसेप्शनिस्ट बोली: कोई बात नहीं आज रात तुम दोनों फुल मज़े करना.

मैं कुछ नहीं बोला. मम्मी खुश थी. वो ब्लैक ड्रेस में थी. आज सोचता हूँ उस दिन फुल चोद ही देता उनको. मेरा उस दिन मन थोड़ा सा डोल सा रहा था. लेकिन गिल्ट की वजह से मैं रुक जाता. हम घूम फिर के वापस इवनिंग में आये.

रिसेप्शनिस्ट बोली: मेम आपका रूम फुल तैयार है.

जैसे ही मैं रूम में गया. देखा रूम फुल्ली डेकोरेटेड था.

मैंने मम्मी से बोला: ये क्या है?

वो बोली: रिसेप्शनिस्ट सोच रही है हम हस्बैंड वाइफ है. वो पूछ रही थी रूम को सजा दू. क्यूंकि खुशबू से रात में करने में और मज़ा आता है.

मैं बोला: मम्मी आप पागल हो क्या?

मम्मी: मैं तो ऐसे ही मज़ाक कर रही थी. उसको सोचने दे. इस खुसबू में सोने में मज़ा तो आएगा ही ना.

मैं: कोई बात नहीं, अब उनको लगने दो हस्बैंड वाइफ हम सो जाते है.

मम्मी: चलो मूवी देखते है.

मैं: ठीक है.

सच्ची बहुत कण्ट्रोल कर रहा था मैं. मम्मी ब्लैक ड्रेस उतारी ही नहीं थी. मैं डर रहा था ये मज़ाक भारी न पड़ जाये. मेरे से कण्ट्रोल नहीं हुआ तो मैं क्या करूँगा. फिर जैसे-तैसे हम सो गए. नेक्स्ट डे हम साथ में ही रिसेप्शन पर गए.

वो मम्मी से बोली: कैसी रही रात?

मम्मी: अच्छी रही.

रिसेप्शनिस्ट: सर ने सोने दिया की नहीं?

मम्मी: ऐसी कोई बात नहीं है.

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मुझे वो रिसेप्शनिस्ट की बातें अच्छी नहीं लग रही थी. क्या रिसेप्शनिस्ट इतने फ्रैंक हो जाते है 2 दिन में. मम्मी भी मज़े ले रही थी बातों के. 5 दिन डलहौज़ी फुल घूमे. हम वापस घर आ गए. मैं अब सोचने लग गया था, क्या मैं सही कर रहा हूँ. किसी को पता लग गया तो क्या होगा? मैं डर सा गया था. मैं वापस कॉलेज चला गया. मम्मी की कॉल्स और मेसेज पहले की तरह आते. इस बार मुझे थोड़ा गिल्ट और डर सा लग रहा था. वो बार-बार हमारे डलहौज़ी वाले इंसिडेंट पर आ जाती. एक दिन की बात बताता हूँ हमारे बीच की क्या हुई.

मम्मी: इस बार ज़्यादा मज़ा आया घूमने में.

मैं: हां।

मम्मी: वो रिसेप्शनिस्ट तो हमें हस्बैंड और वाइफ ही समझ रही थी.

मैं: हां मुझे पता है.

मम्मी: सच्ची में लगते है क्या हम हस्बैंड वाइफ?

मैं: पता नहीं.

मम्मी: उस दिन रूम उसने हमारे लिए सजाया था ये सोच के कि सेक्स का मज़ा ले सके, मुझे हंसी आती है, हमने कुछ किया भी नहीं.

मैं: मम्मी आप कैसी बातें कर रहे हो? मेरे से नहीं होती ये बातें. सेक्स वाली बातें मत किया करो मेरे से. आपको इन बातों मे क्यों मज़ा आता है? क्या ये चाहती थी आप, कि उस दिन हम कुछ करे? आप अगले दिन भी उस रिसेप्शनिस्ट के साथ ऐसी ही बातें कर रही थी. बाय मुझे नहीं करनी ऐसी बातें.

मम्मी: गुस्सा क्यों होता है नहीं करुँगी ऐसी बातें. चल गुस्सा न हो बाय.

ऐसी बातें रूकती ही नहीं थी उनसे. 2-3 तक सब सही रहता उसके बाद फिर वो स्टार्ट कर ही देती थी. अक्टूबर का महिना था. एक बार उन्होंने एक एडल्ट मैसेज जोक भेजा. उसमे चूत और लंड लिखा हुआ था. मैंने उनके ऊपर गुस्सा किया और बोला।

मैं: आज के बाद बात मत करना.

मैं उस दिन गिल्ट में था कि मैं कैसे अपनी माँ के साथ ऐसी बातें कर सकता था सेक्स वाली, चूत लंड की बातें. मैंने सोचा अभी नहीं रोका तो ये आगे बढ़ जायेगा तो मैं बातें करना ही बंद कर देता हूँ. उनका अब कॉल आता लेकिन मैं उठाता ही नहीं. मैसेज का रिप्लाई नहीं करता. इस सेमेस्टर की छुट्टियों में मैं घर भी नहीं गया. पापा को बोल दिया प्लेसमेंट की वजह से नहीं आ रहा. मेन कट ऑफ हो चुका था। मम्मी से बात किए 2 महीने हो चुके थे. अब उनका कॉल और मैसेज आना बंद हो चुका था. आठवें सेमेस्टर में भी हमारी कोई बात नहीं हुई. कभी-कभी मन होता बात करने का, मै फिर पीछे हट जाता ये सोच के कि कही बात आगे न बढ़ जाये. मगर अब मैं उनसे नज़र मिला नहीं सकता था. क्या पता गलत मैंने ही सोच लिया हो. वो बस एस ए फ्रेंड बात कर रही हो. समझ नहीं आ रहा था. आठवाँ सेम भी चला गया. मगर मैं अब घर नहीं जाना चाहता था. उनसे नज़र नहीं मिला सकता था. जून के फर्स्ट वीक में हमारा कॉलेज ख़तम हुआ और थर्ड वीक में जोइनिंग आ गयी जॉब की, वो भी पुणे में.

मैंने पापा से बात की।

मै: पापा मैं घर नहीं आ रहा, कॉलेज के बाद दोस्तों के साथ घूमने का प्लान है.

उसके बाद सीधा कंपनी जॉइन कर लूँगा। पर सोच रहा था कि पिछले साल इन दिनों में, मैं और मम्मी घूमने का प्लान बना रहे थे. आज हम बात भी नहीं कर रहे थे. वक़्त कैसे बदल जाता है. जोइनिंग के कुछ दिन बाद पापा का कॉल आता है कि भैया का रिश्ता पक्का हो गया था और जुलाई फर्स्ट वीक में सगाई थी. इस बार मैं कोई बहाना नहीं बना सकता था और मुझे घर जाना ही था. मैंने प्लान ऐसे बनाया कि मैं सगाई से एक दिन पहले ही पहुंचू इवनिंग तक और सगाई के अगले दिन चला जाऊ. जिससे मम्मी से ज़्यादा मुलाकात नहीं होगी. मैं उनके सवालों से बचना चाहता था. मैं सगाई से पहले एक दिन पहुंचा. वो भी बिजी थी और बस हाल-चाल पूछने तक की बात हुई. सभी रिश्तेदार भी थे तो हम प्राइवेट में बात भी नहीं कर सकते थे. मैं उनको पूरे 1 साल बाद देख रहा था. उन्होंने 2 से 3 केजी वजन कम किया ही होगा. वो लगभग 55 केजी की होगी. उनकी हाइट 5 फुट 5 इंच है. अब वो और भी सेक्सी लग रही थी. सगाई वाले दिन उन्होंने साड़ी पहनी. ब्लाउज ओपन जैसे होते है पीछे से वो पहना हुआ था.

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डलहौज़ी वाली बातें सोच-सोच कर उनको देख कर खड़ा हो रहा था. एक-दम से काम-वासना जाग गयी थी. फिर मैं बाथरूम गया और मुठ मारी. पहली बार उनको सोच के मुठ मारी थी. अब मैं फिर से गिल्ट में आ गया. मैंने ज़्यादा बात नहीं की उनसे. वो एक-दो बार आयी मेरे पास लेकिन मैंने ज़्यादा बातों का उत्तर नहीं दिया. वो समझ गयी मैं बात नहीं करना चाहता. जैसे-तैसे वापस पुणे आया. फिर जॉब स्टार्ट हुई. उधर शादी की डेट फिक्स हो गयी भाई की. नवंबर सेकंड वीकेंड में थी शादी. अक्टूबर में मेरे अंदर कुछ-कुछ होने लगता है. मेरी कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं थी. मैंने सोचा क्या ही दिक्कत थी मैं बातें करता रहता और हम वैसे कुछ न करते. बस बातों के ही मज़े लेते रहते. डलहौज़ी वाली बातें मुझे भी अच्छी लगती थी. मैं सोचने लगा कि स्टार्ट कर देता हूँ बातें करना. फिर सोचा अब क्या पता बात ही न करे मम्मी. फिर मैंने इरादा छोड़ दिया. भाई की शादी की डेट पास में आ चुकी थी.

मेरा प्लान शादी से एक दिन पहले अर्ली मॉर्निंग पहुँचने का था और शादी के बाद 4 दिन रुकने का. संडे की शादी थी और मैं सैटरडे को सुबह पहुँचता. फ्राइडे मॉर्निंग घर से निकल जाता और इवनिंग में ट्रैन से सैटरडे को पुणे वापस. मैं सैटरडे मॉर्निंग पंहुचा. मम्मी कही गयी हुई थी तो मैं उनसे नहीं मिल पाया. पापा ने आते ही काम पर लगा दिया. पूरा दिन काम किया. इवनिंग में लेडीज संगीत था. सोचा मम्मी से वही मिलूंगा. मेरा मन अब उनकी तरफ भाग रहा था. जैसे ही मेरा काम ख़तम हुआ पापा ने बोला।

पापा: जिस वेन्यू में शादी है वहाँ जाके विजिट करो.

वहाँ पर एक दिन पहले किसी और की शादी थी जिससे पता चल जाये कुछ कमी है तो हम वेन्यू वाले को बोल पाए. सारा मूड खराब हो गया. इस चक्कर में रात के 11 बज गए. लेडीज संगीत ख़तम हो चूका था डांस-वन्स भी ख़तम. मैं मम्मी का डांस देखना चाहता था क्यूंकि वो अच्छा डांस करती है. मैं पहुंचा तो मम्मी मेहंदी लगा रही थी. फिर हमारी नज़र मिली. ऐसे लगा वो भी मुझे ही ढूंढ रही थी. हमने स्माइल की एक-दुसरे को. वो पाजामे वाली नाईट ड्रेस पहनी हुई थी. वो ऐसी नाईट ड्रेस कभी नहीं पहनती थी. शायद शादी के लिए लायी थी. वो उठी तो मैं उनकी गांड देख रहा था. जीन्स में भी इतनी अच्छी नहीं लग रही थी जितनी उसमे. जीन्स में वो लूस नहीं रहती पाजामे में हलकी से लूस होती है. उनकी गांड हिल रही थी हलकी सी. उसको देख कर मेरा मन डोल रहा था. पता नहीं मम्मी को पता लग गया था कि नहीं मैंने पूछा भी नहीं आज तक. मुझे लगा जैसे उनको पता लग गया था कि मैं उनकी गांड देख रहा था. वो मटक-मटक कर चलने लगी जिससे वो और हिले. शादी में उन्होंने साड़ी पहनी. मैंने वाइट ब्लेजर जीन्स और शर्ट. शादी में सभी बिजी थे. मैं दोस्तों के साथ बिजी था. हमारी ज़्यादा बात नहीं हुई. मं

डे को सब थके हुए थे रात की शादी की वजह से. ट्यूसडे को जो शादी की रसम होती है आने-जाने की उसमे बिजी थे. वेडनेसडे को सभी रिस्तेदार चले गए. सुबह ही भैया-भाभी अपने हनीमून के लिए. अब हम फ्री हुए. मैंने मम्मी से पूछा-

मैं: कैसी हो?

मम्मी: ठीक हूँ. तू बात नहीं करेगा तो मैं ठीक नहीं रहूंगी क्या?

मैं: ऐसा कुछ नहीं है ऐसे ही पूछ रहा था. आपने वेट कम किया है क्या?

मम्मी: थोड़ा बहुत कम हुआ है. तेरे गम में नहीं हुआ कही ये न सोच लेना.

मैं: नहीं ऐसा क्यों सोचूंगा? सॉरी आपको बुरा लगा हो मेरे बिहेवियर से तो.

मम्मी: नहीं ऐसा कुछ नहीं. कोई बुरा नहीं लगा बल्कि अच्छा लगा.

मैं: क्या मतलब? (मैंने सोचा अब मम्मी वैसी बातें नहीं करेंगी)।

मम्मी: कुछ नहीं और बता जॉब कैसी चल रही है?

मैं: ठीक चल रही है.

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ऐसे ही हम इधर-उधर की बातें करते रहे. वैसी बातें नहीं हुई. नेक्स्ट डे भी बातें की और फ्राइडे को मैं निकल गया. सैटरडे को पुणे पहुंचा तो मम्मी का फ़ोन आया. थोड़ी बहुत बातें की. अगले दिन से फ़ोन आने लग गए उनके. फ्रेक्वेंटली नहीं 1 या 2 बार आते थे. दिसंबर तक दिन में 7 से 8 बार बातें करते नार्मल. फिर मेरा बर्थड़े आ गया. उन्होंने सुबह विश किया. साथ में मैसेज में लिखा आई लाइक यू. मैंने कोई जवाब नहीं दिया. मैं खुश था बत समझ नहीं पा रहा था क्या जवाब दू. 2 घंटे बाद उनका खुद फ़ोन आया. गुस्से में थी वो.

मम्मी: क्या समझ रखा है अपने आप को?

(मम्मी वाली टोन में नहीं एक लड़की वाली टोन में जो गुस्से में थी)।

मैं: कुछ नहीं.

मम्मी: जवाब क्यों नहीं दिया जो मैसेज किया है?

मैं: गलत लिखा है आपने.

मम्मी: क्या गलत लिखा है? जो है बोल दिया.

मैं: लाइक नहीं लव लिखना था आपको.

मम्मी: हां आई लव यू.

मैं: आई लव यू टू.

मम्मी अब शांत हुई और खुश होके बोली-

मम्मी: सच्ची बताओ.

मैं: सच्ची आई लव यू.

मैं भी फुल जोश में था.

मम्मी: क्या मैं तेरी गर्लफ्रेंड हूँ?

मैं: हांजी. फिर हमने खूब बातें की. मेरे बर्थड़े का सबसे बेस्ट गिफ्ट थी वो. 2 से 3 दिन बाद रात को-

मैं: सुषमा क्या सच्ची में मुझे प्यार करती हो?

मम्मी: क्या करके दिखाऊ जो लगे कि सच्ची में प्यार करती हूँ?

मैं अब पिछले 2 दिन से उनको सुषमा बोलने लग गया था. फ़ोन में भी सुषमा लिख लिया था.

मैं: नहीं सुषमा मुझे यकीन नहीं हो रहा. सुषमा इस बार आऊंगा तो तुम्हे टच कर सकता हूँ?

मम्मी: वो तो आपके ऊपर है कहा टच करते हो.

वो अब मुझे आप बोलने लग गयी थी. उस दिन प्रोपोज़ के बाद उन्होंने डीसाइड किया कि वो मुझे आप बोलेंगी और मैं उनको तू.

मैं: मतलब कुछ पाबंदी है क्या कि कहा टच करना है और कहाँ नहीं करना?

मम्मी: मुझे समझ नहीं आ रहा. वैसे कहाँ टच करना चाहते हो आप?

मैं: तुम्हारी गांड को चूत को बूब्स को.

मम्मी: अच्छा जी कर लेना कपडे के ऊपर से ही ना.

मैं: हां अंदर से टच करने की हिम्मत तो मेरी भी नहीं है.

मम्मी: क्यों नहीं है? होनी चाहिए.

मैं: अच्छा जी. सबसे पहले तेरी गांड को टच करूँगा. बहुत सॉफ्ट लगती है.

मम्मी: अच्छा कर लेना. चूत को नहीं करोगे?

मैं: करूँगा.

ऐसे ही बातें करते थे हम. फिर न्यू ईयर आ गया. आगे की स्टोरी अगले पार्ट में.

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